दुख का मुख्य कारण रोग एवं राग


दुख का मुख्य कारण रोग एवं राग

श्री जैन श्वेतामबर मूर्ति पूजक संध जिनालय की ओर से शांतिनाथ-सोमचन्द्र सूरी आराधना भवन में पर्युषण पर्व के प्रथम दिन आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि प्रवर हितरति महारज ने कहा कि जीवन में दुख का सबसे बड़ा एवं मुख्य कारण रोग एवं राग है।

 

श्री जैन श्वेतामबर मूर्ति पूजक संध जिनालय की ओर से शांतिनाथ-सोमचन्द्र सूरी आराधना भवन में पर्युषण पर्व के प्रथम दिन आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि प्रवर हितरति महारज ने कहा कि जीवन में दुख का सबसे बड़ा एवं मुख्य कारण रोग एवं राग है।

उन्होंने कहा कि मनुष्य को महान बनने से पूर्व इंसान बनना चाहिये। जीवन में 85 प्रतिशत खाने से होते है। पर्युषण पर्व के दौरान उपवास एक धार्मिक क्रिया है। उन्होंने कहा कि बच्चों को ईच्छाएं पूरी करनी चाहिये जिद नहीं। उन्होनें श्रावक धर्म के 5 कर्तव्य बतायें,जिसमें पहला अमारी परितर्वन अर्थत नीचे देखकर चलना, दूसरा साधर्मिक भक्ति, तीसरा परस्पर क्षमापना, चतुर्थ अट्ठम तप यानि तीन उपवास तथा पांचवा चैत्स परिपाटी।

संघ के अध्यक्ष सुशील बांठिया ने बताया कि मुनि प्रवर द्वारा पर्युषण पर्व के दौरान श्रावक कर्तव्य बताने के बाद वर्ष भर के 11 कर्तव्य बतायें जाऐंगे।

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