जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियों में मग्न श्रद्धालु
शहर में इन दिनों भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां जोरो-शोरो से की जा रही है। भगवान जगदीश की इस यात्रा में भाग लेने के लिये संगठनों के कार्यकर्ता तैयारियों को लेकर जुटे हुये हैं।
शहर में इन दिनों भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां जोरो-शोरो से की जा रही है। भगवान जगदीश की इस यात्रा में भाग लेने के लिये संगठनों के कार्यकर्ता तैयारियों को लेकर जुटे हुये हैं।
यात्रा को लेकर हिरणमगरी सेक्टर 7 स्थित ‘भगवान जगन्नाथधाम’ शिवशक्ति मन्दिर समिति के द्वारा भी यात्रा निकाली जाएगी। इस समिति के द्वारा पिछले 7 वर्षो से रथ यात्रा निकाली जाती है। जगन्नाथधाम से निकलने वाली रथयात्रा में भगवान स्वर्णरथ पर आरूढ़ होकर 7 वर्षों में पहली बार स्वर्ण वेशभूषा (सोनावेश) में नगर भ्रमण पर निकलेंगे।
समिति के अध्यक्ष भुपेन्द्र सिंह भाटी ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष 2, बुधवार दिनांक 10 जुलाई, 2013 को निकलने वाली जगन्नाथजी की यह रथयात्रा भगवान जगन्नाथधाम मन्दिर से सातवीं रथयात्रा है। दिनांक 29 अप्रेल, 2007 को भगवान जगन्नाथधाम की स्थापना हुई और पहली रथयात्रा उसी वर्ष दिनांक 16 जुलाई, 2007 को आयोजित हुई। उस समय समिति के समक्ष 22 किलोमीटर लम्बी इस यात्रा के सम्बन्ध में अनेक शंकाएँ थीं, क्योकि इतनी लम्बी दूरी तय करने वाली देश की सम्भवतः यह एक मात्र रथयात्रा है। इस रथयात्रा में श्री जगन्नाथपुरी की तरह भगवान जगन्नाथजी, सुभद्राजी, बलभद्रजी और सुदर्शनजी की मूल प्रतिमाएँ नगर भ्रमण पर जाती हैं।
रथयात्रा से एक दिन पूर्व आषाढ़ शुक्ल पक्ष 1, मंगलवार दिनांक 09 जुलाई, 2013 को भगवान का प्राकट्य होगा। भगवान श्रीजगन्नाथजी का महास्नान ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा को होता है। इस दिन भगवान की चारों मूर्तियां (बलभद्रजी, सुभद्राजी, जगन्नाथजी एवं सुदर्शनजी) रत्नवेदी से आकर स्नान वेदी में 108 सुवर्णघट जल से स्नान करके गणेश रूप धारण करते हैं। उस दिन से भगवान रत्न सिंहासन पर 15 दिन तक अस्वस्थ रहते है, अतः पट बन्द रहते हैं, आषाढ़ मास की अमावस तक दर्शन नहीं देते हैं, तथा औषधि-भोगका ही सेवन करते हैं। आषाढ़ शुक्ल पक्ष 1 को पुनः दर्शन देते हैं, भगवान का यह प्राकट्य उत्सव के रूपमें आयोजित होता है।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal