बेटियों ने दिया पिता की अर्थी को कंधा


बेटियों ने दिया पिता की अर्थी को कंधा

उदयपुर में आज सिंधी समाज की बेटियों नें अपनें पिता की अर्थी को कंधा दे कर इतिहास रच दिया। शक्ति नगर स्थित एक समाज सेवी परिवार में बलदेव कटारिया का कल रात को निधन हो गया था। उनंका आज दाह संस्कार हुआ। वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे। बलदेव कटारिया की तीनो पुत्रियों मोनां, नेहा, आँचल ने अपने पिता की अर्थी को काँधे पर

 
बेटियों ने दिया पिता की अर्थी को कंधा

बेटियाँ आज हर क्षेत्र में बेटो की साथ हमकदम होकर चल रही है। आज चारो और बेटियां हर काम में आगे निकल रही है फिर चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र हो या आकाश में हवाई जहाज़ उड़ाना हो या आर्मी में भर्ती होकर देश की सेवा करना सभी क्षेत्र में वह पुरुषो को लगातार टक्कर दे रही है लेकिन आज भी हमारे समाज में मान्यता रही है की कुछ विशेष कार्य सिर्फ पुरुषो के ही लायक समझा जाता है। जैसे मरने के बाद अंतिम क्रिया कर्म की रस्म हो या अर्थी को कंधा देने की रस्म अदायगी, शायद इसीलिए हमारे समाज में बेटे को प्राथमिकता दी जाती है और बेटियों को कमतर आँका जाता है। लेकिन बेटियों ने हमेशा ही इस मिथक को तोड़ने का प्रयास किया है।

इसी कड़ी में उदयपुर में आज सिंधी समाज की बेटियों नें अपनें पिता की अर्थी को कंधा दे कर इतिहास रच दिया। शक्ति नगर स्थित एक समाज सेवी परिवार में बलदेव कटारिया का कल रात को निधन हो गया था। उनंका आज दाह संस्कार हुआ। वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे। बलदेव कटारिया की तीनो पुत्रियों मोनां, नेहा, आँचल ने अपने पिता की अर्थी को काँधे पर लादकर अपना फ़र्ज़ निभाया और समाज में एक मिसाल कायम की। पुत्र के अभाव में तीनों पुत्रियों नें नं केवल पुत्र का फ़र्ज़ पूरा किया अपितु सम्पूर्ण सामाजिक-धार्मिक अनुष्ठान में बढ़ कर हिंसा लिया।

बेटियों ने दिया पिता की अर्थी को कंधा

सिंधी समाज के प्रवक्ता हरीश चावला ने बताया की ख़ुशी की बात यह रही कि सारे समाज नें इसकी मुक्त कंठ से सराहनां की।

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