उदयपुर की झीलों में डीजल,पेट्रोल चलित नावों की अनुमति नहीं देने की मांग


उदयपुर की झीलों में डीजल,पेट्रोल चलित नावों की अनुमति नहीं देने की मांग

झील संरक्षण समिति ने उदयपुर की झीलों में डीजल, पेट्रोल चालित नावों की अनुमति नहीं देने की मांग की है। समिति ने इस सम्बंध में एडवोकेट रमेश नंदवाना के मार्फत जिला कलेक्टर, प्रन्यास सचिव व निगम आयुक्त को कानूनी नोटिस भेजा है।

 

उदयपुर की झीलों में डीजल,पेट्रोल चलित नावों की अनुमति नहीं देने की मांग

झील संरक्षण समिति ने उदयपुर की झीलों में डीजल, पेट्रोल चालित नावों की अनुमति नहीं देने की मांग की है। समिति ने इस सम्बंध में एडवोकेट रमेश नंदवाना के मार्फत जिला कलेक्टर, प्रन्यास सचिव व निगम आयुक्त को कानूनी नोटिस भेजा है।

झील संरक्षण समिति के अनिल मेहता ने बताया कि फ़तह सागर, पिछोला तथा बड़ी झील उदयपुर शहर के महत्वपूर्ण पीने के पानी के स्त्रोत हैं जहाँ से पीने का पानी शहर के विभिन्न भागों में सप्लाई किया जाया है। इन्हीं झीलों में नगर निगम, नगर विकास प्रन्यास द्वारा नावें भी ठेके पर चलाई जाती हैं। यह तथ्य विभिन्न अनुसंधानों से सिद्ध हो चुका है कि यदि झीलों व अन्य प्रकार के जल स्त्रोतों में नावों आदि का संचालन पेट्रोल व डीज़ल ईंधन से किया जाता है तो इससे जल, ध्वनि व वायु प्रदूषण बढ़ता है जो इन झीलों में रहने वाली मछलियों तथा अन्य जल व जल- थल पर रहने वाले जीवों, पक्षियों व इंसानी के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है। झीलों में सुबह से शाम तक चलने वाली नावों से पीने का पानी भी प्रदूषित होता है।

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झील संरक्षण समिति के अनिल मेहता ने कहा कि किसी भी सामुदायिक जल स्त्रोत को प्रदूषित करना धारा 277 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत एक आपराधिक कृत्य है। झीलों को प्रदूषण से बचाने के लिए नगर निगम व न्यास सहित समस्त प्राइवेट ओपेरटर (केवल दुर्घटना की स्थिति में रेस्क्यू बोट्स को छोड़कर) झीलों में बैटरी, सौर ऊर्जा, पेडल तथा चप्पू वाली नावों को ही संचालित किया जाना चाहिए।

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