माइक्रोवाइटा दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन


माइक्रोवाइटा दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन

टेकरी-मदडी रोड स्थित जागृति परिसर में सोसाइटी फॉर माइक्रोवाइटा रिसर्च एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन (स्मरिम) द्वारा आज माइक्रोवाइटा दिवस का आयोजन हुआ।

 

 टेकरी-मदडी रोड स्थित जागृति परिसर में सोसाइटी फॉर माइक्रोवाइटा रिसर्च एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन (स्मरिम) द्वारा आज माइक्रोवाइटा दिवस का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अध्यक्ष डॉ. एस.के वर्मा ने बताया कि 31 दिसम्बर 1986 को प्रथम बार युग के महामनीषी प्रभात रंजन सरकार द्वारा “माइक्रोवाइटा (अणुजीवित) सिद्धांत” पर प्रथम व्याख्यान दिया गया था। इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष स्मरिम द्वारा 31 दिसम्बर को माइक्रोवाइटा दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि माइक्रोवाइटा सबसे सुक्ष्म जैविक सता है जो शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध आदि तन्मात्राओं के द्वारा ब्रम्हाण्ड में संचरण करते हैं। वायरस भी एक माइक्रोवाइटा की एक स्थूल कोटि ही है।

स्मरिम सचिव डॉ. वर्तिका जैन ने माइक्रोवाइटा विषय पर अनुसंधना की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि वर्तमान परिवेश में इस सिद्धांत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस विषय पर शोध हेतु भौतिक प्रयोगशालाओं के साथ ही मानसिक प्रयोगशालाओं की भी आवश्यकता है जिसको नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता। मानसिक प्रयोगशालाओं को मजबूत करने हेतु साधना, सत्संग और स्वाधायाय की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

इस अवसर पर स्मरिम कार्यकारिणी द्वारा त्रेमासिक बुलेटिन ‘बोमरिम’ के नूतन अंक का विमोचन भी किया जो  स्मरिम द्वारा लगातार चार वर्षो से प्रकाशित की जा रही है। समारोह का समापन धनात्मक माइक्रोवाइटा जन्य कीर्तन, सत्संग और स्वाधायाय के साथ हुआ। समारोह में गिरिधारी लाल सोनी, ओंकार लाल शर्मा, मंजू एवं अन्य स्मरिम सदस्य उपस्थित थे।

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