धर्म कार्यों के लिए प्रतिक्षा न करें: मुनिश्री सुविज्ञसागरजी
वैज्ञानिक धर्माचार्य आचार्यश्री कनकनन्दी गुरूदेव के लघु शिष्य श्रमण मुनि सुविज्ञ सागर ने हिरण मगरी सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में उपस्थित श्रावकों से कहा कि धार्मिक कार्यों में आने के लिए कभी निमंत्रण का इन्तजार नहीं करना चाहिये, क्योंकि धर्म-कर्म के अनुष्ठानों पर तो हर एक का अधिकार होता है। इसके लिए किसी निमंत्रण की प्रतिक्षा नहीं करनी चाहिये।
वैज्ञानिक धर्माचार्य आचार्यश्री कनकनन्दी गुरूदेव के लघु शिष्य श्रमण मुनि सुविज्ञ सागर ने हिरण मगरी सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में उपस्थित श्रावकों से कहा कि धार्मिक कार्यों में आने के लिए कभी निमंत्रण का इन्तजार नहीं करना चाहिये, क्योंकि धर्म-कर्म के अनुष्ठानों पर तो हर एक का अधिकार होता है। इसके लिए किसी निमंत्रण की प्रतिक्षा नहीं करनी चाहिये।
मुनिश्री ने कहा कि संसार में कोई भी मौलिक कार्य स्वावलम्बन सह अपेक्षा- उपेक्षा प्रतीक्षा से रहित होने पर ही साध्य होता है। किसी भी कार्य की उपलब्धी तभी हांसिल हो सकती है जब वह कार्य भीड़ से हट कर किया जाए, कठिनाईयों को पार करते हुए किया जाए। कामयाबी के रास्त बड़े ही कठिन होते हैं, लेकिन जब कामयाबी मिल जाती है तो हर रास्ता आसान हो जाता है।
मुनिश्री ने धर्मसभा में आचार्यश्री कनकनन्दीजी द्वारा सृजित कविता आह्वान सहित व रहित भी के रहस्यों को भी उपस्थित श्रोताओं के सामने बखान किया।
प्रचार प्रसार मंत्री पारस चित्तौड़ा ने बताया कि धर्मसभा में पाश्र्व गायिका ममता जैन ने भी मंगलाचरण के रूप में भाव-भाग्य एवं भविष्य रचना की सुमधुर प्रस्तुति दी। आचार्यश्री की मध्यान्हिका स्वध्याय कार्यशाला में भी तत्वजिज्ञासु रूचि पूर्वक भाग लेकर रोजाना ज्ञानार्जन कर रहे हैं।
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