निशुल्क कैरियर काउंसलिंग एवं मोटीवेशनल सेमिनार


निशुल्क कैरियर काउंसलिंग एवं मोटीवेशनल सेमिनार

हर आदमी के अंदर एक बच्चा होता है लेकिन वो उसे दबाकर रखता है। सफल एक बच्चा ही हो सकता है क्योंकि आदमी को तो उसका स्टेटस रोक देता है। सीरियस नहीं सिंसीयर बनें। आप खुद तय करें कि आपको भविष्य में क्या करना है? अपनी लाइफ का रिमोर्ट कंट्रोल किसी ओर को आप कैसे दे सकते हैं?

 
निशुल्क कैरियर काउंसलिंग एवं मोटीवेशनल सेमिनार

हर आदमी के अंदर एक बच्चा होता है लेकिन वो उसे दबाकर रखता है। सफल एक बच्चा ही हो सकता है क्योंकि आदमी को तो उसका स्टेटस रोक देता है। सीरियस नहीं सिंसीयर बनें। आप खुद तय करें कि आपको भविष्य में क्या करना है? अपनी लाइफ का रिमोर्ट कंट्रोल किसी ओर को आप कैसे दे सकते हैं?

कुछ ऐसे ही गूढ़ और मूल मंत्रों से भरा रहा मोटीवेशनल एवं निशुल्क कैरियर काउंसलिंग सेमिनार जिसका आयोजन जीतो जैन इंटरनेशनल टे्रड ऑर्गेनाइजेशन की ओर से रविवार को सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के साझे में सुविवि ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया।

अंतर्राष्ट्रीय लाइफ कोच एवं मुख्य वक्ता के रूप में जयपुर के डॉ. जी. सी. मेहता ने कहा कि जो जिंदगी को छोटी बताते हैं, उनसे मेरा कहना है कि जिन्दगी छोटी नहीं बल्कि आप जिन्दगी को जीना देर से शुरू करते हैं। कोई आपको मोटीवेट नहीं कर सकता। प्रतिदिन नहाने, खाने के लिए क्या आपको कोई मोटीवेट करता है?

आप स्वत: ये कार्य करते हैं तो फिर कैरियर के लिए, जिंदगी में आगे बढऩे के लिए क्यों किसी के मोटीवेशन की जरूरत है? खुद की जिम्मेदारी खुद उठाना सीखें और शुरू करें। आज से 20 साल बाद आप जहां होंगे, वो किसी ओर की वजह से नहीं बल्कि खुद के कारण होंगे। परिस्थितियों का इंतजार करें, ज्योतिषी के साथ अपने ग्रहों का इंतजार करें या फिर अपना भविष्य खुद बनाएं। सोचना आपको है कि क्या करना है, इंतजार या काम।

उन्होंने सफलता की परिभाषा बताते हुए कहा कि सफलता वह है जो आपको अपने लक्ष्य की ओर ले जाने के लिए पे्ररित करे। क्लास में बच्चे टीचर से यह सोचकर सवाल नहीं पूछते हैं कि बाकी सब क्या सोचेंगे लेकिन यह भी मान लें कि सफल व्यक्ति के पास सबसे ज्यादा सवाल होते हैं। अपनी बॉक्स लाइफ से बाहर निकलें।

निशुल्क कैरियर काउंसलिंग एवं मोटीवेशनल सेमिनार

जो जहां है, वहां अभी कम्फर्ट जोन में महसूस करते हैं। क्या हुआ जो आज का काम नहीं किया, कल कर लेंगे। इस कम्फर्ट जोन से जब तक बाहर नहीं निकलेंगे, जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएंगे। अपने गुस्से के साथ विनम्रता मिलाकर उससे एनर्जी प्रोड्यूस करें। परिस्थिति खराब हो तो उस पर नियंत्रण नहीं करें बल्कि अपने एटीट्यूड पर नियंत्रण करें। परिस्थिति स्वत: अच्छी हो जाएगी।

उन्होंने मैदा, शक्कर, कोल्ड ड्रिंक, जंक फूड आदि को बच्चों के लिए बहुत नुकसानदायक बताते हुए कहा कि इनसे एनर्जी नहीं आएगी। छोटे छोटे काम आप छोड़ देते हैं कि कभी भी कर लेंगे लेकिन जब तक वो अर्जेन्ट और इमरजेंसी में बदलें, उससे पहले छोटे छोटे काम कर लें। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि आप बच्चों के साथ जैसे रहेंगे, वे वैसे ही बनेंगे।

बच्चों के साथ आप अच्छे रहेंगे तो वे हमेशा आपके लिए अच्छा करेंगे। आप बच्चे में जो देखना चाहते हैं, वो खुद करें। अच्छाइयां बच्चे में स्वत: आ जाएगी। आज के इस युग में प्रतिस्पर्धा और कहीं नहीं बल्कि हमारी शिक्षा प्रणाली में है। आप अपनी मानसिकता से अपना एटीट्यूड तय करते हैं।

अन्य वक्ता के रूप में एमके जैन क्लासेज के एमडी और कैरियर काउंसलर डॉ. एम. के. जैन ने कहा कि केवल जानना और मानना ही सब कुछ नहीं बल्कि करना भी जरूरी है। सभी सब कुछ जानते हैं और मानते हैं लेकिन करेंगे नहीं, तब तक कुछ होगा नहीं। आप सबसे भाग्यशाली हैं कि आप जिन्दा हैं। आपकी सांसें चल रही हैं।

प्रतिदिन आप यह मानें कि आज अपने जीवन का अंतिम दिन है। अगर आपको यह पता लग जाए कि कल सुबह आप नहीं उठेंगे तो आज क्या करेंगे? या तो सभी रिश्तेदारों, परिजनों से खूब मिल-जुलकर रोएंगे या फिर आज ऐसा काम कर जाएं कि कल आपकी याद में आपके नाते रिश्तेदार रोएं।

उन्होंने कहा कि जो औरों से हटकर चला है, संसार ने भले ही उसका मजाक उड़ाया है लेकिन इतिहास भी उसी ने रचा है। आज जो भी चीज आएगी मेरे दिल से आएगी और आपके दिल में जाएगी। मैं वह नहीं कहूंगा जो मैंने देखा या सुना है बल्कि मैं वही कहूंगा जो मैंने आजमाया है। ईश्वर ने अपने शरीर की बहुत सुंदर संरचना की है। 180 डिग्री पर दो कान दिए हैं जो अनावश्क बातों को निकालने के लिए हैं। काम की बातें याद रखने और मुंह से बोलने के लिए 90 डिग्री पर दिमाग और मुंह दिया है।

सपने वही बड़े होते हैं जिनके पीछे मकसद होता है। अपना लक्ष्य कैसे अर्जित करें, यह पढ़ाई के साथ ही समझना होगा। उन्होंने टाइम मैनेजमेंट के बारे में बहुत ही सुंदर चित्र बनाकर समझाया कि महत्वपूर्ण और आवश्यक काम सबसे पहले करें, महत्वपूर्ण लेकिन अनावश्यक काम दूसरे नम्बर पर रखें। आवश्यक लेकिन कम महत्वपूर्ण तीसरे नम्बर पर और ना ही आवश्यक और ना ही महत्वपूर्ण काम को चौथे नम्बर पर रखें या इसे नहीं करें तो भी चलेगा।

दोनों वक्ताओं ने बच्चों को स्टेज पर बुलाकर विभिन्न उदाहरण देकर उनसे प्रयोग करवाए और समझाया। कार्यक्रम में शहर भर के विभिन्न स्कूलों के करीब एक हजार से अधिक बच्चों ने भाग लिया। बाद में बच्चों ने दोनों वक्ताओं से प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा शांत की। प्रश्न पूछने वाले बच्चों में ताहेर, तुषार, मनन, दीप्ति, यश, जिया और टीचर्स में यशोदा चौहान शामिल रहे। जीतो उदयपुर चैप्टर के महासचिव राजकुमार फत्तावत ने इससे पूर्व स्वागत उद्बोधन में कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं।

विद्यालय का अगला कदम विश्वविद्यालय होने के कारण ही यह कार्यक्रम यहां कराया गया है। प्रतिस्पर्धा के इस युग में उचित मार्गदर्शन मिल जाए तो राज्य से आईएएस में प्रथम और आईआईटी में उदयपुर से प्रथम बच्चे प्रतिवर्ष आ सकते हैं। इस मोटीवेशनल सेमिनार का उद्देश्य भी यही है कि बच्चों को सही मार्गदर्शन मिले और वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना और देश का नाम रोशन कर सकें।

इससे पूर्व विश्वविद्यालय की ओर से कैरियर काउंसलिंग इंचार्ज प्रो. माधव हाड़ा ने कहा कि कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए ऐसे सेमिनार अत्यावश्यक हैं। हम विश्वविद्यालय में अपने स्तर पर भी कार्यक्रम करते हैं लेकिन यह सेमिनार कर हम भी गौरवान्वित हैं।

जीतो उदयपुर चैप्टर के चेयरमैन शांतिलाल मारू ने सेमिनार के संयोजक कपिल इंटोदिया और अभिषेक संचेती का माल्यार्पण, पगड़ी और उपरणा ओढ़ाकर सम्मान किया। आभार महेन्द्र तलेसरा ने व्यक्त किया। आरंभ में सरस्वती वंदना विजयलक्ष्मी गलुण्डिया ने प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत दिलीप सुराणा, श्याम नागौरी, अरुण माण्डोत ने किया।

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