स्मार्ट भीतरी शहर पर संवाद व श्रमदान
समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, मेवाडी स्थापत्य एवं स्वच्छता की पुनर्बहाली से ही उदयपुर का भीतरी शहर "स्मार्ट" बनेगा। उक्त विचार झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा श्रमदान संवाद में व्यक्त किये गए।
समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, मेवाडी स्थापत्य एवं स्वच्छता की पुनर्बहाली से ही उदयपुर का भीतरी शहर “स्मार्ट” बनेगा। उक्त विचार झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा श्रमदान संवाद में व्यक्त किये गए।
संवाद में झील संरक्षण समिति के डॉ अनिल मेहता ने कहा कि भीतरी शहर की अपनी विरासत है। समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराए है। भीतरी शहर का एक विशिष्ठ स्वरुप है जो झीलों, बावड़ियों, हवेलियों, गोखड़ो एवं पर्यावरणीय स्वच्छता से मिलकर बना है। इन्हे संरक्षित किये बिना शहर को स्मार्ट नहीं बनाया जा सकता।
झील मित्र संस्थान के तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि भीतरी शहर में सीवरेज रिसाव, टूटी फूटी नालियो से सारा भू जल घोर रूप से प्रदूषित है। इस स्थिति को बदले बिना स्मार्ट बनने की कल्पना बेमानी है। पालीवाल ने झीलों से सीवरेज लाइन को तुरंत बाहर निकालने की मांग दोहराई।
डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि भीतरी शहर को स्मार्ट बनाने की जिम्मेदारी नागरिको पर ज्यादा है। जागरूक नागरिकता ही गलियो, घाटो पर शौच विसर्जन,पोलिथिन उपयोग एवं परंपरागत स्थापत्य, हवेली, गोखड़ो, बावड़ियों का विनाश रोक सकती है।
संवाद पूर्व पिछोला के चांदपोल घाट पर झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रमदान द्वारा झील से घरेलू अनुपयोगी सामान, शराब की बोतले, पुराने कपडे, पोलथिन, प्लास्टिक व जलीय घास निकाली।
श्रमदान में रमेश चन्द्र राजपूत, कुलदीपक पालीवाल, राम लाल गेहलोत, अम्बा लाल नक्वळ, अजय सोनी, दुर्गा शंकर पुरोहित, हर्षुल कुमावत, दीपेश स्वर्णकार, गरिमा कुमावत, प्रियांशी कुमावत, भावेश पुरोहित, शंकर पालीवाल, डॉ अनिल मेहता व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।
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