मूर्तियों के विसर्जन द्वारा हो रही हानियों पर संवाद


मूर्तियों के विसर्जन द्वारा हो रही हानियों पर संवाद

“झीलों की नगरी की झीले नये जल से लबालब है। नवरात्री का पर्व समापन की और अग्रसर है एंव नवरात्रि के दौरान जिन देवी मूर्तियों की पूजा अर्चना की गयी है उनके विसर्जन की तैयारिया चरम पर है। झीलों के जल को निर्मल रखने और देवी प्रतिमाओं का आदर इसी में निहित है कि मूर्तियों का विसर्जन झीलों में न करें”। - डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित परिसंवाद में उक्त विचार उभर कर आये।

 

“झीलों की नगरी की झीले नये जल से लबालब है। नवरात्री का पर्व समापन की और अग्रसर है एंव नवरात्रि के दौरान जिन देवी मूर्तियों की पूजा अर्चना की गयी है उनके विसर्जन की तैयारिया चरम पर है। झीलों के जल को निर्मल रखने और देवी प्रतिमाओं का आदर इसी में निहित है कि मूर्तियों का विसर्जन झीलों में न करें”। – डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित परिसंवाद में उक्त विचार उभर कर आये।

संवाद में यह बात भी उठी की, हाल ही में इलाहबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में संगम में मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाई है। जब गंगा और यमुना जैसी सदानीरा बड़ी नदियों का पानी भी मूर्तिओ से प्रभावित होता है ऐसी स्थिति में शहर की झीलों का क्या हश्र होगा।

झील संरक्षण समिति के अनिल मेहता व डॉ तेज राजदान ने कहा कि मूर्ति, ताजिये या कोई अन्य पूजन या इबादत की सामग्री झील में प्रवाहित करना रुकना चाहिए। पेय जल को गन्दा करना अनुचित है और प्रशासन से बार बार आग्रह करने के उपरांत भी विसर्जन हेतु स्थान का निर्धारण नहीं होना संवेदनहीनता की निशानी है।

बजरंग सेना के कमलेन्द्र सिंह पवार ने कहा कि झीलों में होने वाले विसर्जन को रोका जाना चाहिए। इस वर्ष एक सो पैतीस मुर्तिया मेलडी माता मंदिर से ले जाई गयी है जो पिछले वर्ष नवरात्री पश्चात् मंदिर में रखी गयी थी। पवार ने आग्रह किया की जो भी गरबा मंडल चाहे मेलडी माता मंदिर में मुर्तिया रख सकेगा और उसे अगले वर्ष पुनः ले जा सकेगा जिससे मूर्ति की हमेशा पूजा अर्चना भी होगी और अगले वर्ष के लिए संरक्षित भी। झील व पर्यावरण संरक्षण के लिए इस वर्ष तिरपन माताजी की तस्वीरे बांटी गयी हैं तथा जो गरबा मंडल मूर्ति को झील में विसर्जन नहीं करेगा उस गरबा मंडल को इस वर्ष बजरंग सेना द्वारा आयोजित पर्यावरण सम्मान समारोह में सम्मानित किया जायेगा।

चाँद पोल नागरिक समिति के तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि, प्रति वर्ष मूर्ति विसर्जन के पश्चात् झील प्रेमिओ द्वारा मूर्तियों को बहार निकल जाता है किन्तु मूर्तियों पर लगे कठोर और विषेले रंग जल में गुल जाते है जो जलीय जीवो के साथ ही मानव स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

डॉ. मोहन सिंह मेहता ट्रस्ट के सचिव नन्द किशोर शर्मा ने बताया कि झील हितेशियों, मिडिया, नागरिक संस्थाओ एवं धार्मिक संघठनो ने मूर्ति, ताजिये आदि के विसर्जन पर जो चेतना बनायी है उसे और आगे ले जाने की जरुरत है। शर्मा ने आगे कहा कि झीलों को स्वच्छ बनाये रखने का दायित्व प्रशासन का है।

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