गीतांजली में आरवीओटी स्टेंटिंग का राज्य में प्रथम सफल मामला


गीतांजली में आरवीओटी स्टेंटिंग का राज्य में प्रथम सफल मामला

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के कार्डियोलोजिस्ट की टीम ने डेढ़ वर्षीय तथा मात्र 4.5 किलो वजनी नवजात की सफल आरवीओटी स्टेंटिंग कर जीवन बचाया। इस सफल इलाज करने वाली टीम में कार्डियोलोजिस्ट डाॅ कपिल भार्गव, डाॅ रमेश पटेल, डाॅ डैनी कुमार एवं डाॅ शलभ अग्रवाल शामिल है।

 

गीतांजली में आरवीओटी स्टेंटिंग का राज्य में प्रथम सफल मामला

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के कार्डियोलोजिस्ट की टीम ने डेढ़ वर्षीय तथा मात्र 4.5 किलो वजनी नवजात की सफल आरवीओटी स्टेंटिंग कर जीवन बचाया। इस सफल इलाज करने वाली टीम में कार्डियोलोजिस्ट डाॅ कपिल भार्गव, डाॅ रमेश पटेल, डाॅ डैनी कुमार एवं डाॅ शलभ अग्रवाल शामिल है।

क्या था मामला?

उदयपुर निवासी नवजात जन्म के बाद से ही ज्यादा रोने पर नीला पड़ रहा था एवं बार-बार बेहोश हो रहा था। ज्यादा ज़ोर से रोने पर दिन भर में एक से अधिक बार नीलेपन के दौरे पड़ने लगे और अचानक नवजात को सांस आना बंद होने लगी। आपातकालीन स्थिति में नवजात के माता-पिता उसे गीतांजली हाॅस्पिटल लाए जहां वेंटीलेटर पर ले कर तुरंत उपचार प्रारंभ किया गया। हृदय रोग के संदेह के चलते नवजात के ईकोकार्डियोग्राफी की जांच की गई जिसमें पता चला कि नवजात जन्मजात हृदय रोग ‘टेट्रोलोजी ऑफ़ फैलाॅट’ नामक बीमारी से पीड़ित है। टेट्रोलोजी ऑफ़ फैलाॅट बीमारी में हृदय में एक बड़ा छेद होता है एवं फेफड़ों तक जाने वाली नाड़ी में रुकावट होती है। इस बीमारी का इलाज सर्जरी द्वारा किया जाता है। परंतु नवजात की नाजुक हालत को देखते हुए सर्जरी संभव नहीं थी।

डाॅक्टर द्वारा क्या इलाज किया गया?

नवजात की हालत को स्थिर करने के लिए एवं सफल सर्जरी होने के लिए गीतांजली के कार्डियोलोजिस्ट द्वारा आरवीओटी स्टेंटिंग की गई। अनुभवी एवं प्रशिक्षित चिकित्सकों की टीम ने मात्र आधे घंटें की प्रक्रिया से हृदय के अंदर ही फेफड़ों तक जाने वाली नाड़ी के निचले हिस्से, जिसे आरवीओटी कहते है, में स्टेंटिंग की और रुकावट को खोल दिया गया। जिससे उचित रक्त फेफड़ों में जा सके और नवजात को ऑक्सीजन मिल सके। नवजात अब स्वस्थ है एवं उसका वजन भी बढ़ रहा है। स्तनपान के साथ-साथ अब वह अन्य खाद्य पदार्थ खाने में भी सक्षम है।

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डाॅ पटेल ने बताया कि एक लाख में से केवल 3 या 4 नवजात में पाए जाने वाली इस बीमारी में त्वरित उपचार की आवश्यकता होती है। किन्तु इतने कम वजनी नवजात का उपचार करना काफी जटिल होता है। उन्होंनें यह भी कहा कि यह आरवीओटी स्टेंटिंग का इलाज सिर्फ उन्हीं सेंटर पर होता है जहां पीडियाट्रिक कार्डियोलोजी एवं पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध होती है। दिल्ली, मुबंई, चेन्नई जैसे महानगरों के बाद अब राजस्थान के उदयपुर शहर में भी यह इलाज संभव है। नवजात का इलाज गीतांजली हाॅस्पिटल में पूर्णतः निःशुल्क किया गया।

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