संवेदनशील मानवीय मूल्यों पर आधारित उच्च शिक्षा की आवश्यक: राज्यपाल


संवेदनशील मानवीय मूल्यों पर आधारित उच्च शिक्षा की आवश्यक: राज्यपाल

राज्यपाल मारग्रेट आल्वा ने कहा कि साम्प्रदायिकता एवं संकीर्ण विचारधाराओं से जन्मीं हिंसा से जूझ रहे दक्षिण एशिया में साझे इतिहास व संवेदनशील मानवीय मूल्यों पर आधारित उच्च शिक्षा नितान्त आवश्यक है। वे उदयपुर के होटल फतह प्रकाश में ‘दक्षि

 
संवेदनशील मानवीय मूल्यों पर आधारित उच्च शिक्षा की आवश्यक: राज्यपाल

राज्यपाल मारग्रेट आल्वा ने कहा कि साम्प्रदायिकता एवं संकीर्ण विचारधाराओं से जन्मीं हिंसा से जूझ रहे दक्षिण एशिया में साझे इतिहास व संवेदनशील मानवीय मूल्यों पर आधारित उच्च शिक्षा नितान्त आवश्यक है। वे उदयपुर के होटल फतह प्रकाश में ‘दक्षिण एशियाई देशों के विश्वविद्यालयों में शिक्षा के क्षेत्र में नये मार्ग तलाशने की चुनौतियों एवं संभावनाओं’ को लेकर कुलपतियों की आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि पद से उद्बोधन दे रही थीं। कार्यशाला में देश विदेश के 70 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति भाग ले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के आयोजन के पीछे सबसे बडा उद्देश्य इन देशों के विश्वविद्यालयों के बीच प्रयासों को साझा कर कई क्षेत्रों में दूरियों को कम करना है। उन्होंने कहा कि इससे विश्वविद्यालयों में बढ रहे दबाव पर नियंत्रण पाने में सहायता भी मिलेगी।

राज्यपाल ने अपने भाषण में कहा कि उच्च शिक्षा द्वारा आज का युवा वर्ग न केवल ज्ञान और कौशल को बढा सकता है बल्कि इसके द्वारा मानवीय चेतना के विकास में भी सहायता मिल सकती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा को ऐसे उपकरण के रूप में देखती हूं जिसके इस्तेमाल से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारी सामाजिक एवं राजनैतिक पहचान बने।

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उन्होंने उच्च शिक्षा को नये सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता भी प्रतिपादित की। उन्होंने आज के दौर में युवा वर्ग को आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी विकास से जोडकर लक्ष्यार्जन के प्रति गंभीर बनाने की जरूरत भी बताई।

राज्यपाल ने कहा कि, देशों के बीच प्रतिद्वंद्विता से परे हटकर सहयोगात्मक रवैया अपनाने की जरूरत है, तभी सभी देशों का समग्र विकास संभव हो सकेगा। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के मध्य अमन की आशा कार्यक्रम को शांति एवं सौहार्द के क्षेत्र में नई शुरूआत बताते हुए कहा कि ऐसे नवाचारों एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान से सभी देशों के विकास की नई दिशा तय होगी।

यूरोप का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कई युद्ध झेलने के बाद भी स:शक्त आर्थिक सत्ता के रूप में उभरा है। दक्षेस देशों को भी इसी दिशा में अग्रणी प्रयास करने होंगे। उन्होंने महात्मा गांधी की अहिंसावादी विचारधारा को वर्तमान परिपेक्ष्य में उपयुक्त बताते हुए वसुधैव कुटुम्बक की प्राचीन परम्परा को विश्व शांति के अपनाने की जरूरत बतायी।

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मार्ग्रेट आल्‍वा ने कहा कि यह तकनीक और डिजिटल क्रान्ति का दौर है इसका इस्‍तेमाल उच्‍च शिक्षा को सशक्‍त बनाने के लिए करना होगा। उन्‍होंने इंटरनेट दूरस्‍थ शिक्षा को प्रभावी बनाने का बेहतरीन जरिया बताया एंव कहा की इसके माध्‍यम से कहीं भी बैठा शिक्षक पढा सकता है। उन्होंने वेब रेडियो, वेब टीवी  को उच्‍च शिक्षा में शामिल करने का सुझाव दिया।

राज्‍यपाल ने कहा कि तकनीकी क्रान्ति ने पूरे विश्‍व को एक गांव में बदल कर सारी दूरियां कम कर दी है। उन्‍होंने उच्‍च शिक्षा के जरिए नेतृत्‍व विकास की बात कही साथ ही लैंगिक विभेद मिटा कर बालिकाओं के लिए शिक्षा की व्‍यवस्‍था करना समाज का दायित्‍व है। उन्‍होंने अफगानिस्तान की मलाला युसुफजई का उदाहरण देते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब हम महिलाओं की शिक्षा के प्रति संवंदनशीन बने, उनके लिए उच्‍च शिक्षा के द्वार खोलें तथा उन्‍हें पूरा सम्‍मान दें।

उन्‍होंने उच्‍च शिक्षा को परिभाषित करते हुए कहा कि यह वह हथियार है जो आदमी को संवदेनशील बनाता है, सहिष्‍णु और समझदार बना कर लोकतन्‍त्र में आस्‍था जगाता है साथ ही उसका जीवन स्‍तर भी ऊंचा उठाता है। उन्‍होंने उच्‍च शिक्षा को महान उद्देश्‍य की नर्सरी बताया। उन्‍होंने हार्वर्ड विवि में अपने दिए वक्‍तव्‍य का जिक्र करते हुए कहा कि एशिया में में अभी भी कई देश पिछडेपन में है, पुरानी मान्‍यताओं से ग्रसित है इसके लिए हमे जाति धर्म से बाहर आकर उच्‍च शिक्षा को प्रभावी और सशक्‍त बनाना होगा ताकि हम विकास की गति को बढा सके।

कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि अफगानिस्‍तान में काबुल विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो मोहम्‍मद हिदायती ने कहा कि कुछ लोगों ने उच्‍च शिक्षा को व्‍यवसाय बना दिया है जो कि गलत है। अफगानिस्‍तान में 114 सरकारी तथा 83 निजी विवि है। उन्‍होंने सुझाव दिया कि उच्‍च शिक्षा को व्‍यवसाय बनाने से मूल्‍यों में गिरावट आ रही है। उन्होंने उच्‍च शिक्षा को रोजगार परक और मूल्‍यपरक बनाने की बात कही।

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महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउंडेशन के अध्‍यक्ष अरविन्‍द सिंह मेवाड ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति को छोड कर नए दौर के साथ चलने वाली सकारात्‍मक शिक्षा की राह अपनानी होगी ताकि हम भविष्‍य के लिए नई पीढी को सशक्‍त बना सके। उन्होंने शिक्षा को सुदृढ बनाने के लिए पर्याप्त शोध एवं संसाधनों की महत्ती आवश्यकता बतायी।

वेदान्‍ता समूह के एचआर प्रमुख एचआर मेहता ने कहा कि उच्‍च शिक्षा को गुणवत्‍ता पूर्ण बनाने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए उस देश का शिक्षा तंत्र मजबूत होना अति आवश्यक है।

कार्यक्रम के शुरु में  सुविवि के कुलपति प्रो आई वी त्रिवेदी ने सभी अतिथियों का स्‍वागत किया तथा सुखाडिया विश्‍वविद्यालय की विभिन्‍न गतिविधियों की विस्‍तार से जानकारी दी।  इस अवसर पर इस कांफ्रेन्‍स के समन्‍वयक प्रो पीआर व्‍यास तथा सचिव प्रो प्रदीप त्रिखा ने काफ्रेन्‍स स्‍मारिका पेश की जिसका राज्‍यपाल ने विमोचन किया। इसके साथ ही इस अवसर प्रो शरद श्रीवास्‍तव की पुस्‍तक पोस्‍ट कोलानियल तथा डा नवीन नन्‍दवाना के सम्‍पादन में शुरु हुई शोध पत्रिका समवेत का भी लोकार्पण किया गया। संचालन डॉ. कनिका शर्मा ने किया।

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