दक्षिणी राजस्थान र्में एओटिक एन्यूरिज्म का सर्वप्रथम सफल उपचार


दक्षिणी राजस्थान र्में एओटिक एन्यूरिज्म का सर्वप्रथम सफल उपचार

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर बना जटिर्ल एओटिक एन्यूरिज्म जैसी बिमारियों के इलाज का केंद्र। हाल ही में दो ऐसे मामलों का सफल इलाज संभव हुआ। यह दोनों ही ऑपरेषन दक्षिणी राजस्थान में प्रथम बार उदयपुर के गीतांजली हॉस्पिटल में सफल हुए है

 

दक्षिणी राजस्थान र्में एओटिक एन्यूरिज्म का सर्वप्रथम सफल उपचार

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर बना जटिर्ल एओटिक एन्यूरिज्म जैसी बिमारियों के इलाज का केंद्र। हाल ही में दो ऐसे मामलों का सफल इलाज संभव हुआ। यह दोनों ही ऑपरेषन दक्षिणी राजस्थान में प्रथम बार उदयपुर के गीतांजली हॉस्पिटल में सफल हुए है।गीतांजली कार्डियक सेंटर के कार्डियो थोरेसिक एवं वेसक्यूलर सर्जन डॉ संजय गांधी, न्यूरो वेसक्यूलर इंटरवेन्षनल रेडियोलोजिस्ट डॉ सीताराम बारठ एवं कार्डियोलोजिस्ट डॉ रमेष पटेल ने 58 वर्शीय महिला के मुख्य धमनी में एन्यूरिज्म (धमनी की दीवार में अत्यधिक वृद्धि) का सफल ऑपरेषन कर स्वस्थ किया। इस सफल ऑपरेषन में उनकी टीम में कार्डियो थोरेसिक एवं वेसक्यूलर सर्जन डॉ रीनस डेमल, कार्डियोलोजिस्ट डॉ सीपी पुरोहित एवं डॉ हरीष सनाढ्य, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ अंकुर गांधी, डॉ कल्पेष मिस्त्री, डॉ मनमोहन जिंदल एवं डॉ धर्मचंद षामिल थे।

दक्षिणी राजस्थान र्में एओटिक एन्यूरिज्म का सर्वप्रथम सफल उपचार

डॉ गांधी ने बताया कि संतोश देवी (उम्र 58 वर्श) काफी लम्बे समय से उच्च रक्तचाप की बिमारी से पीडि़त थी। तेज़ सिर दर्द, कमर दर्द एवं नाक में से खून बहने की वजह से गीतांजली हॉस्पिटल में भर्ती हुई। सीटी एंजियोग्राफी की जांच से पता चला कि रोगी के सीने के डिसेंडिंर्ग एओटा में विच्छेदन है एवं एन्यूरिज्म का माप 65 मिमि है जो आमतौर पर 2 से 2.5 मिमि होती है। यह एन्यूरिज्म कभी भी फट सकता था जिससे आंतरिक रक्तस्त्राव हो कर रोगी की अचानक मृत्यु हो सकती थी। परिवारजनों से रोगी की बिमारी के बारे में विचार-विमर्ष करने के बाद, सभी ने दिल्ली व जयपुर के हॉस्पिटल में ना जाकर गीतांजली में ही सर्जरी कराने का निर्णय लिया। इस बिमारी के उपचार के दो विकल्प थे, पहला हाइब्रिड एंडो वेसक्यूलर और दूसरा ओपन सर्जरी। यह दोनों ही विकल्पों से इलाज गीतांजली में मौजूद सभी सुविधाओं हेतु संभव था। क्योंकि ओपन सर्जरी में जोखिम भी ज्यादा था इसलिए हाइब्रिड एंडो वेसक्यूलर प्रक्रिया से इलाज किया गया। इस प्रक्रिया में जांघ की धमनी को खोलकर एक बहुत बडऱ्े एओटिक स्टेंट को विच्छेदित एन्यूरिज्म तक ले जाया गया और एन्यूरिज्म को मुख्य धमनी से सफलतापूर्वक हटाया गया जिसमें 3 घंटें का समय लगा। रोगी अब पूरी तरह स्वस्थ है और निकट भविश्य में भी उसे कोई परेषानी नहीं होगी।

इसी तरह के दूसरे मामले में डॉ संजय गांधी ने 55 वर्शीय प्रभु लाल पुरोहित र्के एओटा में फट चुके एन्यूरिज्म को ठीक कर सफल ऑपरेषन किया। इस ऑपरेषन में उनकी टीम में कार्डियो थोरेसिक एवं वेसक्यूलर सर्जन डॉ रीनस डेमल, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ अंकुर गांधी, डॉ कल्पेष मिस्त्री, डॉ मनमोहन जिंदल एवं डॉ धर्मचंद, और नेफ्रोलोजिस्ट डॉ गुलषन मुखिया एवं डॉ संदीप मोरखंडीकर षामिल थे।

दक्षिणी राजस्थान र्में एओटिक एन्यूरिज्म का सर्वप्रथम सफल उपचार

डॉ गांधी ने बताया कि प्रभु लाल पुरोहित (उम्र 55 वर्श) पेट में दर्द एवं कब्ज की षिकायत से गीतांजली हॉस्पिटल में भर्ती हुआ था। सोनोग्राफी की जांच से पता चला कि एन्यूरिज्म से आंतरिक रक्तस्त्राव षुरु हो गया है। इस कारण रोगी को पिषाब की समस्या होने लगी और गुर्दे ने भी ठीक से काम करना बंद कर दिया था। दो साल पूर्व ही एक निजी हॉस्पिटल में रोगी को एन्यूरिज्म की बिमारी का पता चल चुका था परन्तु उसका इलाज दवाइयों से ही किया गया। किन्तु अब रोग गंभीर हो गया था और आपातकालीन स्थिति में रोगी को भर्ती कराया गया। सीटी स्केन की जांच के बाद डॉ गुलषन मुखिया एवं डॉ संदीप मोरखंडीकर ने रोगी का डायलिसिस किया और कार्डियक सर्जन द्वारा तुरंत सर्जरी की गई। रोगी के गंभीर रोग के कारण उसका हाइब्रिड एंडो वेसक्यूलर प्रक्रिया द्वारा इलाज संभव नहीं था जिस कारण उसकी ओपन सर्जरी की गई जिसमें 7 घ्ंाटें का समय लगा। इस ओपन सर्जरी में पेट को खोला गया और एन्यूरिज्म को मुख्य धमनी से सफलतापूर्वक हटाया गया। एन्यूरिज्म से रक्तस्त्राव को बायपास मषीन पर संचालित किया गया और्र एओटा को ठीक कर पैरों की दोनो तरफ से पेट को बंद किया गया। इसके पष्चात् रोगी को गहन चिकित्सा ईकाई में भर्ती रखा। रोगी अब पूर्णताः स्वस्थ है और दुबारा उसे डायलिसिस कराने की जरुरत नहीं पड़ी।

डॉ गांधी ने यह भी बताया कि कुल एक लाख लोगों में किसी 4-5 व्यक्तियों को ही यह बिमारी होती है। साथ ही कहा कि हाइब्रिड एंडो वेसक्यूलर प्रक्रिया से इलाज की सफलता दर 90-95 प्रतिषत है वही फट चुके एन्यूरिज्म की ओपन सर्जरी की सफलता दर 50 प्रतिषत है। यह इलाज कि सुविधा राजस्थान में उदयपुर के अलावा जयपुर में उपलब्ध है। ऐसे रोगियों के इलाज के लिए यह आवष्यक होता है कि उन्हें और कोई भी घातक बिमारी न हो जैसे कैंसर, हृदय की बिमारी, लिवर व किडनी का समुचित कार्य आदि। एवं हॉस्पिटल में सुसज्जित कार्डियक ऑपरेषन थियेटर, कार्डियोलोजिस्ट और कार्डियक सर्जन, न्यूरो एवं वेसक्यूलर इंटरवेन्षनल रेडियोलोजिस्ट, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट, नेफ्रोलोजिस्ट, गहन चिकित्सा ईकाई, कैथ लेब और सभी तरह कि षल्य सुविधाएं का उपलब्ध होना आवष्यक है।

क्या होती है एंडो वेसक्यूलर तथा ओपन सर्जरी प्रक्रिया?

एंडो वेसक्यूलर सर्जरी एक नई एवं कम आक्रामक सर्जरी है जिससे एन्यूरिज्म, सूजन या गुब्बारे रुपी रक्त वाहिनियां जो रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती है का उपचार इस प्रक्रिया द्वारा संभव है। इस सर्जरी में षरीर की बड़ी नाड़ी को खोलकर एक बड़ा स्टेंट डाला जाता है जिससे एन्यूरिज्म या सूजन को हटाया जाता है। ओपन सर्जरी में षरीर को खोलकर एन्यूरिज्म को कृत्रिम पाइप के साथ रिपेयर किया जाता है।

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