
विदेशी चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टरों के दल ने शुक्रवार को उदयपुर के सिंधी बाजार, फूटा दरवाजा स्थित राजस्थान के रोल मॉडल आयुर्वेद औषधालय के रूप में मशहूर अस्पताल का अवलोकन किया और वहाँ पंचकर्म विधाओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली। इनमें फ्रांस एवं स्विट्जरलैण्ड के चिकित्सा 21 विशेषज्ञ शामिल थे।
औषधालय पहुँचने पर विदेशी डॉक्टरों के अध्ययन एवं शोध दल का स्वागत चिकित्सालय के प्रभारी अधिकारी डॉ. शोभालाल औदीच्य ने किया और औषधालय के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि यह राज्य सरकार के साथ-साथ व्यापक लोक सहभागिता का जीवन्त एवं अनुकरणीय आदर्श है। इस दौरान डॉ. देव कोठारी एवं डॉ. सुभाष कोठारी ने उदयपुर अंचल में आयुर्वेद, पंचकर्म एवं योग गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि यह क्षेत्र परंपरागत गढ़ रहे हैं। इस दौरान पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ. राजीव भट्ट एवं डॉ. पूनम सांखला और पेरामेडिकल स्टाफ रूक्मणी कलासुआ, अमृतलाल परमार, इन्दिरा डामोर, रामसिंह, प्रतापसिंह,सोमाराम, मोहन एवं गजेन्द्र आमेटा द्वारा पंचकर्म की सभी प्रकार की प्रायोगिक विधियों का प्रदर्शन किया।
अपने देशों में भी अपनाएंगे यहां की खासियतों को उदयपुर में आयुर्वेद, योग एवं पंचकर्म विधाओं से सेहत रक्षा के अनुकरणीय एवं आदर्श माहौल एवं उत्कृष्ट सेवाओं से अभिभूत होते हुए विदेशी चिकित्सकों ने सेवाओं को‘वण्डरफुल’ बताया और कहा कि यहां कि कई खासियतों को स्विट्जरलैण्ड एवं फ्रान्स में भी अपनाएंगे। विदेशी डॉक्टराें ने अपनी राय देते हुए बताया कि उन्होंने यह महसूस किया है कि भारतीय पंचकर्म, योग एवं आयुर्वेद की विभिन्न विधाओं में कई विलक्षणताएं हैं जिनका उपयोग किया जाकर दीर्घकालीन स्वास्थ्य रक्षा के साथ ही विभिन्न प्रकार की बीमारियों से आसान एवं सहज तरीके से मुक्ति पायी जा सकती है।
पंचकर्म के बारे में विशेष दिलचस्पी दिखायी डॉक्टरों की टीम के लीडर डॉ. पेट्रिक ओवार्ड एवं सभी सदस्यों ने पंचकर्म के स्नेहन, स्वेदन, कटि बस्ती, जानु बस्ती, शिरोधारा, शिरो बस्ती, वमन कर्म, विरेचन, बस्ती,नस्य कर्म, अक्षि तर्पण, पिचू, पोटली स्वेदन, पीजीचल आदि तमाम पंचकर्म विधाओं की व्यवहारिक जानकारी ली। विदेशी दल ने पंचकर्म से व्याधियों के निवारण एवं स्वस्थ व्यक्ति की स्वास्थ्य रक्षा में पंचकर्म की ऎहतियाती भूमिका व समयावधि एवं साईड इफेक्ट आदि के बारे में विस्तार से जानकारी ली।
रोगों की पूर्व व पश्चातवर्ती जानकारी पायी दल ने पंचकर्म के पूर्व व पश्चात किए जाने वाले कर्म, संसर्जन कर्म के बारे मेें विस्तार से जानकारी पायी। इसके साथ ही आयुर्वेद पद्धति से तमाम प्रकार के साध्य-असाध्य बीमारियों के लक्षणों को पहचानने के तरीकों जैसे नाड़ी-मूत्र, मल, जिह्वा, शब्द, स्पर्श, रूप, रस, आकृति, गंध आदि का विचार करते हुए एवं रोगों के पूर्व रूप के बारे में जानकारी ली।
लाईफ स्टाईल जनित व्याधियों पर चर्चा दल ने लाईफ स्टाईल जनित व्याधियों डायबिटिज, माइग्रेन, हाइपरटेंशन आदि के बारे में विस्तार से जानकारी ली और हुए इन रोगों के निर्णायक निदान के साथ में आयुर्वेद की भूमिका पर स्थानीय प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. शोभालाल औदीच्य एवं अन्य आयुर्वेद व पंचकर्म चिकित्सा विशेषज्ञों से गहन चर्चा की।
निरापद है पंचकर्म चिकित्सा दल ने पंचकर्म प्राप्त करने की अवधि और सीमा के बारे में जानकारी ली। इस पर बताया गया कि व्यक्ति की प्रकृति, आयु, रोग एवं रोग बल के आधार पर हर इंसान के लिए अलग-अलग निर्धारित की जाती है। साथ ही आयुर्वेद रोगी का ईलाज करता है न कि रोग का।
सबने स्वीकारा – सर्वश्रेष्ठ है यह चिकित्सा आयुर्वेद को भारतीय चिकित्सा की प्राचीनतम पद्धति स्वीकार करते हुए विदेशी चिकित्सकों ने माना कि आज भी यह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ और सर्वाधिक प्राचीन एवं निरापद पद्धति है जिसका कोई सानी नहीं है। विदेशी दल ने माना कि पंचकर्म अपने आप में वह अनूठी विधा है जो हर तरह के इंसान को रोगमुक्त करते हुए कायाकल्प कर देने तक में सक्षम है।
योगासनों से स्वास्थ्य लाभ पर चर्चा विदेशी दल में शामिल चिकित्सकों ने आयुर्वेद में पथ्य, अपथ्य और अनुपान आदि के बारे में विस्तार से जानकारी ली। विदेशी चिकित्सा विशेषज्ञों के दल ने योग से स्वास्थ्य लाभ और चिकित्सा के विभिन्न आयामों पर चर्चा की और विभिन्न रोगों के निराकरण में योगासनों की भूमिका, प्रभाव और स्वास्थ्य लाभ के बारे में भी जानकारी ली।
आयुर्वेद के प्रति गहरी है लोक श्रद्धा दल ने चिकित्सा विशेषज्ञों से आम जन की सेहत रक्षा के लिए हो रहे प्रयासों पर चर्चा की और आयुर्वेद, पंचकर्म तथा योग के लिए आने वाले रोगियों के मनोविज्ञान के बारे में भी पूछा। स्थानीय चिकित्सा विशेषज्ञों ने अवगत कराया कि गरीब-अमीर, छोटे-बड़े आदि को कोई भेद नहीं होता, सभी वर्गों और आयु वर्गों के लोग ईलाज के लिए पूरी रुचि और विश्वास के साथ यहां आते हैं और स्वास्थ्य लाभ पाकर अपने आपमें बदलाव महसूस करते हैं।
सब कुछ देखा , सराहा विदेशी चिकित्सकों ने योग के बारे में कई जिज्ञासाएं प्रकट की। दल को बताया गया कि तीन वर्ष से लेकर अस्सी साल तक के स्वस्थ व्यक्ति प्रतिदिन सवेरे-शाम योगाभ्यास कर सकते हैं। विदेशी चिकित्सकों ने डेढ़ घण्टे चिकित्सालय में रूक कर आउटडोर, औषधि भण्डार, औषधि प्राप्ति एवं वितरण प्रक्रिया, विभिन्न पंजिकाओं को देखा, वहां मौजूद मरीजों से चर्चा की और खान-पान, चिकित्सा आदि व्यवस्थाओं पर प्रसन्नता जाहिर की। दल ने चिकित्सालय में स्थापित योग, आयुर्वेद एवं पंचकर्म आधारित रंगीन चार्ट एवं चित्रात्मक प्रदर्शनी का अवलोकन किया।