खाद्य संयम दिवस के रूप में मना पर्युषण का पहला दिन
साध्वी कनकश्रीजी ठाणा 5 ने कहा कि धार्मिक एवं स्वास्थ्य जागरूकता की दृष्टि से खाद्य संयम आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पयुर्षण का अर्थ चारों और बिखरी अपनी शक्तियों को एक जगह समेटकर स्वयं को जाग्रत करना है। पहला दिन खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया गया।
साध्वी कनकश्रीजी ठाणा 5 ने कहा कि धार्मिक एवं स्वास्थ्य जागरूकता की दृष्टि से खाद्य संयम आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पयुर्षण का अर्थ चारों और बिखरी अपनी शक्तियों को एक जगह समेटकर स्वयं को जाग्रत करना है। पहला दिन खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया गया। वे तेरापंथी सभा की ओर से चातुर्मासिक प्रवचन के तहत शुक्रवार से शुरू हुए पर्वाधिराज पर्युषण के पहले दिन अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि आज का दिन अद््भुत, अलौकिक है। तेरापंथ को जैन शासन देने वाले आचार्य जयाचार्य का आज निर्वाण दिवस भी है जिन्होंने पूरे जैन शासन को नया आलोक प्रदान किया। वे स्वयं एक प्रकाशपुंज के समान थे। महामनस्वी संत आचार्य जयाचार्य विभिन्न विधाओं मे पारंगत थे जिन्होने राजस्थानी भाषा मे गद्य व पद्य एव साहित्य की रचना की।

खाद्य संयम दिवस पर साध्वी मधुलेखा जी ने कहा कि साधना से पहले खाद्य का संयम जरूरी है। उन्होंने आहार कैसा करें, कब करें, कितना करें और क्यूं करे पर उदबोधन दिया। साध्वीश्री समिति प्रभा ने आहार, आरोग्य और आध्यात्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो व्यक्ति सात्विक व संतुलित भोजन करता है वह स्वयं मे एक चिकित्सक है, शरीर चलाने के लिए खाना जरूरी हे किन्तु वह संयमित होना भी जरूरी है। वर्तमान पीढ़ी की दिनचर्या में दिन भर खाना ही शामिल है।
सभा के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने पर्युषण महापर्व पर तेरापंथ संघ की ओर से 22 से 30 अगस्त तक होने वाले कार्यक्रमो की रूपरेखा प्रस्तुत की एवं साध्वी श्री कनकश्रीजी के सानिध्य में रहकर पर्युषण पर्व का ज्यादा से ज्यादा लाभ लेने की अपील की। पर्युषण पर्व के प्रथम दिन साध्वी श्री कनकश्रीजी के सानिध्य मे चंदनबाला व चक्रवती का तेला सामूहिक तप अनुष्ठान प्रारंभ हुआ जिसमें साधना करने वाले श्रावक-श्राविकाओं ने तपकाल में श्री महावीराय नम: मंत्र का जाप करने की अपील की।
इससे पूर्व मंगलाचरण शशि चह्वाण, मंजू फत्तावत, केसर तोतावत, वंदना पोरवाल,मीना सिंघवी, सुनीता श्रीमाल, साधना तलेसरा एवं मीना धाकड़ ने किया। सभा के मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि शनिवार को पर्युषण का दूसरा दिन स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
पर्युषण पर्व की उपयोगिता : पर्युषण में जैन धर्म के अनुयायियों में तप का सर्वाधिक महत्व रहता है। इसकी आराधना भी काफी विस्तृत होती है। जैन धर्म में ऐसी धारणा है कि तपस्श्रया निर्विकार जीवन की आधारशिला है। पूर्व में उपार्जित जो दुष्कर्म हैं, उनको तपश्रया के द्वारा समाप्त किया जा सकता है। जैन धर्म में निर्जरा कहते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से इसकी उपयोगिता विज्ञान ने साबित कर दिया है कि तप के द्वारा शारीरिक व्याधियों का निराकरण हो जाता है। लाखों व्यक्ति एक साथ उपवास व तप करते हैं तो अन्न की बचत राष्ट्रीय स्तर पर होती है।
पर्युषण पर्व के दौरान होंगे प्रतिदिन कार्यक्रम : श्री वद्र्धमान स्थानकवासी जैन युवक परिषद की ओर से पर्युषण पर्व के दौरान प्रतिदिन विभिन्न संास्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाऐंगे। परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र सेठिया ने बताया कि 23 को रात्रि 8 बजे फैन्सी ड्रेस, 24 को सामाजिक अभ्युदय में युवाओं की भूमिका विषयक प्रात: नौ बजे भाषण प्रतियोगिता, इसी दिन रात्रि 8 बजे रंगोली प्रतियोगिता 25 को गीत-संगीत व कविता, 26 को जैन हाऊजी, 27 को धार्मिक एवं देशभक्ति पर आधारित अंत्याक्षरी, 28 को धािर्मक नाटक, 29 को जय महाीवर तथा 30 को संवत्सरी का आयोजन होगा।
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