लिंगानुपात सुधार एवं कन्या भ्रूण हत्या की प्रभावी रोकथाम पर हुई विस्तृत चर्चा
राजस्थान एवं गुजरात के सीमावर्ती राज्यों की भागीदारी में लिंगानुपात सुधार के कारगर उपायों को लेकर एक दिवसीय अंतर्राज्यीय कार्यशाला शुक्रवार को उदयपुर के अनन्ता होटल में सम्पन्न हुई। कार्यशाला में गुजरात व राजस्थान के बीच पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये परस्पर सहयोग एवं प्रशिक्षण व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने पर सहमति जतायी गई।
राजस्थान एवं गुजरात के सीमावर्ती राज्यों की भागीदारी में लिंगानुपात सुधार के कारगर उपायों को लेकर एक दिवसीय अंतर्राज्यीय कार्यशाला शुक्रवार को उदयपुर के अनन्ता होटल में सम्पन्न हुई। कार्यशाला में गुजरात व राजस्थान के बीच पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये परस्पर सहयोग एवं प्रशिक्षण व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने पर सहमति जतायी गई।
कार्यशाला में राज्य समुचित प्राधिकारी पीसीपीएनडीटी के अध्यक्ष एवं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के शासन सचिव डॉ. नवीन जैन ने पीसीपीएनडीटी एक्ट पर प्रकाश डालते हुए राजस्थान एवं राज्य के बाहर किये गये डिकाय ऑपरेशन की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब तक कुल 71 डिकाय ऑपरेशन संपादित किये जा चुके है। वर्ष 2016-17 में 33 डिकाय ऑपरेशन की कार्यवाही की गई जिनमें 15 अंतर्राज्यीय स्तर पर संपादित हुए। इनमें मध्यप्रदेश, हरियाणा, गुजरात, पंजाब व उत्तरप्रदेश राज्य शामिल है। इसी प्रकार विगत 55 दिनों के दौरान 8 डिकाय आपरेशन सम्पन्न कर और गति के साथ कार्य संपादन पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में गठित पीबीआई न केवल राजस्थान वरन् देश के अन्य राज्यों में भी डिकाय ऑपरेशन करने के लिए अधिकृत है।
गुजरात व राजस्थान को समन्वित प्रयास करने की जरूरत
उन्होंने कहा है इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए गुजरात व राजस्थान को मिलकर ऐसे दलालों एवं नेटवर्कों को पकड़कर ठोस कार्यवाही करनी होगी जो लिंग जांच एवं भू्रण हत्या जैसे संगीन अपराधों में सक्रिय हैं।
कारगर साबित होती मुखबिर योजना
श्री जैन ने बताया कि लिंग जांच कर गर्भपात करवाने वालों तक पहुंचने एवं उनके विरूद्ध उचित कार्यवाही करने के लिए राज्य सरकार की मुखबिर योजना कारगर साबित हो रही है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 2.50 लाख की राशि का प्रदान करने का प्रावधान है जिसमें गर्भवती महिला को 1 लाख, मुखबिर को एक लाख एवं सहयोगी को 50 हजार रुपये सरकार की ओर से पुरस्कार स्वरूप दिये जाते हैं। राज्य सरकार ने इस योजना के तहत करीब 32 लाख रूपये प्रदान किये हैं।
सोनोग्राफी मशीनों पर लगे एक्टिव ट्रेकर
नवीन जैन ने बताया कि राज्य में प्रत्येक सोनोग्राफी मशीन पर एक्टिव ट्रेकर लगाये गये हैं ताकि सोनोग्राफी से संबंधित समस्त सूचनाएं सुरक्षित रह सके एवं आवश्यकता पड़ने पर इन सूचनाओं का समुचित उपयोग किया जा सके।
सकारात्मक वातावरण बनाने का आह्वान
कार्यशाला में श्री जैन ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से लिंगानुपात में हो रही बढ़ोतरी की ओर सम्भागियों का ध्यान आकृष्ट किया और आह्वान किया कि गुजरात तथा राजस्थान के बॉर्डर के जिलों को मिलकर एक संयुक्त रणनीति के तहत कन्या भ्रूण हत्या के विरूद्ध सकारात्मक वातावरण निर्माण करना होगा। उन्होंने बताया कि धारा 315 में आईपीसी के तहत कन्या भ्रूण हत्या में कोई लिप्त पाया जाता है कि उसे 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है।
राजश्री योजना
कार्यशाला में श्री जैन ने राजश्री योजना पर प्रकाश डालते हुए बताया कि राज्य सरकार बालिका जन्म को बढ़ावा देने एवं सुदृढ़ीकरण के लिए प्रभावी प्रयास कर रही है। जिसमें राजश्री योजना के तहत बालिका जन्म के पश्चात् विभिन्न चरणों में 50 हजार रूपये की राशि देने का प्रावधान है। साथ ही श्री जैन ने राज्य व केन्द्र सरकार की बालिका उत्थान के क्षेत्र में संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की भी जानकारी दी।
जन जागरूकता आवश्यक
श्री जैन ने कहा कि योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन एवं इनका लाभ हर तबके तक पहुंचाने के लिए जन जागरूकता की महत्ती आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए नियमित निरीक्षण, कार्यशाला, बैठकें एवं अन्य सामुदायिक कार्यक्रमों में व्यापक प्रचार-प्रसार एवं आवश्यक जानकारी से आमजन को जागरूक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि राज्य में पीसीपीएनडीटी ने अपना सैल बना रखा है जो हर चरण में सहयोग के लिए तत्पर है।
राजस्थान का कार्य सराहनीय
कार्यशाला में मुख्य वक्ता जे.पी.गुप्ता ने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट की अनुपालना में विगत वर्षाे में राजस्थान का कार्य सराहनीय रहा है। उन्होंने पीसीपीएनडीटी के साथ गर्भवती महिला की ट्रेकिंग, मलेरिया रोकथाम एवं एड्स की रोकथाम पर भी अन्तर्राज्यीय समन्वय की संयुक्त रणनीति बनाने की आवश्यकयता जताई। श्री गुप्ता ने बताया कि इस क्षेत्र में राजस्थान का कार्य काफी बेहतर रहा है, जिसका अनुकरण गुजरात द्वारा किया जाएगा एवं इसके लिए राजस्थान के संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
कार्यशाला में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, गुजरात के डॉयरेक्टर गौरव दादिया ने भी कार्यशाला को सम्बोधित किया एवं दोनों राज्यों में आपसी समन्वय को महत्वपूर्ण बताया। इस अवसर पर उदयपुर जिला कलक्टर बिष्णुचरण मल्लिक ने भी विचार रखे।
इस अवसर पर गुजरात से जनस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख शासन सचिव जेपी गुप्ता, गुजरात के कलक्टर्स में अरवल्ली के सुश्री शालिनी अग्रवाल, दाहोद के रणजीत कुमार, सांबरकांठा के पी.स्वरूप, बनासकांठा के दिलीप सिंह राणा, माहीसागर के एम.डी.मोदिया, पीसीपीएनडीटी प्रोजेक्ट डायरेक्टर रघुवीरसिंह, संयुक्त निदेशक (चिकित्सा) डॉ. आर.एन.बैरवा,उदयपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजीव टांक सहित सिरोही, राजसमन्द, बाड़मेर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, जालौर के सीएमएचओ व पीसीपीएनडीटी समन्वयक तथा गुजरात के नेशनल हेल्थ मिशन के मिशन डायरेक्टर गौरव दहिया, सीडीएचओ, विधिक अधिकारी आदि प्रमुख तौर पर उपस्थित रहे।
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