सामुहिक भागीदारी से ही राष्ट्र का आर्थिक विकास संभव – प्रो. ज्ञानप्रकाश


सामुहिक भागीदारी से ही राष्ट्र का आर्थिक विकास संभव – प्रो. ज्ञानप्रकाश

भारत में सुशासन शिक्षा में निजी, सार्वजनिक साझेदारी, जनसंख्यॉ डिविडेंट का उचित प्रयोग करके राष्ट्र के आर्थिक विकास को त्वरित किया जा सकता है।

 

सामुहिक भागीदारी से ही राष्ट्र का आर्थिक विकास संभव – प्रो. ज्ञानप्रकाश

भारत में सुशासन शिक्षा में निजी, सार्वजनिक साझेदारी, जनसंख्यॉ डिविडेंट का उचित प्रयोग करके राष्ट्र के आर्थिक विकास को त्वरित किया जा सकता है।

किसी भी राष्ट्र की प्रगति उसके भौतिक प्रगति एवं आम जन की मानसिकता पर निर्भर करती है। चीन, जापान, रूस आदि सम्पन्न देशों ने भौतिक प्रगति तो बहुत कर ली लेकिन मानसिक प्रगति से आज कोसो दूसर है। वहां का नागरिक आज भी तनाव में जी रहा है।

ये बात जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक श्रमजीवी महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग की ओर से सोमवार को समावेशी विकास पर आयोजित एक दिवसीय व्याख्यानमाला में देवी अहिल्या विवि के प्रो. ज्ञानप्रकाश ने अपने उद्बोधन में कहे।

विभागाध्यक्ष डॉ. पारस जैन ने बताया कि अतिथियेां का स्वागत करते हुए विभागीय जानकारी दी। समारोह की अध्यक्षता कला संकाय अधिष्ठाता प्रो. सुमन पामेचा ने की जबकि मुख्य अतिथि पीजी डीन प्रो. प्रदीप पंजाबी थे। इस अवसर पर प्रो. सुनिता सिंह, प्रो. मुक्ता शर्मा, डॉ. मलय पानेरी, डॉ. धीरज जोशी, डॉ. युवराज सिंह राठौड़ सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित थे।

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