बोहरा यूथ के गोल्डन जुबली सेलिब्रेशन के तहत ईद मिलन कार्यक्रम आरएनटी में सम्पन्न
उदयपुर, 9 जून 2019 सिर्फ़ मुस्लिम परिवार में पैदा हो जाने, मुस्लिम नाम रख लेने, रोज़े रखने, नमाज़ - क़ुरान पढ़ने, हज और उमराह की यात्रा भर कर लेने से कोई मुसलमान नहीं हो जाता। जब तक पवित्र धर्म ग्रन्थ क़ुरान को पढ़-समझ कर, उस पर मनन कर के उसके अनुसार कर्म नहीं किये जाते तब तक मुसल
उदयपुर, 9 जून 2019 सिर्फ़ मुस्लिम परिवार में पैदा हो जाने, मुस्लिम नाम रख लेने, रोज़े रखने, नमाज़ – क़ुरान पढ़ने, हज और उमराह की यात्रा भर कर लेने से कोई मुसलमान नहीं हो जाता। जब तक पवित्र धर्म ग्रन्थ क़ुरान को पढ़-समझ कर, उस पर मनन कर के उसके अनुसार कर्म नहीं किये जाते तब तक मुसलमान होने का दावा करना सरासर ग़लत और क़ुरान की बुनियादी शिक्षा और उसूलों के ख़िलाफ़ है। ये विचार मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू युनिवर्सिटी हैदराबाद के कुलपति प्रो. मोहम्मद असलम परवेज़ ने आज यहाँ आर एन टी मेडिकल कॉलेज सभागार में सुधारवादी बोहरा यूथ आंदोलन की स्वर्ण जयंति वर्ष के अवसर पर आयोजित ईद मिलन समारोह में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किये। उन्होंने क़ुरान शरीफ़ की विभिन्न प्रमुख आयतों की संदर्भों सहित विस्तृत व्याख्या करते हुए इसे विशेष तौर से रेखांकित किया कि दुर्भाग्य से मुसलमानों ने क़ुरान को सिर्फ़ अपनी किताब मान लिया जबकि ये पवित्र धर्मशास्त्र वर्ग-वर्ण से ऊपर समस्त मानव जाति के कल्याण और उन्नति के लिये है , जिसका अनुसरण किया जाना चाहिए।
डॉ एम् असलम परवेज़ ने बताया की कुरआन सिर्फ मुसलमानो के लिए नहीं बल्कि इस धरती के सभी इंसानो के लिए एक गाइडलाइंस है। कुरआन का हुक्म हे की हमने औलाद ए आदम को इज़्ज़त बख्शी। यह नहीं कहा की सिर्फ मुसलमानो को इज़्ज़त बख्शी। कुरआन सभी इंसानो के साथ बराबरी का सुलूक करने और सभी इंसानो के साथ मधुर व्यवहार का आदेश देता है। जो कोई इस हुक्म को नहीं मानता वह मुसलमान नहीं हो सकता।
मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. आर एन व्यास ने बतौर मुख्य अतिथि अपने उद्बोधन में कहा कि धर्मगुरुओं से हमारी प्रश्न न करने की प्रवृति की वजह से ही आज मानव वर्ग, वर्ण , पंथ और जातियों में बंटा हुआ है और परस्पर नफ़रत और ग़ैर-बराबरी बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि बोहरा यूथ सुधारवादी आंदोलन प्रश्न करने के कारण ही समाज में सुधार की ओर अग्रसर है और विभिन्न धर्म-पंथ के मानने वालों के साथ साझा कार्यक्रम आयोजित करता है।
विशिष्ठ अतिथि मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. हदीस अंसारी ने उपस्थित अभिभावकों, बच्चों और श्रोताओं को क़ुरान पढ़ने, समझने और उस पर अमल करने पर बल दिया ताकि वे जीवन में सफलतापूर्वक आगे बढ़ सके। इनके अलावा समारोह में सेंट पॉल्स के फादर सुभाष आनंद, सिख समुदाय के ज्ञानी हरभजन सिंह, आर्य समाज के मंत्री धीरज ने भी समय समय पर इस तरह के समारोह आयोजित करने का आव्हान किया ताकि भाईचारा और एकता को बढ़ाया जा सके।
दाऊदी बोहरा जमात के प्रवक्ता मंसूर अली ओड़ावाला ने बताया की इससे पूर्व ईद मिलन का शुभारम्भ मौलाना ज़ुलक़रनैन ने तिलावते-क़ुरान से किया और बोहरा यूथ के महासचिव गज़नफर अली ओकासा ने अतिथियों का स्वागत किया। आरिफ़ अमीन और उसके साथियों ने क़ौमी तराने और नात पेश कर सभी को अभिभूत कर दिया।
बोहरा यूथ समुदाय के 5 साल तक की उम्र में एक रोजा रखने बच्चे, 6 से 10 साल के आयु वर्ग के वह सभी बच्चे जिन्होंने 10 रोजे रखे तथा 14 साल की उम्र के करीब कुल 147 बच्चो को जिन्होंने इस भीषण गर्मी में पूरे महीने के 30 रोजे रखे है, उन्हें सम्मानित किया गया। इनाम पाकर मासूम बच्चो की ख़ुशी देखने लायक थी। अतिथियों ने भी इस गर्मी में बच्चो द्वारा रोज़े रखने की खुले दिल से तारीफ की। वहीँ कार्यक्रम के बाद सभी लोगो को शीरखुरमा तकसीम किया गया।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता सेंट्रल बोर्ड ऑफ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के संरक्षक आबिद अदीब ने की और अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन बोहरा यूथ के सचिव अनीस मियाजी ने किया। समारोह में दाउदी बोहरा जमात के अध्यक्ष फैयाज़ इटारसी, महासचिव ज़ाकिर हुसैन पंसारी, मुल्ला पीर अली, सेंट्रल बोर्ड ऑफ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के इरफ़ान इंजिनियर, तौसीफ हुसैन मंडी वाला, नासिर जावेद, रज़िया सनवाडी, शब्बीर नासिर, बोहरा युथ की अध्यक्ष रेहाना जर्मन वाला, सरफ़राज़ राज, बोहरा युथ गर्ल्स विंग की अध्यक्ष सकींना दाऊद एवं सभी पदाधिकारियों सहित शहर के कई गणमान्य नागरिकों के अलावा बड़ी संख्या में बोहरा यूथ समुदाय के स्त्री, पुरुष और बच्चे उपस्थित थे।
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