तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में विशेषज्ञों ने दिये उपयोगी टिप्स
सेमिनार के मुख्य अतिथि केंद्रीय खान सचिव अरूण कुमार ने कहा कि प्रकृति से मिनरल का दोहन करना जरूरी है क्योंकि यह राजस्व प्राप्त करने का बड़ा स्त्रोत है। हमें खनन एवं पर्यावरण के बीच सामन्जस्य बिठाते हुए कार्य करना होगा ताकि प्रकृति को विनाश से बचाया जा सके। इसके लिये खनन से प्राप्त होने वाली आय का कुछ हिस्सा सामाजिक उत्थान के कार्यो में खर्च करना चाहिये।
सेमिनार के मुख्य अतिथि केंद्रीय खान सचिव अरूण कुमार ने कहा कि प्रकृति से मिनरल का दोहन करना जरूरी है क्योंकि यह राजस्व प्राप्त करने का बड़ा स्त्रोत है। हमें खनन एवं पर्यावरण के बीच सामन्जस्य बिठाते हुए कार्य करना होगा ताकि प्रकृति को विनाश से बचाया जा सके। इसके लिये खनन से प्राप्त होने वाली आय का कुछ हिस्सा सामाजिक उत्थान के कार्यो में खर्च करना चाहिये।
रविवार को माईनिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया राजस्थान चेप्टर उदयपुर, जोधपुर एवं जयपुर व सीटीएई के संयुक्त तत्वाधान में वर्तमान में भारत में खनन व पर्यावरण मुद्दे पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के अंतिम सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होेंने कहा कि राजस्थान में मार्बल, ग्रेनाईट व अन्य मिनरल के अकूत भण्डार है। हमें पर्यावरण संरक्षण के सामाजिक दायित्वों को निभाते हुए खनन को आगे बढ़ाना होगा। खनन के विकास के लिये बजट के विस्तार के साथ ग्राउण्ड स्तर पर कार्य करने व इसकी प्रक्रिया को आसान करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अति होने पर उसका समाधान जरूरी है। आमजन व सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद खनन में ई-ऑक्शन प्रक्रिया प्रारम्भ की है ताकि पारदर्शिता बनी रहे। उन्होंने एमईएआई को समय-समय पर अपने सुझावों को सरकार को भेजने एवं खनन के वैज्ञानिक शोध की जरूरत बताई।
कोटा खुला वि.वि. के कुलपति पी.के.दशेारा ने कहा कि विदेशी निवेश को बढ़ावा देने, खनन के दौरान ईको-फ्रेन्डली तकनीक अपनाकर पर्यावरण संरक्षण पर फोकस करने, सरकारी मशीनरी, विभिन्न विभागों व निजी संस्थाओं को खनन से होने वाली गंभीर बीमारियों से बचाव करने व पर्यावरण संरक्षण के साथ शोध व विकास पर जोर दिया। खान एवं भू विज्ञान विभाग के निदेशक डी.एस.मारू ने कहा कि विकास के लिये रॉ मटेरियल के तौर पर मिनरल बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के नियमों पर फोकस करते हुए इसके विकास की जरूरत बतायी।
मांईनिग इंजीनियर्स एसोसएिशन ऑफ इण्डिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरूण कोठारी ने एमआईए की 60 वर्ष की उपलब्धियों के साथ पीएम के कौशल विकास की तर्ज पर विभिन्न कॉलेजों एवं वि.वि. से समन्वय कर खनन का विकास करने व तीन दिवसीय सेमिनार की उपलब्धियां प्रोडक्टिबिटी बतायी। सरकार को खनन स्वीकृति के लिये जीएसटी की भंाति सिंगल विंडो की जरूरत है।
कार्यक्रम समन्वयक डॉ. एस.एस.राठौड़ बेहतर तकनीक अपनाकर कम लागम में उत्पादन करने व ईको-फ्रेन्डली खनन के साथ पर्यावरण संरक्षण के साथ प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना चाहिये। एमपीयूटी के कुलपति प्रो. उमाशकर शर्मा ने सीआरएस गतिविधियों के साथ पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुए खनन करने पर जोर दिया। एसोसिएशन के उदयपुर के चेपटर के अध्यक्ष एल.एस.शेखावत ने सेमिनार की तीन दिन की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। तीन दिवसीय सेमिनार में सीटीएई कॉलेज के अभियंात्रिकी विद्यार्थियों का विशेष सहयोग रहा। आयोजन सचिव एस.सी.जैन ने आभार व्यक्त किया।
मोबाईल एप से मिलेंगे खनन उद्योग को नये आयाम-स्मार्टसिटी उदयपुर में बैंकिग शॉपिंग के साथ डेली उपयोग में मोबाईल का उपयोग निरन्तर बढ़ रहा है। जोधपुर की माइनएक्सीलैंस कम्पनी की टेक्नीकल हेड युवा सोफ्टवेयर इंजीनियर श्वेता सिंघल का कहना है कि आगामी समय में स्मार्टमोबाईल एप के उपयोग से खनन उद्योग को नये आयाम मिलेंगे। उन्होेंने बताया कि एप की सहायता से ब्लासिटंग की एपू्रवल लेने, ब्लास्ट से पूर्व डिजाईन तैयार कर दुर्घटना से बचाव करने, डिजाईन का डेटा सुरक्षित कर जीपीएस एवं तकनीक के माध्यम से उसे दुनिया के कोने-कोने तक भिजवानें एवं कम लागत में अधिक उत्पादन कर खनन उद्योग को नई ऊँचाइयाँ मिल सकती है। सिंघल माइंनिंग चैलेन्जेज, रिन्यूएबल एनर्जी, रिसोर्सेस इन माईनिंग एण्ड कास्ट स्टडीज विषय पर बोल रही थी।
इस दौरान सुदर्शन ग्रुप ऑफ इन्डस्ट्रीज उदयपुर के आर.पी.गुप्ता ने सेालर पावर पर,माइंनिग इण्डियन इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी वाराणसी के के प्रो. बी.के.श्रीवास्तव ने माइंनिग एरिये के विकास व आगामी संभावनाओं पर, एमएसपीएल लि. के कार्यकारी निदेशक प्रो.एम.वेंकटेश ने आयरन ओर मिनरल की माइनिंग की भूत,भविष्य एंव वर्तमान, सीआईएमएफआर के वैज्ञानिक एस.के.रे ने माइंनिग मेथड व इसकी प्रक्रिया पर, एसआईएमआई सलाहकार व आरएसएमएमएल के पूर्व महाप्रबन्धक डॉ. आर.चौधरी ने मांइनिेग की चुनौतियेां व संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
अंतिम सत्र की अध्यक्षता आईआईटी मुबंई के प्रो. टी.एन.सिंह,आईआईटी बीएचयू वाराणसी के प्रो. बी.के.श्रीवास्तव ने की।
इस अवसर पर सूमह चर्चा के दौरान एन.सी.बंसल,अरावली मिनरल के महाप्रबन्धक के.सी.व्यास, दिल्ली के गुरदीपसिंह सहित अन्य वक्ताओं ने माइनिंग के नये नियमों, निवेश की राशि का अधिकाधिक उपयोग खनन में करने, बोलचाल में मातृभाषा हिन्दी का उपयोग करने, निचले स्तर पर कार्य करने, स्थायी विकास पर फोकस करने,छोटी-छोटी मांइसे के क्लस्टर बनाने, इसी क्लियर की प्रक्रिया को आसान बनाने एवं एमईएआई को खनन पर वैज्ञानिक शोध करने व विभिन्न सरकारी विभागों में आपसी समन्वय कर खनन उद्योग के विकास एवं आगामी संभावनाओं पर जोर दिया।
प्रस्ताव- प्रो. बी.बी धर ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि बजरी की अलग से खनन नीति बनाने व इसका विकल्प ढूढने, लॉ ग्रेड व वेस्ट मिनरल का वेल्यू एडिशन कर उपयोग करने,संचालित खानों का नवीनीकरण करने,खनन क्षेत्र में कौशल विकास पर फोकस करने, खनन क्षेत्र में पौधारोपण को बढ़ावा देने, एक बार में खनन के लिये 50 वर्षो के लिये एक ही बार में पर्यावरण व वन मंत्रालय से स्वीकृति मिलने,खनन क्षेत्र का नये सिरे से किल्यरीफिकेशन कर मिनरल बियरिंग जोन क्षेत्र में खनन के अलावा कोई अन्य गतिवधि निषेध करने,खदानों के स्थनान्तरण पर,कम टेक्स में स्थानान्तरण करने, खान विभाग में आधुनिक सोफ्ट टवेयर के द्वारा पर्यावरणीय पेरामीटर र्को आनलाईन मेनटेन करने आदि प्रस्ताव रखे गये।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal