अन्धकार तो जीवन का अंग बन चुका है
हम धर्म के अनुयायी भी बने हुए है। किन्तु हम धर्म का उपयोग कैसे करते है उस सम्बन्ध में थोडा अवश्य सोच लेना चाहिये। वस्तु, व्यक्ति और व्यवहार सिद्धान्त आदि चाहे कितने भी श्रेष्ठ क्यों न हो महत्व तो उनके उपयोग करने में ही निहित है। अच्छे से अच्छा पदाधिकारी भी यदि सम्यक उपयोग न हो तो उसका क्या महत्व रह जाएगा।
हम धर्म के अनुयायी भी बने हुए है। किन्तु हम धर्म का उपयोग कैसे करते है उस सम्बन्ध में थोडा अवश्य सोच लेना चाहिये। वस्तु, व्यक्ति और व्यवहार सिद्धान्त आदि चाहे कितने भी श्रेष्ठ क्यों न हो महत्व तो उनके उपयोग करने में ही निहित है। अच्छे से अच्छा पदाधिकारी भी यदि सम्यक उपयोग न हो तो उसका क्या महत्व रह जाएगा।
उक्त विचार श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने पंचायती नोहरा में आयोजित विशाल धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। मुनि ने कहा कि हम धर्म को भी बहुत प्यार करते है उसे हम छोडना नही चाहते है किन्तु अन्धकार वह तो जीवन का अंग बन चुका है। उसे कैसे समाप्त किया जा सकता है। असत्य, छल, हिंसा, विद्वेष, मोह, विषय, कषाय ये सारे अन्धकार के ही पहलू है जिन्हें हम अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए स्वतत्र प्रयुक्त करते ही है। विश्वास ऐसा हो चला कि इनके बिना जीवन निर्वाह होना ही नही है जीना है तो इन्हे साथ लेकर ही जीना होगा। क्षमा, करूणा, सेवा, परमार्थ, अहिंसा, सत्य, आचार आदि जो धर्म प्रकाश स्फुलिंग है वे और तरफ अपना प्रभाव दिखाए।
उन्होंने कहा कि धर्म के साथ साथ कुछ साधनाएं, कुछ क्रियाएं, कुछ विधियंा जुड़ी रहती है। जीवन के प्रत्येक क्षण को ज्योतिर्मान कर देने कि क्षमता धर्म में है, अत: धर्म को सीमित अर्थ में नही लेना चाहिये। हम जहंा भी रहे जैसे भी रहे सर्वत्र कुछ न कुछ अशुभ, अशिष्ठ घटित होता ही रहता है उसे रोके और उस जगह शुभ शिष्ट और श्रेष्ठ को स्थापित कर दे धर्म की यह प्रकाशवता है। कार्यक्रम का संचालन हिम्मत बडाला ने किया।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal