तंबाकू के कारण राज्य में हर साल 72 हजार मौतें


तंबाकू के कारण राज्य में हर साल 72 हजार मौतें

देशभर में तंबाकू व धूम्रपान की प्रभावी रोकथाम के लिए मीडिया ही नही हर व्यक्ति को व्यक्तिगत व सार्वजनिक स्थल पर आकर पहल करने की महती आवश्यकता है।

 
तंबाकू के कारण राज्य में हर साल 72 हजार मौतें

देशभर में तंबाकू व धूम्रपान की प्रभावी रोकथाम के लिए मीडिया ही नही हर व्यक्ति को व्यक्तिगत व सार्वजनिक स्थल पर आकर पहल करने की महती आवश्यकता है।

यह निष्कर्ष गुरुवार को हेाटल विष्णुप्रिया में तंबाकू नियंत्रण एवं मीडिया की भूमिका पर राजस्थान वोलंटरी हैल्थ एशेासियेशन की ओर से आयेाजित एक दिवसीय संभाग स्तरीय कार्यशाला में निकलकर आया कि तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों की प्रभावी रोकथाम के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा.हर्षवद्र्वन ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियेां केा पत्र भी लिखा है तथा जनजागरण के लिए अभियान सुनीता को भी लांच किया है।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए सवाईमानसिंह अस्पताल,जयपुर के आंख,नाक,कान व गला रोग के विशेषज्ञ डा.पवन सिंघल ने कहा कि तंबाकू व धूम्रपान की प्रभावी रोकथाम के लिए मीडिया के साथ साथ आमजन को भी इस प्रकार के गंभीर मुददों पर काम करने की आवश्यकता है,ताकि सभी के सकारात्मक प्रयास से इन पर रोक संभव है। खासतौर पर युवावर्ग को इससे बचाने की जरुरत है।घरों में बढती उम्र के युवाओं पर नजर रखी जाये ताकि वे इस प्रकार के नशों से दूर रहे।

तंबाकू के कारण राज्य में हर साल 72 हजार मौतें

उन्होने कहा कोटपा एक्ट की पालना प्रशासन के साथ साथ आमजन को भी करनी होगी,तभी तंबाकू पर रोक संभव है। उदयपुर संभाग में रियासतकाल के दौरान भी तंबाकू निषेध था। जिसकी सख्ताई से पालना भी हुई। वर्तमान में सख्त कानून के बावजूद तंबाकू पर रोक को लेकर बने कानून की पालना नही हो पा रही है।यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है।

उन्होने कहा कि तंबाकू से मरने वालों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है,जो कि चिंता का विषय है। इन मौतों को रोका जा सकता है। इसमें मीडिया की अहम् भूमिका है,परंतु आमजन को भी जागरुक होकर इस प्रकार की मुहिम में साथ देना होगा तभी समाज से इस प्रकार की बुराई को दूर किया जा सकता है।तंबाकू से परहेज कर अकाल मौत से बचा जा सकता है।इससे पीडि़त व्यक्ति व उनके परिजनों को न केवल शारिरीक,मानसिक,आर्थिक नुकसान का भी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

डा. सिंघल ने कहा कि गुटखा व अन्य तंबाकू उत्पादों के सेवन से राज्यभर में लगं कैंसर तथा 80 प्रतिशत मुंह के कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू को ही माना गया है। शुगर,हार्ट अटेक,रक्तचाप,मुंह,गला एंव फेफड़े का कैंसर,आंखों की रोशनी चले जाना,हाथ पैरों में विकृति,नपुसंकता सहित अनेक प्रकार की बीमारियेां का जन्मदाता है।

उन्होने बताया कि तंबाकू का सेवन किसी भी रुप में लोगों के लिये हानिकारक है, सरकारी विभागों एवं आमजन को इस पर रोकथाम के लिये आगे आना चाहिये। इसके लिये कोटपा कानून की कडाई से पालना होनी चाहिए।

पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही की स्थिति

राजस्थान वोलंटरी हैल्थ एशेासियेशन के परियोजना निदेशक विक्रम राघव ने कहा कि कोटपा कानून 2003 में बनाया गया था,लेकिन इसके बावजूद भी राज्य के पुलिस व जिला प्रशासन की शिथिलता के कारण इस कानून के तहत पिछले एक साल में अभी तक भी निर्धारित संख्या में चालान नही काटे गये है।जबकि पुलिस मुख्यालय से सभी पुलिस थानों केा कम से कम प्रतिमाह 20 चालान करने के निर्देश है। लेकिन यंहा पर स्थिति विपरीत है।

उदयपुर जिले में पिछले एक साल(अगस्त 2013 से 31 जुलाई 2014) तक 8880 चालान प्रति पुलिसथाना के हिसाब से कटने चाहिए थे लेकिन मात्र 24 चालान ही काटे गये। इसी प्रकार से बांसवाड़ा जिले में 3600 चालान कटने थे यंहा 990,डूंगरपुर में 2400 के स्थान पर 56,राजसमंद में 3600 में से 41,प्रतापगढ़ में 3360 में से 149 व चितौडग़ढ़ में 5520 की जगह पर मात्र 341 चालान काटे गये है।

पुलिस के ये आंकड़े वर्तमान स्थिति केा दर्शा रहे है। पुलिस कोटपा कानून को लागू कराने में पूरी तरह से विफल साबित हो रही है। पुलिस व शिक्षा इन दोनों विभागों की नाकामी का परिणाम यह है कि सार्वजनिक स्थलों पर रोक के बावजूद भी गुटखा व धूम्रपान आसानी से मिल रहा है।जिसका सीधा असर युवा वर्ग पर पड़ रहा है। राजस्थान में तंबाकू उत्पादों की खपत में वृद्वि बहुत ही चिंताजनक है।

उन्होने बताया कि वर्ष 2010 में वैश्विक व्यस्क तंबाकू सर्वेक्षण (गेट्स) के अनुसार राजस्थान में लगभग 1.5 करोड़ लोग किसी ना किसी रुप में तंबाकू का सेवन करतें है और इनमें से लाखों तंबाकू से संबधित रोगों के कारण प्रतिवर्ष मृत्यु को प्राप्त होते है।

राघव ने कहा कि खतरों व बीमारियेां को ग्लोबल इमरजेंसी के रुप में माना, इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फ्रेमवर्क कन्वेंशन फारॅ टोबेकेा कंट्रोल की स्थापना की। यह एक अंर्तराष्ट्रीय संधि थी जिस पर दुनियंाभर के 178 देशों ने हस्ताक्षर किये,जिसमें भारत भी शामिल था। इसी संधि की अनुपालना में वर्ष 2003 में भारत सरकार द्वारा कोटपा 2003 कानून (सिगरेट एंव अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003) लागू हुआ। 20 अप्रेल 2012 को राज्य के गृह विभाग ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकेां को निर्देश दिए थे कि वे कोटपा 2003 के तहत चालान काटकर इसकी सूचना प्रतिमाह की 5 तारीख तक पुलिस मुख्यालय को भेजे।

उन्होने कहा कि उदयपुर संभाग में तो आसानी से शिक्षण संस्थाअेां व सार्वजनिक स्थानों के आसपास ये जहर मिल रहा है। राज्य में विभिन्न सहयेागी संस्थाओं व सरकार के अधिकारियों के साथ मिलकर धूम्रपान को रेाकने के लिए रणनीति तैयार कर काम किया जा रहा है। जिसके परिणामस्वरुप राज्य के शिक्षा निदेशालय,स्वास्थ्य व पुलिस विभाग ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए अपनी कार्यप्रणाली में धूम्रपान को रोकने की नीति को शामिल किया है। जिसमें पुलिस विभाग ने धूम्रपान रोकने के लिए अलग से चालान बुक भी पुलिस विभाग के लिए प्रंटिंग करवाई है। जो विभिन्न जिला मुख्यालयेंा पर भिजवाई गई है।इसके साथ ही पुलिस व शिक्षा विभाग में नोडल अधिकारियेंा की नियुक्ति भी करवाई गई है।

माध्यमिक एंव प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने मासिक रिपोर्ट के माध्यम से स्कूलों के बाहर धुम्रपान बेचने वालेां को भी निर्देशित किया है। जिसके विवरण की एक प्रति पुलिस विभाग के पास शिक्षा विभाग को भेजना अनिवार्य कर दिया गया है। वर्तमान में प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के अनुसार अब धूम्रपान से संबधित मासिक रिर्पोट संबधित जिला शिक्षा अधिकारियेां के द्वारा प्रतिमाह 5 तारीख तक उनके द्वारा मासिक प्रगति रिपोर्ट के साथ भेजनी अनिवार्य होगी व इसकी कठोरता से पालना की जाएगी। इस निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने फरवरी 2013 से रिपोर्टिंग करनी शुरु कर दी।

राजस्थान एक नजर में

वे बतातें है कि राजस्थान में प्राइमरी स्तर के 109115 स्कूल है,जिसमें से 34414 स्कूल ही नियमित रुप से रिपेार्टिंग कर रहे है,इसमें से 33374 स्कूलों के बाहर कोटपा की धारा 6 बी के तहत निर्धारित सूचना पटट लगाया गया है,धारा 4 में 29452 स्कूल,शिक्षण संस्थानों से एक सौ गज की दूरी में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों का बिक्री स्थल पर 2920 स्कूल,धारा 4 में ही धूम्रपान पर 1008 स्कूल व तंबाकू रोकने की गतिविधियां 819 स्कूलों में संचालित हो रही है। इसी तरह से माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के कुल 24126 स्कूल है, जिसमें से 13121 स्कूल ही नियमित रुप से रिपेार्टिंग कर रहे है, इसमें से 9185 स्कूलों के बाहर कोटपा की धारा 6 बी के तहत निर्धारित सूचना पटट लगाया गया है,धारा 4 में 9929 स्कूल,शिक्षण संस्थानों से एक सौ गज की दूरी में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों का बिक्री स्थल पर 1261 स्कूल,धारा 4 में ही धूम्रपान पर 32 स्कूल व तंबाकू रोकने की गतिविधियां 5243 स्कूलों में संचालित हो रही है।

आंकड़ों के अनुसार भी भारत में 3000 लोग रोज तम्बाकू सेवन से बेमौत मर जाते है। और करीब 10,00,000 लोग साल भर में मृत्यु को प्राप्त करते है। राज्य में करीब 50 हजार मौतें तंबाकू से हो रही है। इसमें भी 14 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू का प्रयेाग यहां पर वर्तमान में कर रही है। तंबाकू वर्तमान में व्याप्त अन्य बीमारियों का भी प्रमुख कारण है। राज्य में 350 नये तंबाकू उपभोक्ता प्रतिदिन तैयार हो रहे है। राज्य सरकार को तंबाकू कर से गत वित्तीय वर्ष में 1000 करोड़ रुपये की आय हुई लेकिन राज्य में तंबाकू के उपयोग को कम करने हेतु इस राशि का एक प्रतिशत हिस्सा भी जन जागरुकता पर या आमजन की समझाइश पर खर्च नही किया गया।

उन्होने बताया कि राज्य सरकार ने कोटपा अधिनियम के तहत तंबाकू व धूम्रपान नियंत्रण पर सकारात्मक पहल करते हुए, पुलिस विभाग की मासिक अपराध समीक्षा रिपोर्ट में इसे शामिल करवाया है। राज्य में तंबाकू की वर्तमान बिक्री व आय,शैक्षणिक संस्थाओं के 100 गज की दूरी में तंबाकू उत्पाद बेचना,सार्वजनिक स्थानों पर रोक,विज्ञापन पर भी रोक है। श्री राघव ने बताया कि जिलेभर के सभी पुलिसथानों में चालान बुक भी पहुंच गई है। जिलेभर के पुलिस अधिकारियों ने कोटपा पर सवाल जवाब भी किए। तकरीबन 36 प्रतिशत बच्चे 10 साल की उम्र से पहले स्मोकिंग करना सीखते हैं ।

उदयपुर संभाग के आंकड़ों पर नजर

उदयपुर संभाग में भी राज्य के अन्य जिलों की तरह स्थिति चिंताजनक है, जिस पर सभी को तबाकू नियंत्रण पर रोक लगाने में सकारात्मक भूमिका निभानी होगी।

उदयपुर जिले में प्राईमरी स्तर के 3747 स्कूल है,जिनमें से 2818,चितोडग़ढ़ में 1845 में से 1750,बांसवाड़ा में 2674 में 855,राजसमंद में 1665 में 1065 तथ्रर डूंगरपुर में 2264 में से 2147 स्कूलों ने कोटपा की धाराअेा के तहत परिसर के अंदर व बाहर धूम्रपान न करने की सूचना केा अंकित कर रिपोर्ट प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय को प्रेषित की है।

इसी तरह से माध्यमिक स्तर में उदयपुर जिले में 762 स्कूलों में से 556,बांसवाड़ा में 443 में 443,चितौडग़ढ़ में 501 में 339,राजसंमद में 281 में 275 तथा डूंगरपुर में 312 में से 312 स्कूलेां ने कोटपा की धाराअेा के तहत परिसर के अंदर व बाहर धूम्रपान न करने की सूचना केा अंकित कर रिपोर्ट प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय को प्रेषित की है।

कैंसर व अन्य बीमारियेां को बढ़ावा

कार्यशाला में तंबाकू पीडितों ने अपने जीवन की पूरी कहानी को बताया कि किस प्रकार से सामान्य जीवन से आज इस प्रकार की कठिनाईयों का सामना करते हुए भी जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि तंबाकू सेवन के बाद सामान्य जिंदगी में किस प्रकार से बदलाव आया और समाज में अब किस प्रकार से देखा जा रहा है। इसके साथ ही तंबाकू से युवावर्ग को दूर रहने की सलाह दी। अपने जीवन की पूरी दास्ता को भी बयान किया।

मीडिया कार्यशाला में वोईस आफ टोबाको विक्टिम्स अभियान की और से चिकित्सकेां के नेतृत्व में तंबाकू पीडितों की और से तंबाकू नियन्त्रण पर मार्मिक अपील की गई।

कार्यशाला में उदयपुर के मीडिया प्रतिनिधियेां ने भाग लिया और तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों पर किस प्रकार रोका जाये व इसमें मीडिया की क्या भूमिका हो सकती है। इस पर विस्तार से चर्चा भी की। कार्यशाला में 35 मीडियाकर्मियों ने भाग लिया। कार्यशाला में अंत में सभी का आभार प्रताप मि़श्रा ने व्यक्त किया।

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