महंगे डॉक्टर भटकती जिन्दगी


महंगे डॉक्टर भटकती जिन्दगी

आज एक इन्सान ईलाज के लिए दर.दर भटकता मिल जायेगा। कहने को सरकार ईलाज की व्यवस्था करवा रही है अक्सर देखा जाता है दूर.दराज गांवों की हालत बड़

 

महंगे डॉक्टर भटकती जिन्दगी

आज एक इन्सान ईलाज के लिए दर.दर भटकता मिल जायेगा। कहने को सरकार ईलाज की व्यवस्था करवा रही है अक्सर देखा जाता है दूर.दराज गांवों की हालत बड़ी गम्भीर है।

अस्पताल व दवाखानों में स्टाफ व अच्छा डॉक्टर नही है। क्योंकि डॉक्टर बनना हर किसी ग्रामीण विद्यार्थीयों के बस का काम नही है डॉक्टर बनेगा तो कोई करोड़पति का लड़का या लड़की ही बन सकता है। और मेडीकल कॉलेज है वह भी बहुत महगें है जिसके कारण हर विद्यार्थी डॉक्टर नही बन सकता है। और जो बनते भी है वो शहर छोड़कर गांवों में जाने को तैयार नही है।

क्योंकि शहर में घर के पास नौकरी और वहां से आते ही घर पर प्रैक्टीस करना जिससे अच्छी.खासी कमाई हो जाती है। एक मरीज को देखने के 300 से 1000 रूपये तक फिस और जांचों व दवाईयों पर भारी कमीशन घर के बाहर मरीजों की कतार क्योकि सरकारी संस्थानों में ईलाज अच्छा नही होता। उसके अलवा डॉक्टर तो भगवान होता है। उससे किसी प्रकार बहस करना मरीज के जान के साथ खिलवाड़ करना होता हैं।

कही-कही तो डॉक्टरों के हाथ की मार भी खानी पड़ती है। ऐसा सुना हैं। सरकारी हॉस्पीटल में आये दिन हडताले होती है। परेशान होकर प्राईवेज हॉस्पीटल में जाना पड़ता है। वहां पर अन्धाधुन लुटमार होती है। बिना जरूरत जांचे करवायी जाती है। जिस मेडिसन या समान की जुरूरत नही होती उसे भी मांगवा लिया जाता है। परिवारवालों पूरी तरह लुटने के बाद अगर मरीज मर जाता है। तो उसे वेन्टीलेटर पर जबरदस्ती 4.5 दिन तक रखकर मोटी रकम वसुली जाती है। जो एक अमानवीय कृत्य है।

इस तरफ सरकार को ध्यान देना चाहिए। और सरकारी मेडीकल कॉलेज ज्यादा से ज्यादा खोलकर ज्यादा डॉक्टर बनाया जाना चाहिए। जिससे कि हर जगह डॉक्टर मिल सके। जिससे जनता के साथ हो रही लूट रूक सके और सस्ता व आसान ईलाज मिल सकें।

By: Bheem Singh Sisodia

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