फतहसागर की पाल पर माटी बानी और शुभ सरन बैंड ने मचाई धूम
‘कागा सब तन खाइयो, चुन-चुन खाइयो मांस, दो नैना मत खाइयो,पिया मिलन की आस...’ महाकवि बिहारी की पंक्तियों को अपनी वाणी की मिठास में घोल कर निराली कार्तिक ने जब अपने बैंण्ड माटी बानी की धुनों पर फतहसागर किनारे ध्यानमग्न बैठे श्रोताओं को सुनाया तो वे भाव- विभोर हो उठे। उसके बाद कभी कबीर, तो कभी बुल्लेशाह, तो कभी ठेठ देसी धुनों पर ‘अल्ला-ओम’ ने दर्शकों के दिलों के तार छेड दिए। मौका था उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल में शनिवार को सजी संगीत की खरी-खरी दुपहरी का।
‘कागा सब तन खाइयो, चुन-चुन खाइयो मांस, दो नैना मत खाइयो,पिया मिलन की आस…’ महाकवि बिहारी की पंक्तियों को अपनी वाणी की मिठास में घोल कर निराली कार्तिक ने जब अपने बैंण्ड माटी बानी की धुनों पर फतहसागर किनारे ध्यानमग्न बैठे श्रोताओं को सुनाया तो वे भाव- विभोर हो उठे। उसके बाद कभी कबीर, तो कभी बुल्लेशाह, तो कभी ठेठ देसी धुनों पर ‘अल्ला-ओम’ ने दर्शकों के दिलों के तार छेड दिए। मौका था उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल में शनिवार को सजी संगीत की खरी-खरी दुपहरी का।
हिंदुस्तान जिंक, राजस्थान टूरिज्म और वंडर सीमेंट के साझे में व सहर की संकल्पना व प्रोडक्शन में सजे इस संगीत महाकुंभ में माटी बानी और शुभ सरन के बैंड ने संगीत रसिकों को नई-ताजी, ऊर्जावान लहरों से लबरेज कर दिया। माटी बानी समूह के कार्तिक शाह और निराली कार्तिक ने अपने संगीत संग्रह हील द वर्ल्ड, बनजारा, रंग रंगैया, मितवा, बावरिया, बलमा, नैना बावरे, फंकी पावा, तोरे मतवारे नैना, ढाई आखर नाम, लेता जाइजो की चुनिंदा संगीत रचनाएं सुनाकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। भावनाओं के अलग-अलग स्पेक्ट्रम पर बिखरे उनके संगीत ने ग्राम्य लोक, सूफीवाद, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत, विश्व संगीत की शैलियों के शानदार मिश्रण से जादू जगाया। प्रस्तुतियों के दौरान दौरान कार्तिक ने बताया कि उनकी धुनें विश्व संगीत के उदार मिश्रण से बनी हैं। कलाकारों को ही नहीं, बल्कि संस्कृतियों को संगीत के ताने-बाने से आपस में बांधने का मकसद लिए वे झीलों की नगरी में आए हैं। उन्होंने गुजराती व राजस्थानी धुनों व बोल के साथ अंग्रेजी धुनों व शब्दों का ऐसा मिश्रण किया कि दर्शक वाह-वाह कर उठे। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में कबीर के ठेठ सीधे शब्दों की मार मन को छलनी कर गई। इससे पहले न्यूयॉर्क के भारतीय गिटारवादक और संगीतकार शुभ सरन ने अपने सात कलाकारों के बैंड जिसमें दो ड्रमर, दो सेक्सोफोन, दो कीबोर्ड व खुद बेस गीटार पर विभिन्न धुनें बजाते हुए लोगों को थिरकने पर मजबूर कर दिया। शुभ ने आधुनिक, जॉज नव-आत्मा और शास्त्रीय और समकालीन भारतीय संगीत के साथ रॉक से फ्यूजन की ध्वनियों का संसार रचा। उन्होंने संगीत रसिकों की फरमाइश पर दिल्ली के नाम हैज सुनाकर खूब तालियां बंटोरीं।
फेस्टिवल के निदेशक संजीव भार्गव ने बताया कि शनिवार सुबह 8 बजे के सत्र में आमेट की हवेली, अमराई घाट पर फ्रांस, स्पेन और ग्रीस के पेट्राकीस, लोपेज व कैमरिन का ट्रायो व सुभद्रा देसाई ने अपनी प्रस्तुतियों से आगन्तुकों का मन मोह लिया।
दिल तक पहुंचता है प्रमाणिकता वाला संगीत: शुभ सरन
वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल में भाग लेने आए शुभ सरन ने खास बातचीत में कहा कि कला सभी वर्गों के लिए समान है। खास तौर पर भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत कला में किसी भी प्रकार के वाद-विवाद का कोई स्थान नहीं है। हम हमेशा कला के माध्यम से सोसायटी को रिप्रेजेंट करते हैं और इसी मकसद से मैं उदयपुर आया हूं। उन्होंने कहा कि उनके बैंड में किसी भी तरीके के भाषा के बिना संगीत को सभी तरह की ऑडियंस तक पहुंचाना हीं उनकी खासियत है। उनका संगीत जैज होने के बावजूद भारतीय क्लासिकल से प्रभावित है। शुभ का कहना था कि यदि संगीत ईमानदारी और प्रामाणिकता से बजाया जाए तो दिल तक जरूर पहुंचता है। हालांकि उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि हर क्षेत्र की तरह संगीत के क्षेत्र में भी बहुत संघर्ष है लेकिन यदि मजबूती से कदम रखा जाए तो सफलता कदम चूमती है। शुभ ने कहा कि उदयपुर में आकर बहुत सुकून मिला है। यहां का सुकून और आबोहवा से सुकून मिला और लगता है कि ब्लड प्रेशर भी बहुत कम हो गया।
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