पर्यावरण सरंक्षण हेतु किया इको-फ्रेंडली होलिका दहन
उदयपुर 22 मार्च, उदयपुर शहर में प्रतिवर्ष होलिका-दहन में हजारों की संख्या में सेमल वृक्ष को जलने से बचाने के लिए सेमल सरंक्षण अभियान में लगी सोसाइटी फॉर माइक्रोवाइटा रिसर्च एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन (स्मरिम), उदयपुर द्वारा विगत नौ वर्षों से इको-फ्रेंडली लोह-होलिका-दहन किया जा रहा है।
उदयपुर 22 मार्च, उदयपुर शहर में प्रतिवर्ष होलिका-दहन में हजारों की संख्या में सेमल वृक्ष को जलने से बचाने के लिए सेमल सरंक्षण अभियान में लगी सोसाइटी फॉर माइक्रोवाइटा रिसर्च एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन (स्मरिम), उदयपुर द्वारा विगत नौ वर्षों से इको-फ्रेंडली लोह-होलिका-दहन किया जा रहा है।
सोसाइटी अध्यक्ष डॉ एस. के. वर्मा ने बताया की सेमल सरंक्षण अभियान के तहत बुधवार, 21 मार्च को उदयपुर शहर में पत्रकार कॉलोनी, चित्रकूट नगर, पंचवटी, रामसिंह जी की बाड़ी और भींडर तथा कानोड़ के कुछ स्थानों पर सेमल वृक्ष के स्थान पर लौह स्तम्भ पर चारा और घास बाँध कर और गोबर के कंडे प्रयोग कर अल्प-प्रदूषण युक्त सामूहिक इको-फ्रेंडली होलिका दहन किया गया तथा सभी स्थानो पर पर्यावरण को सुरक्षित करने की इस पहल का स्वागत किया गया।
डॉ वर्मा ने कहा हमें परम्परा को बचाने हेतु एक सेमल वृक्ष जलाने पर दस नए पौधे लगाने के संकल्प को प्राथमिकता देनी होगी तथा ईको-फ्रेंडली लोह/कंडो की होली / सेमल-रहित होली को अपनाकर पर्यावरण सरंक्षण में योगदान देना होगा। उदयपुर, भींडर तथा कानोड़ में इस प्रयोग को सफल बनाने में सोसाइटी सदस्य इंद्रसिंह राठौर, अंजू, तपोनिष्ठा, ओम व्यास, गोपाल सोनी, कैलाश चौधरी, मोड़ सिंह, जगदीश सोनी, सत्यनारायण, राहुल, दिनेश शर्मा इत्यादि का पूर्ण सहयोग रहा।
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सोसाइटी सचिव डॉ वर्तिका जैन ने बताया की लगभग 1000 रु. में उपलब्ध ये लोह-स्तम्भ होलिका दहन के लिए किफायती, टिकाऊ और पर्यावरण-सरंक्षी विकल्प है जो साल दर साल उपयोग में लिए जा सकते हैं। उन्होंने कहा की यदि समय रहते नहीं चेते तो वो समय दूर नहीं जब होली जलाने के लिए एक भी सेमल नहीं बचेगा और इसीलिए सोसाइटी 2011 से लोह-स्तम्भ पर सफलतापूर्वक होलिका दहन कर कर सेमल जैसे महत्त्वपूर्ण औषधीय वृक्ष को बचाने के लिए प्रयासरत है साथ ही उदयपुर शहर के आस-पास विभिन्न स्थानो पर सेमल के लगभग 500 पौधे रोप कर सेमल सरंक्षण अभियान को सफल बना रही है।
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