वेद पढ़ना आसान वेदना पढ़ना मुश्किलः आचार्य शान्तिसागरजी
वर्तमान काल में जो भक्ति का पान करेगा वह अमृत हो जाएगा। जिन्हें देना हांेता है वह उदार दिल के होते हैं एवं उदार दिल वालों को दिल का दौरा नहीं पड़ता। यह दिल परिवार, समाज और दोस्तों को न देकर गुरू के चरणों में अर्पित करने से शास्वत सुख की प्राप्ति होती है।
वर्तमान काल में जो भक्ति का पान करेगा वह अमृत हो जाएगा। जिन्हें देना होता है वह उदार दिल के होते हैं एवं उदार दिल वालों को दिल का दौरा नहीं पड़ता। यह दिल परिवार, समाज और दोस्तों को न देकर गुरू के चरणों में अर्पित करने से शास्वत सुख की प्राप्ति होती है।
गुरू के चरणों में आकर सुनना, समझना एवं जीवन में उतारना मोक्ष का कारक बनता है। उक्त विचार आचार्य शान्तिसागरजी महाराज ने हुमड़ भवन में आयोजित धर्म सभा में उपस्थित श्रावकों के समक्ष व्यक्त किये।
आचार्यश्री ने कहा कि राम राज्य में सतियुग था पर कलियुग के रूप में केकैइ एवं मन्थरा विद्यमान थीं। इस कलियुग में हिटलर एवं निरो हुए तो सतियुग के रूप में गुरू भी विद्यमान हैं। वेद पढ़ना सरल है पर किसी की वेदना पढ़ना बहुत मुश्किल है। जिस प्रकार प्रातःकाल सूर्य किरण से कमल खिल जाते हैं, उसी प्रकार सुदूर स्थित प्रभु स्मरण से भक्तों के भाग्य खुल जाते हैं।
आचार्यश्री ने कहा कि खोलते हुए, उबलते हुए, हिलते हुए पानी में जिस प्रकार मनुष्य अपना चेहरा नहीं देख सकता है उसी प्रकार क्रोध में इंसान स्वयं को नहीं देख पाता। जिस प्रकार स्थिर पानी में चेहरा देख सकते हैं, उसी प्रकार शान्त मन से हम स्वयं का दिग्दर्शन कर सकते हैं।
पार्श्वनाथ भगवान कथा 26 सेः चातुर्मास कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष सेठ शान्तिलाल नागदा ने बताया कि हुमड़ भवन में 26 जुलाई शनिवार से पार्श्वनाथ कथा का 8 दिवसीय आयोजन आचार्यश्री के सानिध्य में प्रारम्भ होगा। जिसमें पार्श्वनाथ भगवान के पांचों कल्याण का आचार्यश्री के मुखारबिन्द से कथा वर्णन किया जाएगा एवं भास्कर एण्ड पार्टी द्वारा नृत्य नाटिकाओं की भी सुन्दर प्रस्तुतियां भी दी जाएगी।
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