भोजन में सबसे पहले मीठा, नमकीन व बाद में कसैला खाएं
शरीर में मूलत: व्याधियों का घर पेट होता है लेकिन इसके बावजूद मनुष्य इस ओर ध्यान नहीं देता है। इस लिये वह अक्सर बीमार रहता है। यदि वह इस ओर ध्यान दे तो वह आजीवन पूर्णत: स्वस्थ रह सकता है।
शरीर में मूलत: व्याधियों का घर पेट होता है लेकिन इसके बावजूद मनुष्य इस ओर ध्यान नहीं देता है। इस लिये वह अक्सर बीमार रहता है। यदि वह इस ओर ध्यान दे तो वह आजीवन पूर्णत: स्वस्थ रह सकता है।
यह कहना था योग गुरू देवेन्द्र अग्रवाल का, जो आज महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान द्वारा द्वारा आयोजित वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि 40 वर्ष तक हम स्वयं अपने शरीर को बनाते है और इसके बाद चिकित्सक हमारें शरीर को बनाता है। इससे बचने के उपाय सभी धर्मो एंव संस्कृतियों में विद्यमान है लेकिन हम उसका अनुसरण नहीं करते है। इस अवसर पर उन्होंने बैठने की विधि, भोजन करने का क्रम, आदि को विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि बैठने पर हिप्स को सहारा दें, शरीर को ढीला छोड़े,पद्मासन में जमीन पर बैठ कर भोजन करें। दोपहर का भोजन हमें भूख से 25 प्रतिशत कम तथा संायकालीन भोजन भूख से 50 प्रतिशत कम करना चाहिये। भोजन रस्सेदार होना चाहिये। भेाजन करने के समय सबसे पहले मीठा, फिर नमकीन एवं बाद में कसैला खाना चाहिये।
इस अवसर पर संस्थान के महासचिव भंवर सेठ ने प्रारम्भ में सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ.बी.एल.वर्मा ने की एंव अंत में धन्यवाद भी डॉ. वर्मा ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर हीरालाल कटारिया, फतहलाल नागौरी दिलखुश सेठ एवं कृष्णचन्द्र श्रीमाली ने भी अपने विचार रखें। इस अवसर पर वयोवृद्ध सदस्या सज्जनदेवी कटारिया का उनके जन्मदिवस पर सम्मान किया गया।
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