बालिकाओं को समान अवसर देने के लिए समाज को प्रोत्साहित करना – अनिल अग्रवाल
वेदांता रिसॉर्सेज पीएलसी. के समूह अध्यक्ष अनिल अग्रवाल को यह देखकर हार्दिक खुशी हो रही है कि भारतीय उपमहाद्वीप के कई क्षेत्रों में आज तक जो लडकियां उपेक्षित थीं, आज वे अपना यथोचित स्थान हासिल कर रही हैं।
वेदांता रिसॉर्सेज पीएलसी. के समूह अध्यक्ष अनिल अग्रवाल को यह देखकर हार्दिक खुशी हो रही है कि भारतीय उपमहाद्वीप के कई क्षेत्रों में आज तक जो लडकियां उपेक्षित थीं, आज वे अपना यथोचित स्थान हासिल कर रही हैं।
इसका कारण यह है कि आज का समाज उन्हें अब शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए ऐसी सुख-सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है, जिनसे लडकियों को बराबर का अवसर मिल रहा है। इस दिशा में विशेष तौर पर भारत के स्वप्नद्रष्टा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका सराहनीय है, जिनकी सरकार ने बालिकाओं की सहायता के लिए अपनी वचनबद्घता जाहिर कर चुकी है और जो इस बात को मानती है कि आज की शिक्षित बालिकाएं कल की सक्षम नारी नेतृत्वकर्ता बन सकेंगी।
वैश्विक रूप से, अनुभवजन्य आंक डे दर्शाते हैं कि बालिकाओं को समान अधिकार देने से समाज का तेजी से विकास होता है और इससे समावेशी राष्ट्रीय विकास की गति बढती है। आइए आज हम शपथ लें कि हम अपने घरों में हर बालिका को समान अवसर देंगे ताकि व्यक्तिगत परिवारों व वैश्विक समाजों के लिए उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित कर सकें।
चूंकि आज दुनिया अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मना रही है, ऐसे में इस बात के लिए नोबेल समिति की सराहना की जानी चाहिए कि उन्होंने काफी सोच-विचार कर 17 वर्षीय मलाला युसुफजई (पाकिस्तानी स्कूली छात्रा एक्टिविस्ट जिसने लडकियों की शिक्षा के अधिकार की लडाई लडी) और 60 वर्षीय कैलाश सत्यार्थी (भारतीय गांधीवादी एक्टिविस्ट जिनके अभियान में 80,000 से अधिक लोग और 750 संस्थाएं शामिल हैं जो भारत में बाल अधिकारों की रक्षा की वकालत करते हैं और इसके लिए सतत प्रयासरत हैं) को शांति का नोबेल पुरस्कार देने का निर्णय लिया।
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