प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय मूर्तिशिल्प प्रतियोगिता सम्पन्न
झीलों की नगरी उदयपुर में आयोजित प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय मुर्तिशिल्प प्रतियोगिता में देश-विदेश के जाने-माने कलाकारों ने विशाल प्रस्तरों में अपनी कल्पनाओं को साकार करते हुए विभिन्न आकृतियां देकर इनमें मानों प्राण फूंक दिये हैं।
झीलों की नगरी उदयपुर में आयोजित प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय मुर्तिशिल्प प्रतियोगिता में देश-विदेश के जाने-माने कलाकारों ने विशाल प्रस्तरों में अपनी कल्पनाओं को साकार करते हुए विभिन्न आकृतियां देकर इनमें मानों प्राण फूंक दिये हैं।
करीब एक माह तक चली इस प्रतियोगिता में देश-विदेश के जाने-माने मूर्तिशिल्पकारों ने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र में आयोजित प्रतियोगिता में तपती धूप में कलाकारों ने 40-50 टन के विशाल प्रस्तरों पर अपनी कला का जादू बिखेरा। आयोजित समारोह में सभी कलाकारों का परम्परागत रूप से साफा पहनाकर उनकी कला की सराहना की गई। निर्मित इन कलाकृतियां को शहर के सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित किया जाएगा।
जिला कलक्टर विकास एस. भाले ने आयोजित समारोह में भामाशाहों एवं कलाकारों का सम्मान करते हुए कहा कि उदयपुर शहर में पहली बार प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय मुर्तिशिल्प प्रतियोगिता आयोजित करवाने के पीछे इस पर्यटन नगरी को मूर्तिशिल्प के माध्यम से आकर्षित करना भी एक कारण रहा है। इन कलाकृतियों को उदयपुर शहर के प्रसिद्घ फतहसागर झील किनारे, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा, बस स्टेण्ड, सहित सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित किया जाएगा। इसमें करीब 3 से 4 माह का समय लगेगा।
उन्होंने कहा कि शहर को साफ एवं सुन्दर बनाये रखने के लिए वे शीघ्र ही अगले माह से ”स्वच्छ उदयपुर” अभियान चलाएंगे जिसमें उदयपुरवासियों का भी सहयोग जरूरी है।
भोपाल के वरिष्ठ शिल्पकार एवं समन्वयक रॉबिन डेविड ने कहा कि ऐसी वर्कशॉप उदयपुर में पहली बार आयोजित की गई है, जिसमें नौ विदेशी, सात भारतीय एवं पांच युवा शिल्पकारों ने विविध आकृतियां उकेरी है जिसमें से एक आकृति की ऊंचाई तो करीब 40 फीट होगी जिसे स्थापित करने के लिए विदेश से क्रेन मंगवाने की आवश्यकता पड सकती है।
सबसे ऊंची कलाकृति 40 फीट की
इस प्रतियोगिता में भूवनेश्वर के विश्व प्रसिद्घ मुर्तिकार अद्वेत गणनायक द्वारा निर्मित कलाकृति सबसे विशाल एवं सबसे ऊंची हे जिसकी ऊंचाई करीब 40 फीट है । इसमें 6 विशाल प्रस्तरों को विभिन्न आकृतियों में ढाला गया है। कलाकार ने इस कलाकृति के माध्यम से समुन्द्र मंथन को दर्शाने का प्रयास किया। ग्रेनाईट से निर्मित इस कलाकृति का वजन करीब 200 टन है।
जापान के कुंजी टोडा ने दो पत्थरों को जोडने के लिए एक ही पत्थर को तराशकर विशाल कडी बनाईकर इन्हें जोडा है। यह कलाकृति अपने आप में अनूठी रही है। इसके अलावा बडोदा के नागजी पटेल द्वारा ब्लेक ग्रेनाईट एवं सफेद मार्बल पर उकेरा गया सिंघासन सहित विभिन्न कलाकृतियां लोगों को आकृर्षित करेगी।
टर्की की आइला तुरान द्वारा निर्मित कलाकृति को लोगों ने खुब सराहा। आईला ने अपनी इस विशाल कलाकृति को फिल्मरोल में ढाल कर पुराने जमाने की फिल्मों की याद दिला दी।
समारोह को नगर विकास प्रन्यास के अध्यक्ष रूप कुमार खुराना, नगर निगम महापोर रजनी डांगी, उदयपुर ग्रामीण विधायक सज्जन कटारा, आबकारी आयुक्त्त दिनेश कुमार, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक शेलेन्द्र दशोरा, खान एवं भू-विज्ञान विभाग के निदेशक देथा भी उपस्थित रहे।
इनका हुआ सम्मान
प्रतियोगिता के समापन अवसर पर सभी कलाकारों का अतिथियों ने माल्यार्पण, साफा पहनाकर एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। इसके अलावा प्रस्तर सहित विभिन्न सुविधांए उपलब्ध करवाने पर भामाशाह घनश्याम कृष्णावत, अरविन्द्र सिंघल, बन्नारामजी, मुकेश मोदी, शंकर सिंह , खेमसिंह , गुलाब बोहरा, आदि को भी सम्मानित किया गया।
प्रतियोगिता में इन कलाकारों ने पेश की अपनी कला
एक महीने तक चली इस कार्यशाला में शिल्पकार ग्रेनाइट्स, रेड सेंड स्टोन, व्हाइट व ब्लेक मार्बल पर अपनी कला का प्रदर्शन किया। कलाकार दल में जॉर्ज डे सेंटिगो (मेक्सिको), सारावुथ डुऑगजुम्पा (थाइलेण्ड), रफेल बेल (जर्मनी) ऐला तुरन (टर्की), अकिरा यामामोटो (जापान), क जी टोडा (जापान), दुमित्रु लॉन सर्बन (इटली),रेनाटे वेरब्रग (न्यूजीलेंड), नगजी पटेल (बडोदा), राजेन्द्र टिक्कु (जम्मु), राजशेखर नेयर (चेन्नई), अद्वेत गढनायक (भुवनेश्वर), श्री निवासन रेड्डी (हेदराबाद), राजीव नयन पांडे (लखनऊ), भूपेश कावडीया (उदयपुर), रॉबिन डेविड (भोपाल) नवोदित युवा प्रतिभाओं में राकेश कुमार सिंह (उदयपुर),रतन सिंह (हरियाणा) ,भूपत डूडी (जोधपुर), नीरज अहीरवार (भोपाल) दीपक रसैली (बडौदा) आदि शामिल हैं।
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