स्वतंत्रता सेनानी सुराणा की देह पंचतत्व में विलीन
स्वतंत्रता सेनानी करणसिंह सुराणा का रविवार सुबह 11 बजे अषोक नगर स्थित मोक्ष धाम पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। सुबह मालदास स्ट्रीट स्थित उनके निवास से 10 बजे प्रषासन की ओर से अतिरिक्त जिला कलक्टर छोगाराम देवासी एवं पुलिस अधिकारी राजेन्द्र जैन ने पुष्पांजलि अर्पित कर गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
स्वतंत्रता सेनानी करणसिंह सुराणा का रविवार सुबह 11 बजे अषोक नगर स्थित मोक्ष धाम पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। सुबह मालदास स्ट्रीट स्थित उनके निवास से 10 बजे प्रषासन की ओर से अतिरिक्त जिला कलक्टर छोगाराम देवासी एवं पुलिस अधिकारी राजेन्द्र जैन ने पुष्पांजलि अर्पित कर गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
अंतिम यात्रा मालदास स्ट्रीट, बड़ा बाजार, तीज का चौक, देहलीगेट होती हुई अषोक नगर श्मषान पहुंची। वहां अंतिम सलामी एवं पुलिस दल द्वारा हवा में गोलियां दाग कर अंतिम विदाई दी गई। उनके पुत्र अनिल, नरेन्द्र व पुत्री यषवंत बोलिया ने उन्हें मुखाग्नि दी। काफी संख्या में महिला-पुरुषों ने शवयात्रा में सम्मिलित होकर उन्हें विदाई दी। शहर के अनेक गणमान्य नागरिक, कार्यकर्ता व समाजजन मौजूद थे।
शाम 5 बजे थोब की बाड़ी में उठावणा हुआ। इसमें समाजसेवी भंवर सेठ ने उनका जीवन परिचय देते हुए कहा कि सुराणा ने 16 वर्ष की आयु में ही स्वतंत्रता आंदोलन में सम्मिलित होकर अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद की।
अपने समकक्ष मित्रों को अपने साथ जोड़ा और मा. बलवंतसिंह महता, माणिक्यलाल वर्मा, मोहनलाल सुखाडि़या से प्रेरणा लेकर इस कार्य को अंजाम दिया। कांग्रेस सेवादल के संस्थापक सदस्यों में शामिल श्री सुराणा को उस समय 10 दिन तक जेल में रहना पड़ा। स्वतंत्रता के बाद उन्होंने बिहार में शक्कर उद्योग को पनपाने में अपनी महती भूमिका निभाई।
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