अठाहरवां सत्यार्थ प्र्रकाश समारोह प्रारंभ
वैदिक कर्मकांड प्रतिकात्मक है जिसमें सारी प्रक्रिया ज्ञानपूर्ण मनुष्य बनाने की होती है। इसमें दीपक का जलना और उसकी लौ का प्रज्वलित होना उस बालक की तरह है जो लौ के साथ विकसित होता है। ये विचार शनिवार को प्रारंभ हुए त्रिदिवसीय सत्यार्थप्रकाश समारोह में वेद विज्ञान के प्रख्यात मनीषी वेदप्रिय शास्त्री ने व्यक्त किए।
वैदिक कर्मकांड प्रतिकात्मक है जिसमें सारी प्रक्रिया ज्ञानपूर्ण मनुष्य बनाने की होती है। इसमें दीपक का जलना और उसकी लौ का प्रज्वलित होना उस बालक की तरह है जो लौ के साथ विकसित होता है। ये विचार शनिवार को प्रारंभ हुए त्रिदिवसीय सत्यार्थप्रकाश समारोह में वेद विज्ञान के प्रख्यात मनीषी वेदप्रिय शास्त्री ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि दीपक के जलने की सामग्री बालक के पालन-पोषण की प्रतीक है। इसमें शुद्ध वायु, शुद्ध जल और दूध की व्यवस्था होनी चाहिए। ज्ञानपूर्ण जीवन जीने के लिए भी इन्हीं की आवश्यकता होती है। इस दृष्टि से यज्ञशाला जीवन की एक पाठशाला है जिसके माध्यम से ज्ञानपूर्ण मनुष्यों का समाज तैयार किया जाता है। इसके माध्यम से भलीप्रकार संसार की संरचना हो सके। किसी भी कर्म के साथ श्रद्धा का भाव जरूरी है। श्रद्धापूर्वक किया गया कर्म ही आत्मिक आनंद की सृष्टि करता है जबकि अश्रद्धापूर्वक चाहे कितनी ही भौतिक क्रियाएं सम्पन्न होती हों पर उनसे आत्मा को सुख नहीं मिलता है।
यज्ञ के दौरान आर्य कन्या गुरूकुल शिवगंज की प्राचार्या डॉ. सूर्या आर्य एवं बह्मचारिणी स्नेहा आर्य द्वारा सुमधुर स्वर में मंत्रों का अविकल पाठ किया गया। यज्ञोपरान्त सुमेरपुर के जानेमाने भजनोपदेशक केशवदेव द्वारा भजन प्रस्तुत किये। संचालन इन्द्र प्रकाश ने किया।
ध्वजारोहण की रस्म अजमेर की साध्वी उत्तमा यति द्वारा ओम पताका फहराने से आदा हुई। इन्द्रदेव पीयूष के साथ ध्वजगीत की मोहक प्रस्तुति की गई। भूपेन्द्र शर्मा के संचालन में यह कार्य सम्पन्न हुआ। इसके बाद आयोजित वेद सम्मेलन की अध्यक्षता आबूरोड़ के दयानन्द विद्यापीठ के स्वामी शारदानन्द सरस्वती ने की। इस अवसर पर पूर्व अजमेर सांसद रासा सिंह रावत, डॉ. सूर्या आर्य, नई दिल्ली के वेद प्रकाश श्रोत्रीय, उदयपुर के लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति से समारोह का गौरव बढ़ाया। कोलकता के भजनोपदेशक कैलाश कर्मठ का उल्लेखनीय सान्निध्य रहा।
स्थानीय दयानन्द कन्या विद्यालय, की बालिकाओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। श्रीमद् दयानन्द सत्यार्थ प्रकाश न्यास के मंत्री भवानीदास आर्य ने स्वागत भाषण दिया। कैलाश कर्मठ द्वारा भजनों की आकर्षक प्रस्तुति दी गई। रासा सिंह रावत ने वेद की प्राचीनता एवं वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता पर सारभूत प्रकाश डाला। वेद प्रकाश श्रोत्रीय ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा विश्व मानव हेतु किए गए परमार्थ कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला और उनके योगदान को आज भी प्रासंगिक एवं मार्गदर्शक बताया।
न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष ने लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने अपने पूर्वजों की महान परंपरा का स्मरण करते हुए जनहितकारी उनके योगदान को रेखांकित किया और कहा कि उसी परंपरा का निर्वाह मैं हर समय करता रहूंगा। डॉ. सूर्या आर्य ने वेदों में उल्लेखित व्यावहारिक शिक्षा की जानकारी दी। स्वामी शारदानन्द सरस्वती ने ज्ञान के जनोपयोगी पक्ष के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। संचालन नोएडा के आचार्य हरिप्रसाद ने किया। कार्यक्रम संयोजक अमृतलाल तापडिय़ा ने महोत्सव के दूसरे दिन प्रात: 7 बजे आध्यात्मिक सत्र में यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य वेदप्रकाश तथा उपदेशक वेदप्रकाश क्षोत्रिय होंगे। प्रात: 10 बजे राष्ट्र निर्माण सम्मेलन होगा जिसके अध्यक्ष स्वामी सुमेधानंद, मुख्य अतिथि गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, विशिष्ट अतिथि मीठाईलाल सिंह, स्वामी आर्यवेश, रासासिंह, सोमदेव तथा वेदप्रिय शास्त्री होंगे। सायं 4 बजे महिला सम्मेलन होगा जिसमें अध्यक्ष स्वामी उत्तमायति, मुख्य अतिथि जलदायमंत्री किरण माहेश्वरी, विशिष्ट अतिथि शारदा गुप्ता तथा आचार्य सूर्या, डॉ. गायत्री पंवार, हरीप्रसाद शास्त्री वक्ता के रूप में उपस्थिति देंगे।
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