सरकारी सहयोग से मिला बगरू प्रिन्ट को प्रोत्साहन


सरकारी सहयोग से मिला बगरू प्रिन्ट को प्रोत्साहन

कॉटन के कपडे पर हाथ से ब्लॅाक प्रिन्ट के जरिये पक्के रंगो में तैयार होने वाली प्रसिद्ध बगरू प्रिन्ट को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार समय-समय पर उनके उत्थान के लिए योजनाएं चला रखी है, जो इस कार्य में लगे परिवारों के लिए जीवनदायनी साबित हो रही है।

 

सरकारी सहयोग से मिला बगरू प्रिन्ट को प्रोत्साहन

कॉटन के कपडे पर हाथ से ब्लॅाक प्रिन्ट के जरिये पक्के रंगो में तैयार होने वाली प्रसिद्ध बगरू प्रिन्ट को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार समय-समय पर उनके उत्थान के लिए योजनाएं चला रखी है, जो इस कार्य में लगे परिवारों के लिए जीवनदायनी साबित हो रही है। यह कहना है बगरू से आए हनुमान प्रसाद सहाय का। जो टाऊनहॉल में रूडा (रूरल नॉन फार्म डवलपमेंट एजेंसी) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय दस दिवसीय क्राफ्ट मेला-2०15 में भाग लेने आए है।

उन्होंने बताया कि बगरू के प्रिन्ट सिर्फ कॉटन कपडे पर ही तैयार होते है और एक बेडशीट को बनाने में कम से कम 5 दिन लग जाते है। पुश्तैनी धंधे को संभाल रहे सहाय ने बताया कि करीब 10 वर्ष पूर्व इस कला में 500-600 परिवार लगे हुए थे लेकिन ऋणों की आसान उपलब्धता व प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए निःशुल्क स्टॉल उपलब्ध कराने जैसे सरकारी सहयोग के कारण अब इस क्षेत्र्ा में परिवारों की संख्य्ाा बढकर 2500-3000 हो गई है।

इस मेले में बगरू प्रिन्ट के सूट, बेडशीट, चन्देरी सूट, जेकार्ड, पिलो कवर पर वेजीटेबल व नेचुरल रंगो का प्रय्ाोग किय्ाा जाता है जो शरीर को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पंहुचाते है। मेले में 50 रूपय्ों के पिलो कवर से लेकर 850 रूपय्ों का चन्देरी सूट उपलब्ध है। सरकारी संस्थाओं द्वारा प्रमोशन दिय्ाा जाना और अपने उत्पाद को सीधे उपभोक्ता तक पंहुचाने की राह तैय्ाार करने के कारण ही इस क्षेत्र्ा में रोजगार को बढावा मिला है।

रूडा के महाप्रबन्धक दिनेश सेठी ने बताय्ाा कि रूडा जैसे संस्था हर समय्ा पर हस्तकला के क्षेत्र्ा में देश में कायर््ारत दस्तकारों को इस प्रकार के मेलों के माध्य्ाम से एक मंच प्रदान करने का प्रय्ाासरत रहती है।

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