उदयपुर,1 सितंबर 2020। सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में बेतहाशा पसरी लेंटाना खरपतवार को हटाने के लिए चलाई जा रही उदयपुर पुलिस महानिरीक्षक बिनीता ठाकुर की मुहिम से अब ख्यातनाम फिल्म अभिनेता राहुल सिंह भी जुड़े हैं। पिछले एक माह से स्व-स्फूर्त रूप से चलाए जा रहे लेंटाना उन्मूलन के इस अभियान से धीरे-धीरे बड़ी संख्या में पर्यावरणप्रेमी और संस्थान भी जुड़ रहे हैं।
फिल्म अभिनेता राहुल सिंह बोले-लेंटाना उन्मूलन से बचेगा वन्यजीवों का बसेरा:
आईजी ठाकुर की मुहिम से प्रेरित होकर गत तीन दिनों से अभयारण्य में श्रमदान कर रहे बालीवुड के प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता राहुल सिंह ने कहा कि शुरू से ही वे पर्यावरण संरक्षण से जुड़े अभियानों में सक्रिय रहे हैं। बालीवुड फिल्म द गाजी अटेक, चितकबरे, कच्ची सड़क, खिलाड़ी 786 सहित कई फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता सिंह ने कहा कि पश्चिम बंगाल में हाथियों के संरक्षण के लिए ‘पब्लिक’ संस्थान के साथ भी उन्होंने कार्य किया है और उदयपुर में जब उन्होेंने देखा कि 519 हेक्टेयर में फैले सज्जनगढ़ अभयारण्य में लेंटाना के कारण वन्यजीवों का बसेरा संकट में है और लेंटाना उन्मूलन की मुहिम खुद आईजी बिनीता ठाकुर चला रही है तो वे इससे स्वतः ही जुड़ गए। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दिनों में उन्होंने इस अभयारण्य की खुबसूरती ने प्रभावित किया है और इस पर लेंटाना के दाग को हटाने के लिए वे लगातार श्रमदान करते रहेंगे। राहुल सिंह ने आमजनों से भी अपील की है कि इस प्रकार की मुहिम में वे सक्रिय भागीदारी निभाते हुए वन्यजीवों के बसेरे को बचावें।
हिरणों की बैचेनी से जन्मी लेंटाना उन्मूलन की मुहिम
लेंटाना उन्मूलन अभियान की मुख्य सूत्रधार आईजी बिनीता ठाकुर ने बताया कि गत माहों में वे लगातार सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में आ रही थी और इस दौरान उन्होंने यहां पाया कि हिरणों का झुण्ड अपने नेचुरल हेबिटाट में अतिक्रमण किए बैठे लेंटाना के कारण बेहद बैचेन दिख रहा था। बाद भी इस विषय पर विशेषज्ञों के साथ चिंतन किया तो पाया कि अभयारण्य के करीब 50 प्रतिशत भाग में यह खरपतवार फैला हुआ है। तेजी से फैलने वाला यह खरपतवार पहाड़ की तलहटी में अधिक फैला हुआ है अतः इससे यहां ग्रासलेण्ड पनप नहीं पा रहा है और परिणामस्वरूप घास पर जिंदा रहने वाले शाकाहारी जीव यथा चीतल, सांभर आदि के भोजन की काफी समस्या पैदा हो रही है। हिरणों की इसी बैचेनी से उन्होंने अपने स्तर पर ही इस अभियान को प्रारंभ किया और पिछले माह भर से आईजी ठाकुर के नेतृत्व में प्रतिदिन 35 से 40 पुलिसकर्मी, वन विभागीय कार्मिक व अन्य पर्यावरण प्रेमी लेंटाना को हटाने के काम में जुटे हुए है।
हनुमान चालीसा दे रही प्रेरणा
लेंटाना उन्मूलन की मुहिम में आईजी बिनीता ठाकुर की मुहिम में कांधे से कांधा मिलाकर कार्य कर रही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (अपराध व सतर्कता) स्वाति शर्मा ने बताया कि सुबह-सुबह पास के किसी मंदिर में प्रतिदिन बजने वाली हनुमान चालीसा की स्वर लहरियां यहां श्रमदान करने वाले लोगों को प्रेरित कर ऊर्जा का संचार करती रहती है। वे बताती है कि प्रतिदिन डेढ़ घंटे तक सभी लोग श्रमदान करते हैं जिसमें पचास प्रतिशत महिला पुलिसकर्मी भी होती हैं। उन्होंने कहा कि लेंटाना को हटाने के लिए एक विशेष यंत्र मंकी जैक का भी प्रयोग किया जा रहा है जिससे लेंटाना को जड़ समेत उखाड़ फैंका जा सके।
इन लोगों ने किया श्रमदान
इधर, मंगलवार को आईजी बिनीता ठाकुर के निर्देशन में प्रशिक्षु आईपीएस सुश्री रंजीता शर्मा, उप वन संरक्षक (वन्यजीव) अजीत ऊंचोई, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (अपराध व सतर्कता) स्वाति शर्मा, पुलिस उपाधीक्षक चेतना भाटी व हनुमंतसिंह, वावलवाड़ा थानाधिकारी प्रवीणसिंह, यूनिसेफ की बाल संरक्षण सलाहकार सिंधु बिनुजीत, जनसंपर्क उपनिदेशक डॉ. कमलेश शर्मा, पक्षी विशेषज्ञ विनय दवे, वागड़ नेचर क्लब से जुड़े आकाश उपाध्याय, विष्णु जोशी सहित बड़ी संख्या में पुलिस व वन विभागीय कार्मिक व पर्यावरणप्रेमियों ने श्रमदान करते हुए लेंटाना को हटाया।
उदयपुर के ताज को बचाने जुड़े लोग
आईजी ठाकुर ने कहा कि उदयपुर के ताज के रूप में प्रसिद्ध सज्जनगढ़ की जैव विविधता को बचाने के लिए लेंटाना का उन्मूलन बेहद जरूरी है और यह खुशी की बात है कि इस अभियान में धीरे-धीरे लोगों का जुड़ाव बढ़ता जा रहा है। उन्होंने आमजनों से भी आह्वान किया कि वे भी श्रमदान के माध्यम से अपने-अपने क्षेत्र में लेंटाना को हटाने का कार्य करें।
इसलिए जरूरी है लेंटाना उन्मूलन:
पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ.सतीश शर्मा ने बताया कि लेंटाना अमेरिका का मूल निवासी पौधा है। भारत में खरपतवार के रूप में प्रवेश कर गया है। यह अत्यधिक तेजी से बढ़ रहा है इससे वन्य क्षेत्र कटने लगे हैं ।लेंटाना अत्यधिक बढ़ने से यह स्थानीय वनस्पति को जल भोजन एवं प्रकाश पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने देता इससे स्थानीय वनस्पति कम होने लगी है और स्थानीय वनस्पति के कम होने से शाकाहारी जब वन्यजीवों को भोजन मिलना बंद हो गया है या कम हो गया है। इससे शाकाहारी जीव फसलों की ओर बढ़ने लगे हैं और नुकसान पहुंचाने लगे और शाकाहारी जीवों के कम होने से मांसाहारी जीवों को भी भोजन कम हो गया है और मांसाहारी जीवन भी पालतू पशुओं पर आक्रमण करने लगे। इस प्रकार लेंटाना खाद्य श्रंखला एवं जैव विविधता को भरपूर रूप से प्रभावित कर रहा है तथा इसको हटाना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि अभी बारिश का मौसम होने कारण भूमि नम है अतः लेंटाना को जड़ से उखाड़ने का उपयुक्त समय अभी ही है।
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