तिलक महाविद्यालय में हिन्दी सप्ताह के तहत परिचर्चा


तिलक महाविद्यालय में हिन्दी सप्ताह के तहत परिचर्चा

जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघठक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में शुक्रवार को हिन्दी सप्ताह के तहत आयोजित परिचर्चा तथा विचार संगोष्ठी में बी.एड. तथा एस.टी.सी. के छात्रों ने निष्कर्ष निकाला और बताया कि, हिन्दी भाषा हमारी राष्ट्रीय अस्मिता स्वाभिमान का प्रतीक है। हिन्दी हमारी प्राण वायु एवं जीवन रस है। भाषा संस्कृति से राष्ट्र ऊर्जावान होता है। संस्कृति राष्ट्र का स्वरूप है।

 

तिलक महाविद्यालय में हिन्दी सप्ताह के तहत परिचर्चा

जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघठक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में शुक्रवार को हिन्दी सप्ताह के तहत आयोजित परिचर्चा तथा विचार संगोष्ठी में बी.एड. तथा एस.टी.सी. के छात्रों ने निष्कर्ष निकाला और बताया कि, हिन्दी भाषा हमारी राष्ट्रीय अस्मिता स्वाभिमान का प्रतीक है। हिन्दी हमारी प्राण वायु एवं जीवन रस है। भाषा संस्कृति से राष्ट्र ऊर्जावान होता है। संस्कृति राष्ट्र का स्वरूप है।

साथ ही छात्रों ने कहा कि, हिन्दी के साथ अन्य भारतीय भाषाओं का आदर एवं सम्मान होना चाहिए। छात्रों हिन्दी कविताऐं तथा रचनाऐं भी प्रस्तुत की।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में सरस्वती वन्दना तथा दीप प्रज्जवलन से शुरूआत हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. देवेन्द्र आमेटा ने बताया कि इस विशाल भारत में अनेक उन्नत समृद्ध भाषाऐं है। मगर हिन्दी सबसे व्यापक भाषा है। गॉंधीजी से स्वयं कहा कि राष्ट्र भाषा हिन्दी के बिना राष्ट्र गूंगा है। हिन्दी में सम्पूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोऐं रखने की क्षमता है।

कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि डॉ. अमी राठौड, डॉ. सुनीता मोडिया और वृन्दा शर्मा थे। अध्यक्षता डॉ. बलिदान जैन ने की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कैलाश चौधरी ने किया। धन्यवाद हरीश चौबीसा ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ. रेणु हिंगड, डॉ. शाहिद कुरैशी, डॉ. हिम्मत सिंह, बलबन्त सिंह चौहान, डॉ. ललित श्रीमाली ने भी विचार प्रस्तुत किये।

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