उम्र के ढलते ‘‘पड़ाव’’ में दिखा बुजुर्गो का दर्द


उम्र के ढलते ‘‘पड़ाव’’ में दिखा बुजुर्गो का दर्द

उदयपुर की नाट्य संस्था ‘‘नाट्यंाश सोसायटी ऑफ ड्रामेटिक एण्ड परफोर्मिंग आर्ट्स’’ के कलाकारों द्वारा आज शाम को पिछोला पाल पर नुक्कड़ नाटक ‘‘पड़ाव’’ का सफल मंचन किया गया।

 
उम्र के ढलते ‘‘पड़ाव’’ में दिखा बुजुर्गो का दर्द

उदयपुर की नाट्य संस्था ‘‘नाट्यंाश सोसायटी ऑफ ड्रामेटिक एण्ड परफोर्मिंग आर्ट्स’’ के कलाकारों द्वारा आज शाम को पिछोला पाल पर नुक्कड़ नाटक ‘‘पड़ाव’’ का सफल मंचन किया गया।

यह नाटक हमारे देश में बुजुर्गों के साथ हो रहे अनुचित व्यवहार और उनके अकेलेपन पर आधारित है। साथ ही इस नाटक में बुजुर्गों को उनके बच्चों द्वारा वृद्धाश्रम भेजने के मुद्धे पर भी प्रकाश डाला है।

बुजुर्ग हमारी समस्या नहीं होते बल्की कई समस्याओं का समाधान होते हैं। हमें उनसे सिर्फ बात ही तो करनी होती है। उनका ध्यान रखना होता है, बुजुर्ग हम पर बोझ नहीं होते बल्कि वो हमारे साथ रहकर कई बोझ हल्के कर देते है।

उम्र के ढलते ‘‘पड़ाव’’ में दिखा बुजुर्गो का दर्द

नाट्यांश के इस नाटक में अश्फाक नुर खान, अमित नागर, अमित श्रीमाली, रेखा सिसोदिया, तरूण जोशी और यथार्थ गोस्वामी ने अभिनय किया। साथ ही आयुष माहेश्वरी, चेतन मेनारिया और श्लोक पिम्पलकर ने भी सहयोग किया। नाटक का लेखन एवं निर्देशन मोहम्मद रिजवान मन्सुरी ने किया।

नाटक का साराशं – यह नाटक एक मध्यम वर्गिय परिवार के इर्द-गिर्द घुमता है। एक बुजुर्ग जोड़ा अपने बच्चे के लिए हमेशा चिन्तित रहता है और लड़का उनके इस प्यार और देखभाल को बन्दीश समझता है और इसी के चलते वो अपने बुजुर्गों को घर से निकाल देता है। बाद में उसे अपनी गलती का एहसास होता है और वो बुजुर्ग को ढुढ़ने जाता है और उनसे माफी मांग कर घर चलने का आग्रह करता है। स्वाभीमानी माता-पिता उसके साथ वापस घर जाने से मना कर देते है।

 

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