अगर आप कंप्यूटर और मोबाइल से घंटों तक लगातार चिपके रहते हैं तो आपकी आंखों को ड्राय आई या कंप्यूटर वीजन सिन्ड्रोम का खतरा है। ऐसे में समय रहते ध्यान दें, काम के दौरान नियमित अंतराल पर ब्रेक लेकर आंखों को आराम दें। यह विचार रविवार को अलख नयन आई हॉस्पिटल प्रतापनगर व उदयपुर ऑफथेल्मोलॉजी सोसायटी के संयुक्त तवावधान में कॉर्नियल ट्रांस्प्लांट सर्जरी पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन विशेषज्ञ चिकित्सकों ने व्यक्त किए।
अलख नयन आई इंस्टीट्यूट के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. एल. एस झाला ने बताया कि होटल हिल टॉप में पूरे दिन विभिन्न सत्र हुई जिनमें देशभर के विशेषज्ञों ने नेत्र चिकित्सा क्षेत्र में आ रहे बदलाव, उपचार के आधुनिकतम तरीकों, नए उपकरणों के साथ ही चिकित्सा पद्धतियों पर चर्चा की। खासतौर पर केमिकल इंजरी मैनेजमेंट ड्राई आई एसएलईटी, इंटरेस्टिंग केस ऑफ कॉर्नियल एंड एंटीरियर सेगमेंट, इमरजेंसी मैनेजमेंट आदि पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। डूंगरपुर, राजसमंद, नाथद्वारा सहित उदयपुर के गीतांजलि, आरएनट, पेसिफिक आदि चिकित्सालयों के विशेष चिकित्सकों को भी नई चिकित्सा पद्धति की जानकारी दी गई।
अम्बाला से आए डॉ विकास मित्तल ने एल्कली व एसिडिक इंजरी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि तम्बाकू की ट्यूब में सूखा हुआ चूना कई बार उडक़र आंखों में चला जाता है। यह एसिड से भी ज्यादा खतरनाक होता है व कोर्निया को बहुत नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने ऐसे मामलों में आपात व तत्काल उपचार के उपायों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने अलख नयन मंदिर को एक सौगात बताया जिसमें वर्ल्ड क्लास काम हो रहा है।
मुंबई से आए डॉ. जतिन आशर ने कहा कि आजकल ड्राइ आइज बहुतायत में हो रही है। समान्यत: हम एक मिनट में 14 बार आंख झपकाते हैं मगर आई-टी सेक्टर सहित कंप्यूटर पर काम करने वाले लोग समय पर पलकें नहीं झपका पाते हैं उन्हें आंखों का लगातार बचाव करना चाहिए। उन्होंने बताया कि हेलमेट पहनने से दुर्घटनाओं में बचाव तो होता ही है, आंखों को भी बहुत फायदा रहता है। हेलमेट से गर्मी के मौसम में आंखों का प्रोटेक्शन हो जाता है व सीधे लू की चपेट में नहीं आती। इसके अलावा जो लोग वेल्डिंग का काम करते हैं वे कई बार बिना अल्ट्रावायलट प्रोटैक्शन के काम करते हैं, उनमें मोतियाबिंद का खतरा रहता है।
अहमदाबाद के डॉ. आशीष नागपाल ने कहा कि ग्राइंडिंग उद्योगों, लकड़ी काटने-छीलने का काम करने वालों आदि की आंखों में बुरादा व कण गिरने का खतरा रहता है। इसी प्रकार फसल कटाई के दौरान भी आंखें में इन्फेक्शन, कॉर्नियल अल्सर आदि की संभावना बन जाती है। उन्होंने अलग-अलग केस स्टडीज के माध्यम से समस्या की गंभीरता व उपचार की नवीनतम विधियों के बारे में बताया।
अलख नयन मंदिर के कंसल्टेंट कॉर्निया डॉ. नितीश खतूरिया ने बताया कि गठियावादी से भी आंखों को खतरा रहता है। उसका समय पर उपचार कराने से कांप्लीकेसी नहीं होती। डॉ. एल. एस झाला ने बताया कि आंखों के उपचार, शल्य चिकित्सा, जारूकता आदि पर जो काम अलख नयन मंदिर में हो रहा है वह विश्वस्तर के मानकों के अनुरूप है। यहां आने वाले हर मरीज का उपचार जरूर किया जाता है। यदि वह निर्धन है तो उपचार निशुल्क भी होता है।