जो व्यक्ति यज्ञ, तप और दान करता है वो सर्वश्रेष्ठ है लेकिन इन सबको करते हुए अगर कोई अभिमान करता है तो उसका सारा किया हुआ तप, यज्ञ, ज्ञान व्यर्थं है। अपने घर मे बैठकर भगवान का स्मरण करते हुए माला जपने से 10 गुना, गांव से बाहर किसी वन मे जपने से 100 गुना, सरोवर या नदी के तट पर जपने से 1000 गुना, मंदिर या शिवालय मे भगवान के सामने बैठकर जपने से लाख गुना और गुरू के सामने बैठकर माला जपने से अनन्त गुनाा लाभ मिलता है, क्योंकि सभी 68 तीर्थ गुरू के मन मे ही निवास करते है। गुरू भक्ति, जप, तप व ज्ञान की महिमा का ऐसा वर्णन श्री नारायण भक्ति पंथ के प्रवर्तक संत लोकेशानन्द महाराज ने शनिवार को श्री विष्णु पुराण कथा के छठे दिन नारायण भक्तों के सामने व्यक्त किये।
पापों का नाश करने हर युग मे भगवान लेते है अवतार
श्री विष्णु पुराण कथा के अंशों को आगे बढ़ाते हुए संत लोकेशानन्द ने सहस्त्रार्जुन की उदारता, परशुराम द्वारा सहस्त्रार्जुन का उद्धार, यदुकुल के वर्णन मे सत्राजीत की कथा, पृथ्वी पर पापों का भार बढऩे पर सभी देवों द्वारा क्षीरसागर पर भगवान नारायण का किर्तन, श्री राम चरित्र, श्री कृष्ण चरित्र के दौरान कृष्ण लीलाएं, कंस वध, पितामाह भीष्म को ईच्छा मृत्यु वरदान से मोक्ष प्राप्ति एवं ऋषियों के श्राप से यदुकूल का नाश होने के साथ – साथ एक शिकारी के तीर से भगवान श्रीकृष्ण के सौधाम जाने के प्रसंगों का वर्णन किया। कथा के दौरान संत लोकेशानन्द ने भगवान के आवेश-प्रवेश अवतार, ज्ञानावतार, लीलावतार, रक्षावतार सहित अन्य अवतारों का विस्तृत वर्णन किया। उन्होने कहा कि हर युग मे पाप बढने पर भगवान ने विभिन्न अवतार लिया और धर्म विजयी हुआ है।
दशावतार की झाँकी के साथ लगेगा 108 भोग
कथा आयोजक योगेश कुमावत ने बताया कि कथा की पूर्णाहूति रविवार को होगी। रविवार को संत लोकेशानन्द द्वारा श्री विष्णु पुराण के अंतिम अंश की कथा का वर्णन किया जायेगा। कथा के दौरान प्रसंगों के अनुसार भगवान विष्णु के दशावतार रूप को छोटे- छोटे बच्चों द्वारा भजनों की प्रस्तुतियों के माध्यम से दर्शाया जायेगा इसके साथ ही मुख्य रूप से भगवान नारायण के श्रीचरणों मे 108 व्यंजनों का भोग धराकर सभी नारायण भक्तो को प्रसाद वितरित किया जायेगा।
प्रभु भक्ति मे भक्तों के साथ अतिथि भी झूमे
कथा के दौरान संत लोकेशानन्द द्वारा प्रसंगों के बीच संगीतमयी भजनों की प्रस्तुति से हर नारायण भक्त खुद को नृत्य करने से रोक नही पाया और झूम उठा वहीं कथा के अतिथि रूप मे पूर्व महापौर रजनी ड़ागी भी प्रभु भक्तों मे लीन होकर भक्तों के साथ नृत्य कर उठी। छठे दिन की कथा के दौरान उप महापौर लोकेश द्विवेदी, श्री क्षत्रिय कुमावत विकास संस्थान के मुकेश गोठवाल, दिनेश मानणिया, कांग्रेस देहात जिलाध्यक्ष लाल सिंह झाला, सिंधी अकादमी अध्यक्ष हरिश राजानी, रामचन्द्र अजमेरा, अम्बालाल धनगरिया, हरिश साडीवाल एवं कुमावत समाज के वरिष्ठजन उपस्थित थे।