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प्रतिबंध के बावजूद झील किनारो, घाटों पर खुलेआम शराब, नशीली ड्रग्स का सेवन

राजस्थान में सार्वजनिक स्थलों पर शराब सेवन के प्रतिबंध के बावजूद झील किनारो, घाटों पर खुलेआम शराब सेवन जारी है। कई युवा नशीली ड्रग्स का भी सेवन करते मिल जाएंगे। झील स्वैच्छिक श्रमदानियो डॉ अनिल मेहता, तेज शंकर पालीवाल तथा नंद किशोर शर्मा ने इसे पर्यावरणीय व सांस्कृतिक प्रदूषण बताते हुए प्रशासन से कार्यवाही व निगरानी की मांग की है।

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प्रतिबंध के बावजूद झील किनारो, घाटों पर खुलेआम शराब, नशीली ड्रग्स का सेवन

श्रमदान के दौरान झील प्रेमी बियर की बोतले निकालते हुए

राजस्थान में सार्वजनिक स्थलों पर शराब सेवन के प्रतिबंध के बावजूद झील किनारो, घाटों पर खुलेआम शराब सेवन जारी है। कई युवा नशीली ड्रग्स का भी सेवन करते मिल जाएंगे।

झील स्वैच्छिक श्रमदानियो डॉ अनिल मेहता, तेज शंकर पालीवाल तथा नंद किशोर शर्मा ने इसे पर्यावरणीय व सांस्कृतिक प्रदूषण बताते हुए प्रशासन से कार्यवाही व निगरानी की मांग की है।

झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति तथा गांधी मानव कल्याण समिति के तत्वावधान में आयोजित श्रमदान संवाद में झील प्रेमियों ने कहा कि शराब, बीयर के सेवन के पश्चात बोतले झील में फेंक दी जाती है। शराब सेवन के साथ उपयोग की गई खाद्य सामग्री किनारों पर ही पड़ी रहती है जिसे आवारा जानवर खाने के लिए पंहुचते है। यह स्थिति कानून व्यवस्था के लिए भी ठीक नही है।

प्रतिबंध के बावजूद झील किनारो, घाटों पर खुलेआम शराब, नशीली ड्रग्स का सेवन

संवाद से पूर्व झील प्रेमियों ने पिछोला के कुछ मुख्य घाटों से शराब की बोतलों को हटाया तथा झील सतह पर तैरते कचरे को हटाया। श्रमदान में रमेश चंद्र राजपूत, राम लाल गहलोत, पल्लब दत्ता, विनोद पालीवाल, राम प्रताप जेठी, तेज शंकर पालीवाल, डॉ अनिल मेहता इत्यादि ने भाग लिया।

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