‘न्याय आपके द्वार’ शिविर में आपसे सहमति से निपटाए गए विवाद


‘न्याय आपके द्वार’ शिविर में आपसे सहमति से निपटाए गए विवाद

राजस्व लोक अदालत: न्याय आपके द्वार शिविर में विभिन्न मामले आपसे सहमति से सुलझाए गए। जो कि शिविर की सफलता की कहानी बयां करती है। शिविर में निम्न मामले निपटाए गए।

 
‘न्याय आपके द्वार’ शिविर में आपसे सहमति से निपटाए गए विवाद

राजस्व लोक अदालत: न्याय आपके द्वार शिविर में विभिन्न मामले आपसे सहमति से सुलझाए गए। जो कि शिविर की सफलता की कहानी बयां करती है। शिविर में निम्न मामले निपटाए गए। 

आपसी सहमति से हुआ बंटवारा

ग्राम पंचायत दादीया पंचायत समिति गोगुन्दा में एक बंटवारे का वाद अंतिम रूप से डिक्री किया जाकर निपटाया गया। वाद अभयसिंह पिता भूरसिंह राजपूत बनाम श्रीमती राधाबाई बेवा शंकरलाल ब्राह्मण के बीच चल रहा था। प्रकरण में राधाबाई के अलावा 6 और पक्षकार थे। वादी व प्रतिवादीगण के बीच उपखण्ड अधिकारी मुकेश कुमार कलाल द्वारा समझाईश की गई, तो पक्षकारान राजीनाम हेतु सहमत हो गये। पत्पश्चात् प्रकरण में प्रारंभिक डिक्री ज़ारी की जाकर विभाजन योजना प्रस्ताव तहसीलदार गोगुन्दा से तलब कर अंतिम डिक्री पारित की गई।

43 वर्ष बाद मिला वारिसाना हक

जावड़ के रामलाल एवं कंकूबाई के लिए सोमवार को वरदान बनकर सामने आया। अभियान के तहत लगे शिविर में उन्हें 43 वर्ष पश्चात वारिसाना हक मिला।

मावली के उपखण्ड अधिकारी जितेन्द्र ओझा ने बताया कि 1974 में जावड़ की निसंतान मेहताबी बाई के स्वर्गवास के पश्चात उसकी भूमि के नामांतरण को लेकर रामलाल व कंकूबाई के मध्य विवाद था। इस संबंध में उपखण्ड अधिकारी कार्यालय में वाद भी दायर किया गया था। न्याय आपके द्वार शिविर में समझाइश के बाद दोनो पक्षकारों में राजीनामा करवाया गया। स्वर्गीय मेहताबी बाई की भूमि का दोनो में आधा-आधा हिस्सा बांटते हुए डिक्री जारी कर पीठासीन अधिकारी जितेन्द्र ओझा ने डिक्री की नकल प्रदान की।

आपसी सहमति से हुआ रास्ते के विवाद का निस्तारण

राजस्व लोक अदालत अभियान न्याय आपके द्वार न केवल भूमि संबंधी प्रकरणों का निस्तारण कर रहा है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य सुविधाएं प्रदान करने में भी सहायक सिद्ध हो रहा है। ऋषभदेव के कागदर भाटिया में ग्रामीणों को आने-जाने हेतु रास्ता प्रदान करने में इस शिविर की महती भूमिका रही है।

उपखण्ड अधिकारी शैलेष सुराणा ने बताया कि हुरमा, नानजी तथा धर्मा के मध्य लम्बे समय से रास्ते का विवाद चल रहा था। राजस्व लोक अदालत शिविर में आपसी समझाइश के बाद दोनो पक्षों में रास्ते का उपयोग करने पर सहमति बनी। इस हेतु वादीगण अपनी सह खातेदारी भूमि में होकर रास्ते का उपयोग करने पर सहमत हुए और अपने वाद को वापस ले लिया। इस प्रकार यह अभियान एक विवाद के अंत का साक्षी बना।

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