देश में पहली सोरायसिस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस उदयपुर में 21 से
झीलों की नगरी उदयपुर में देश की पहली सोरायसिस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस 21 से 23 दिसम्बर तक द अनंता रिसोर्ट उदयपुर में होगी जिसमें सार्क देशों सहित दुनिया के कई प्रमुख देशों के कई ख्यातनाम चिकित्सक-विशेषज्ञ सोरायसिस के विभिन्न पहलुओं, उपचार के नए तरीकों, नए अनुसंधानों, उपकरणों आदि पर विचार साझा करेंगे
सार्क देशों सहित दुनिभर से नामी विशेषज्ञ साझा करेंगे ज्ञान और तकनीकी
झीलों की नगरी उदयपुर में देश की पहली सोरायसिस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस 21 से 23 दिसम्बर तक द अनंता रिसोर्ट उदयपुर में होगी जिसमें सार्क देशों सहित दुनिया के कई प्रमुख देशों के कई ख्यातनाम चिकित्सक-विशेषज्ञ सोरायसिस के विभिन्न पहलुओं, उपचार के नए तरीकों, नए अनुसंधानों, उपकरणों आदि पर विचार साझा करेंगे। इस वैश्विक वैचारिक परामर्श के चिकित्सा महाकुंभ में सोरायसिस चिकित्सा के कई गूढ पहलुओं पर नई अंतदृष्टि मिले सकेगी।
इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के आर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ. प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि डायलॉग्स इन क्लिनिकल डर्मेटोलॉजी (डीआईसीडी) के तत्वावधान में सार्क-एएडी की ओर से हो रही इंटरनेशनल सोरायसिस कॉन्फ्रेंस में सभी सार्क देशों, भारत, बंग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान,मालदीव,पाकिस्तान के विशेषज्ञों सहित अमेरिका, फ्रांस, इजराइल, ऑस्ट्रियां,अर्जेंटीना के विशेषज्ञ भी भाग लेंगे।
सार्क-एएडी समूह चर्म रोग विशेषज्ञों की विश्व स्तरीय एसोसिएशन है। उन्होंने बताया कि सोरायसिस बीमारी पर देश में पहली बार इस तरह की अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का उदयपुर में आयोजन होना अत्यंत गर्व का विषय है। इसमें सार्क सहित अन्य देशों के 500 मूर्धन्य विशेषज्ञ चिकित्सक भाग लेंगे जिन्होंने अपने शोध, अध्ययन व उपचार के दुर्लभ अनुभवों से सोरायसिस के उपचार के कई नए कारगर तरीकों को खोजा है।
उपचार की नई चुनौतियों, नई तकनीकी तथा ट्रेनिंग के तरीकों आदि को नई दिशा दी है। देश के चिकित्सकों को उनसे व उन्हें हमारी चिकित्सा पद्धतियों से सीखने-सिखाने के अवसर मिलेंगे। प्रेक्टिसिंग डर्मेटोलॉजी को सोरायसिस रोग के उपचार में मददगार बनाने, उसके बारे में जन चेतना के स्तर पर जागरूकता लाने पर भी मंथन होगा।
डॉ. प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि कॉन्फ्रेंस का आयोजन डॉ अनिल गंजु, डॉ नीरज पांडे, डॉ मुरलीधर राजगोपालन, डॉ सचिन वर्मा, डॉ. दिलीप कच्छावा के तत्वावधान में हो रहा है। कॉन्फ्रेंस में इजराइल से प्रो. ऑनर्न डी कोहेन, ऑस्ट्रिया से डॉ. डेनिस लिंडर, अर्जेंटीना से प्रो. एडवार्डों मायसलर, अमेरिका से डॉ. एसपी रायचौधरी, डॉ. सीमल देसाई, डॉ. मुरलीधर राजगोपालानी तो भारतीय विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. अबीर सारस्वत लखनऊ, डॉ. विनयसिंह दिल्ली, डॉ. मुरलीधर चेन्नई सहित कई विशेषज्ञ आएंगे।
कॉन्फ्रेंस का प्रमुख उद्देश्य
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि सोरायसिस नामक चर्म रोग के निदान एवं उपचार की नई तकनीकों व दवाइयों के बारे में जानकारी साझा करना। नई दवाइयों जैसे बायोलॉजिक्स, एक्साइमर लेजर तकनीक जिनका चलन अभी बहुत कम है, उनके बारे में जानकारी लेकर उनके इस्तेमाल के तरीकों के बारे में जानना। चिकित्सा क्षेत्र में देशभर में इसके विस्तार आदि भी मंथन होगा। इसके साथ ही सोरायसिस को ठीक करने में काम आने वाले एक्जाइमर लेजर के उपयोग को सिखाया जाएगा। सोरायसिस के साइड इफेक्ट को किस प्रकार से जल्दी समझा जाए,उनका निराकरण कैसे प्रभावी रूप से किया जाए, इस पर भी विमर्श होगा। सोरायसिस के साथ ही अन्य बीमारियां शरीर में कैसे प्रवेश कर अपना प्रभाव दिखाती है, उनका भी समय रहते सटीक उपचार करने पर विमर्श होगा।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि तीन दिन में अलग-अलग सत्र होंगे जिसमें वर्तमान में सोसायरिस के उपचार की विधियों, बच्चों, गंर्भवती महिलाओं में सोसायसिस का उपचार एवं निदान,सोरायसिस से ही जुडी अन्य बीमारियों जैसे ऑर्थराइटिस आदि पर चर्चा व जानकारी के सत्र होंगे। नाखून के सोरायसिस का उपचार एवं निदान, सोरायसिसि के विभिन्न प्रकारों का आनुवांशिक अध्यययन, पुराने और नए टॉपिकल ट्रीटमेंट का तुलनात्मक अध्ययन, सोरायसिस के निदान में योगदान, फोटोथेरपी और एक्सीमर लेसर इन सोरायसिस, बायोलॉजि के सोरायसिस के उपचार में योगदान पर चर्चा की जाएगी।
पीजी क्विज में मनवाएंगे बुद्धिमत्ता का लोहा
ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ. प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि इस अवसर पर पीजी क्विज भी होगा जिसके लिए राजस्थान की 14, उत्तरप्रदेश की 8 और नई दिल्ली की 6 टीमों ने पंजीकरण करवाया है। क्विज का प्रारंभिक चरण 22 दिसंबर को होगा जबकि फाइनल राउंड 23 दिसंबर शाम को स्टेज पर लाइव होगा।
यह है सोरायसिस
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि सोरयसिस शरीर में अपेन आप उत्पन्न होने वाली बीमारी है। इसमें शरीर पर लाल चकते पड जाते हैं जिन पर सफेद पपडियां आ जाती हैं। यह शरीर के कुछ अंगों से लेकर पूरे शरीर के अंगों को प्रभावित कर सकती है। यह किसी भी आयुवर्ग के व्यक्ति को हो सकती है। अब तक सोरायसिस का जड से उपचार संभव नहीं है मगर इसके उपचार की कई विधियां और तकनीकी नवाचार दुनियाभर में हो रहे हैं। कॉन्फ्रेंस में उन सब पर मंथन होगा।
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