बाल अधिकारों पर संभाग स्तरीय कार्यशाला आयोजित
राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तत्वाधान में आज उदयपुर में आयोजित संभाग स्तरीय कार्यशाला में आयोग अध्यक्ष दीपक कालरा, आयोग सदस्यगण, प्रबुद्धजन एवं सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों के अधिकारी, प्रतिनिधियों ने बाल अधिकार संरक्षण विषय पर गहन चिन्तन करते हुए भावी पीढी के विकास के प्रति प्रतिबद्घता जतायी।
राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तत्वाधान में आज उदयपुर में आयोजित संभाग स्तरीय कार्यशाला में आयोग अध्यक्ष दीपक कालरा, आयोग सदस्यगण, प्रबुद्धजन एवं सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों के अधिकारी, प्रतिनिधियों ने बाल अधिकार संरक्षण विषय पर गहन चिन्तन करते हुए भावी पीढी के विकास के प्रति प्रतिबद्घता जतायी।
आयोग अध्यक्ष कालरा ने कहा कि सम्पन्न राष्ट्र की कल्पना को साकार बनाने के लिए हमें बच्चों की बेहतर परवरिश के साथ उन्हें आदर्श पीढी के रूप में तैयार करना होगा। उन्होंने बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए समाज, परिवार के हर तबके को अपनी नैतिक जिम्मेदारी उठाने की जरूरत बतायी।
साथ ही कहा की बच्चे को जन्म से लेकर बालिग होने तक के लिए परिवार अभिभावकों की जिम्मेदारी तय करते हुए प्रभावी कानूनी प्रावधान है। बाल अधिकारों को और प्रभावी बनाने की दिशा में समय-समय पर संशोधित बिल लाए जा रहे हैं जो देश के बच्चों के हितों की और मजबूती से संरक्षित करने में सहयोगी होंगे।
कालरा ने कहा कि देश में अशिक्षा, गरीबी एवं भौगोलिक असमानताएं जैसे कई कारणों से बच्चों की स्थिति दयनीय है। देश में हर दिन 5 हजार बच्चों की मौत हो जाती है। राजस्थान में प्रति 1000 में से 65 बच्चे प्रतिवर्ष एक वर्ष की आयु से पूर्व मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। बाल श्रमिकों की अधिकता में राजस्थान दूसरे नंबर पर है इन सभी पहलुओं पर गहन चिन्तन करने की जरूरत है। उन्होंने बीटी कॉटन व्यवसाय में राज्य से पलायन रोकने के लिये बच्चों को बेहतर शिक्षा, उनके परिवारों के लिए रोजगार के बेहतर स्त्रोत सृजित करने के साथ ही सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन्हें दिलाने के प्रभावी प्रयास किये जाने पर भी बल दिया।
समारोह में संभागीय आयुक्त डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि उदयपुर क्षेत्र में बाल श्रमिक पलायन की समस्या के निराकरण के लिए जनजाति बहुल जिलों में बीटी कपास कृषि एवं रोजगारोन्मुखी गतिविधियों से बच्चों के परिवारों को जोडकर आर्थिक सम्बल प्रदान किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम को व्यवहारिक तौर पर लागू कर ही बालकों की समस्याओं का निदान किया जा सकता है।
जिला कलक्टर विकास एस. भाले ने कहा कि आजीविका, विकास, संरक्षण एवं सहभागिता के आधार पर बाल अधिकारों को संरक्षित किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कार्यशाला के बेहतरीन अनुभव लेकर सभी को बाल कल्याण की दिशा में अभिनव प्रयास कर बच्चों का उज्जवल भविष्य तय करने की जरूरत पर बल दिया। तकनीकी सत्रों में प्रो. शोभा नन्दवाना ने संभाग में बच्चो के बेहतरीन विकास के परिदृश्य के सुधीर कटियार ने ‘बाल श्रमिक एवं उनका पलायन‘ यूनीसेफ के आशीष नागौरी ने बच्चों के पुनर्वास के लिए पुलिस, श्रम विभाग, बाल कल्याण समिति एवं स्वंयसेवी संगठनों मेंं परस्पर समन्वय आदि पर विचार रखे।
कार्यशाला के खुले सत्रों में गायत्री संस्थान के लक्ष्मीनारायण पंड्या ने ग्रामों के एक किमी के दायरे में प्राथमिक शालाए खोलने, आंगनबाडी एवं बालवाडीयों में बच्चों के विकास लिए समूचित व्यवस्था, आसरा संस्थान के भोजराज सिंह ने आवासीय विद्यालयों की स्थापना, श्री राठोड ने जिले में बन्द हुए बाल श्रमिक विद्यालयों की बकाया 1.80 करोड का केन्द्र से भुगतान लंबित होने सहित अन्य कई संभागियों ने अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं की ओर आयोग का ध्यान आकृष्ट किया और महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये।
आयोग सदस्यों विश्वंभर, सुदीप गोयल, गोविन्द बेनीवाल एवं नूर मोहम्मद भी विविध सत्रों में संभागियों द्वारा उठाए गए मुद्दो के जवाब दिये। अन्त में आभार आयोग के उप सचिव के.एन. मीणा ने जताया ।
कार्यशाला में मुख्य कार्यकारी अधिकारी अबरार अहमद (उदयपुर) एस.एल.पालीवाल (बांसवाडा) अति. संभागीय आयुक्त प्रज्ञा केवलरमानी, महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक श्वेता फगोडीया, अति.पुलिस अधीक्षक कालुराम रावत, संयुक्त श्रम आयुक्त पंतजलि भू सहित बडी संख्या में संभाग के विभिन्न विभागों के अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं स्वंयसेवी संगठनों के प्रतिनिधिगण मौजूद थे।
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