आतंकवाद से लड़े
भारत में आये दिन होने वाले आतंकी हमलों का जिम्मेदार भारत ही नही अपितु अन्तरराश्ट्रीय समुदाय भी पाकिस्तान को मानते हैं। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का पाकिस्तान के संदर्भ में कथन है कि हम अपने दो
भारत में आये दिन होने वाले आतंकी हमलों का जिम्मेदार भारत ही नही अपितु अन्तरराश्ट्रीय समुदाय भी पाकिस्तान को मानते हैं। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का पाकिस्तान के संदर्भ में कथन है कि हम अपने दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ौसी नही।
ऐसा नहीं कि भारत ने पाकिस्तान पर सिर्फ इल्जाम लगाया बल्कि समय-समय पर भारत ने पाकिस्तान मे पल रहे आंतक के खिलाफ सबुत भी मुहैया कराये। जिनमें सीमा पार सीज फायर की आड़ मंे समय-समय पर आतंकी घुसपैठ को अंजाम देना, कसाब का मुम्बई हमले में दोशी पाये जाना, दाउद का पाकिस्तान से सम्बन्ध होना और हाल ही में जम्मू-कष्मीर में पकड़ा गया आतंकी कासिम के तार भी पाकिस्तान से जुड़ते है। इसके बावजूद पाकिस्तान में मच रही उथल-पुथल के लिए पाकिस्तान भारत को ही दोशी ठहराता है।
‘‘बेनकाब तुम हुए, पर्दे में हम नहीं,
बदनसीबी हमारी पड़ौसी तुम सा और कहीं नहीं।’’
बार-बार भारत का द्विपक्षीय वार्ता की पहल करना अंतरश्ट्रीय कोर्ट, यू.एन. में मुद्दा उठाना पाकिस्तान को षर्मसार करता है। कूटनीतिक तरीके से हल की बाध्यता ने भारत के हाथ बांध रखे है। सैन्य बल से भरपुर पाकिस्तान जैसे देष का सफाया करने के लिये भारत काफी है। आतंकवाद से निपटने के लिए अंतरराश्ट्रीय समुदाय का साथ व उसको विष्वास में लेना भारत की अहम् रणनीति साबित हो सकती है।
नयी गठित सरकार का विदेष नीति पर काम करना काबिल-ए-तारीफ है, पर ये नीति सफल तब होगी जब भारत के पारम्परिक मित्र रूस, जापान के साथ अमेरिका व चाईना जैसे ‘‘मित्र वीटो पावर’’ के लिये भारत को मदद कर दोस्ती को नया आयाम देंगे। भारत अमेरिका पर दबाव बनाये कि ‘‘माईक्रोसॉफ्ट के विन्डोज के लिए भारत के दरवाजे तब ही खुलेंगे जब अमेरिका पाकिस्तान का आतंकी एप्लीकेषन अनइन्स्टॉल करने में मदद करेगा वरना भारत को महाषक्ति बनने से रोकने वाले यूरोपीय देषों की श्रेणी में अमेरिका भी है, ये बाते हमें माननी ही होगी। वीटो का साथ कहीं न कहीं भारत को जीडीपी बढाने व सुरक्षा बल मजबूत करने में मदद करेगा। साथ ही वीटो की जरूरत इसलिये भी है क्योंकि-
‘‘ताकत ही ताकत का सम्मान करती है।’’ वरना वो एक गाल पर मारे, दूसरा गाल आगे करने की नीति चीन व अमेरिकन बिजनेसमेन के लिये बेवकूफी से कम नहंी है। इस तरह भारत को अब अपनी विदेषी नीति में धीरे-धीरे आमुलचूल परिवर्तन लाने होंगे। साथ ही न्यायिक प्रक्रिया में भी तुरन्त सुधार लाना होगा।
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