विश्वशांति णमोकार महामंत्र जाप्यानुष्ठान का आठवां दिन
नगर निगम प्रांगण में बने विशाल डोम पाण्डाल में आयोजित णमोकार महामंत्र जाप्यान
नगर निगम प्रांगण में बने विशाल डोम पाण्डाल में आयोजित णमोकार महामंत्र जाप्यानुष्ठान महोत्सव के आठवें दिन जाप्यार्थियों तथा सैंकड़ों श्रावकों की उपस्थिति में आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज का केसलोच कार्यक्रम बड़े ही श्रद्धा और उमंग के साथ सम्पन्न हुआ, साथ ही भगवान शीतलनाथ के जन्मकल्याण महोत्सव के तहत उन्हें निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया। इस दौरान पूरा पाण्डाल भगवान शीतलनाथ और आचार्यश्री के जयकारों से गूंज उठा।
महिला- पुरूष श्रद्धलुों ने अपनी जगहों पर खड़े होकर हाथ ऊपर उठाकर भगवान और गुरूदेव से आशीर्वाद ग्रहण कर अपनी श्रद्धा और भक्ति भाव को प्रकट किया।
सेठ शान्तिलाल नागदा ने बताया कि जाप्यानुष्ठान के साथ ही भगवान शीतलनाथ भगवान के जन्मकल्याणक महोत्सव के तहत उन्हें निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया जिनके पुण्यार्जक सेठ केसुलाल शान्तिलाल नागदा, विजय लाल रूप लाल भदावत तथा रोहित नटवरलाल शाह सेक्टर 4 वाले थे।
इसी तरह आचार्यश्री का केसलोच समारोह भी अपार उत्साह और भक्तिभाव के साथ सैंकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। केसलोच जेलने के पुण्यार्जक सर्वऋतुविलास वाले कालूलाल मोतीलाल चित्तौड़ा थे। इस दौरान जैन जागृति महिला मंच की अध्यक्षा अन्जना गंगवाल तथा मंजू गदावत ने महिला श्रावकों की विशेष तौर से व्यवस्था सम्भालने में सहयोग किया।
कार्यक्रम में पंचायतराज मंत्री गुलाबचन्द कटारिया, विधायक फूलसिंह मीणा, कुन्तीलाल जैन तथा पार्षद पारस सिंघवी ने कार्यक्रम में शिरकत कर आचार्यश्री से आशीर्वाद ग्रहण किया। जन्मकल्याणक महोत्सव एवं केसलोच समारोह के बाद आयोजित धर्मसभा में आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज ने उपस्थित जाप्यार्थियों एवं श्रावकों को भक्ति का महात्म्य बताते हुए कहा कि जाप्यानुष्ठान के लगातार आठवें दिन भी सैंकड़ों श्रद्धालुाअें की उपस्थिति यह बताती है कि उदयपुर वास्तव में एक धार्मिक नगरी है और यहां के वाशिन्दे धर्म में पूर्ण आस्था रखते हैं।
आचार्यश्री ने कहा कि कई लोग यह जानने को हमेशा उत्सुक होते हैं कि गुरूदेव के केसलोच के लिए इतना बड़ा आयोजन और पैसा खर्च करने की जरूरत क्या है, केस लोच तो कहीं भी हो सकता है। आचार्यश्री ने उनकी जिज्ञासाओं को शांत करते हुए कहा कि पहली बात तो यह है कि साधु हमेशा स्वाधीन रहा है और रहेगा पराधीन न कभी था और न रहेगा। इसलिए वो अपना केसलोच करवाने किसी पर आश्रित रह कर कहीं जा नहीं सकता। दूसरी बात साधु हमेशा अपना मस्तक सिर्फ देव, शास्त्र और गुरू के सामने ही झुकता है, इसलिए साधु के लिए हर कहीं पर अपना मस्तक झुकाकर केसलोच करवाना सम्भव नहीं होता।
आचार्यश्री ने कहा कि दुनिया में हर व्यक्ति को सब कुछ नहीं मिलता। जो कुछ परमार्थ और धर्म कार्य के लिए कुछ छोड़ता है उसे कुछ मिलता है, जो कुछ- कुछ छोड़ता है उसे कुछ- कुछ मिलता है, जो बहुत कुछ छोड़ता है उसे बहुत कुछ मिलता है, लेकिन जो परमार्थ और धर्म कार्यों के लिए अपना सब कुछ छोड़ देता है उसे दुनिया में परमात्मा सब कुछ दे देता है।
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