वसुंधराजी जनमत को राज दरबार का तख्त समझने की भूल मत करो !


वसुंधराजी जनमत को राज दरबार का तख्त समझने की भूल मत करो !

राजस्थान में लोगो को इससे बुरे दिन शायद नही हो सकते कि प्रचण्ड जनमत की सरकार ज

 
वसुंधराजी जनमत को राज दरबार का तख्त समझने की भूल मत करो !

राजस्थान में लोगो को इससे बुरे दिन शायद नही हो सकते कि प्रचण्ड जनमत की सरकार जनहित कार्य का जिम्मा लेने की बजाय तानाशाही रवैया अपना रही है। बेरोजगारी, बदहाली और अव्यवस्था के राज में अब जनता के पास एक ही अधिकार जो बचा हुआ था, वो था आवाज उठाने का। सरकार अब इसे भी छीनना चाहती है ।

विधानसभा सत्र में जो अध्यादेश रखा गया है जिसके चलते अब केस दर्ज करने के लिए भी सरकार से अनुमति लेनी होगी, ये वाक़ई दुर्भाग्यपूर्ण है। हास्यास्पद तो ये हे कि गृहमंत्री बयान दे रहे है कि ये ईमानदार अफसर की प्रतिष्ठा बचाने के लिए किया जा रहा है। ऐसे में सवाल यही कि क्या आरोप लगते वक़्त आप न्यायपालिका से पहले ही तय कर लेंगे कि दोषी है या नही, फिर स्वीकृत करेंगे केस दर्ज करने के मामले में, ऐसे में सरकार न्यायपालिका के अधिकारों का हनन नही करेगी ये भी संदेह है। न्यायपालिका में मुकदमा जाये उससे पहले दर्ज करने की स्वीकृति सरकार देगी ऐसा अध्यादेश लाना सरकार के भ्र्ष्ट रवैये को सरंक्षण देने की मानसिकता को उजागर करता है।

राजस्थान में असंवेदनशील बीजेपी सरकार के इस रवैये पर बीजेपी ने कोई टिपण्णी नही की, ये भी बड़ा चिंताजनक है। वो भी तब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदर्शवादी लोकतंत्र की बाते करते है। हर चुनावी रणनीति और देश के मुद्दे पर ट्वीट करने वाले मोदीजी जब ऐसे मुद्दे पर खामोश हे तो उनकी व्यापक दृष्टि की जगह चयनित अभिव्यक्ति भी जगजाहिर हो रही है। ये अध्यादेश वाक़ई कल के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करने को उतारू हे ऐसे में जरूरत है कि हम खूब लिखे, विचार अभिव्यक्त करे और सड़कों पर आये। अन्यथा इस सरकार की सर्वेसर्वा का ये राज दरबार का रवैया राजस्थान के भविष्य को अंधकार में ले जायेगा।

Views in the article are solely of the author Mr. Garurav Dwivedi

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