कर्म स्वयं करो फल प्रभु पर छोड़ दो: आचार्य शान्ति सागरजी
आप कर्म करते रहो और उसका फल प्रभु के ऊपर छोड़ दो, उसकी कामना कभी मत करो। कर्म यह सोच कर मत करो कि इसका फल क्या होगा, कब मिलेगा। हमेशा कोई भी धार्मिक, सामाजिक या मांगलिक काम करो उसे नि:स्वार्थ भाव से करना चाहिये। उक्त विचार आचार्य शान्तिसागरजी महाराज ने हुमड़ भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये।
आप कर्म करते रहो और उसका फल प्रभु के ऊपर छोड़ दो, उसकी कामना कभी मत करो। कर्म यह सोच कर मत करो कि इसका फल क्या होगा, कब मिलेगा। हमेशा कोई भी धार्मिक, सामाजिक या मांगलिक काम करो उसे नि:स्वार्थ भाव से करना चाहिये। उक्त विचार आचार्य शान्तिसागरजी महाराज ने हुमड़ भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये।
आचार्यश्री ने कहा कि हर मनुष्य के आगे- पीछे कोई न कोई विरोधी, आलोचक या निन्दक जरूर रहते हैं, लेकिन उनसे नाराज होने के बजाए मनुष्य को खुश होना चाहिये, क्योंकि जहां ऐसे लोग होंगे वहां काम भी अच्छा होगा। जहां कोई आलोचक या निन्दक नहीं होगा उस काम में इतना निखार भी नही आ पाएगा। निन्दक और विरोधी हमेशा सामने वाले को कुछ न कुछ सिखाकर या सबक देकर ही जाते हैं। प्रभु को हमेशा इतना तो जरूर कहना चाहिये कि हे प्रभु मुझे दे देकर इतना भी मत दे देना कि मैं तुमको ही भूल जाऊं।
आचार्यश्री ने कहा कि प्रभु के स्मरण मात्र से ही कई सारे दुखों का क्षय हो जाता है। जिस तरह पानीपतासे, रबड़ी इत्यादि की नाम लेने मात्र से ही मनुष्य के मुंह में पानी आ जाता है, उसी तरह प्रभु के स्मरणमात्र से ही सारे दुख दूर हो जाते हैं। मनुष्य को समय रहते हर काम कर लेने चाहिये। समय निकल जाने के बाद फिर पछतावे के सिवाय मनुष्य के पास कुछ नहीं बचता। गया धन तो फिर भी वापस मिल सकता है लेकिन याद रखना गया हुआ समय दुबारा फिर वापस कभी नहीं आ सकता।
कार्यवाहक अध्यक्ष सेठ शान्तिलाल नागदा ने बताया कि शनिवार की धर्मसभा के पुण्यार्जक महावीर प्रसाद जोलावत परिवार रहे। प्रचार प्रसार मंत्री पारस चित्तौड़ा ने बताया कि धर्मसभा प्रारम्भ से पूर्व ब्रह्मारिणी बहन कल्पना दीदी एवं बसन्ती देवी ने मंगलाचरण किया एवं विभिन्न धार्मिक विधियां सम्पन्न करवाई। सायंकालीन आयोजित हुए धार्मिक कार्यक्रमों में भक्ति संध्या, गुरू पूजा आदि सम्पन्न हुए।
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