ह्दयहीनता के कारण हो रहे है उपद्रव
श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि ने कहा कि मानव स्वभावत: संवेदन शील और कोमल हृदय प्राणी है। बच्चें किसी को कष्ट में देखते है तो तत्काल प्रभावित होते है। कोमल भी इतने कि अपने भाई बहन किसी को पिटता या रोता देख लेते है तो स्वयं भी रोने लगते है। कोमलता भय जनित नही हो […]
श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि ने कहा कि मानव स्वभावत: संवेदन शील और कोमल हृदय प्राणी है। बच्चें किसी को कष्ट में देखते है तो तत्काल प्रभावित होते है। कोमल भी इतने कि अपने भाई बहन किसी को पिटता या रोता देख लेते है तो स्वयं भी रोने लगते है।
कोमलता भय जनित नही हो कर भावना जनित होती है किन्तु बच्चा जैसे जैसे बड़ा होता है कठोर होता जाता है।
वे आज पंचायती नोहरे में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूरे परिवार की जीवन शैली से बच्चा प्रभावित होता हैं। सामाजिक रीतिरिवाज और व्यवस्थाओं का भी बच्चों पर प्रभाव पड़ता है। व्यक्तियों के बीच चलने वाली बातों से बच्चा भी प्रभावित होता है। स्पष्ट है पारीवारिक सामाजिक जो भी व्यवहार है उनमें कठोरता, जबर्दस्ती, ,खीचातान, आवेग, उपद्रव फैले हुए है सभी तरफ स्वार्थ का बोल बाला है तो बच्चा भी क्रमश: कठोर हृदय और स्वार्थी होता जाता है।
मुनि का कहना था कि हम धर्म की बात करते है किन्तु वह जीवन में कहंा आ रहा है। धर्म जीवन में तभी आ सकता है जब व्यक्ति का हृदय कोमल और गुणग्राही ही हो। कठोर मानस वाले धर्म के पात्र नही होते। ऋजुवृति ही सभी सद्गुणो का आधार है। संवेदन शीलता विद्यमान है तो ज्ञान क्रिया के सारे साधन सार्थक हो सकते है। कठोरता में यह संभव नही है।
मुनि ने कहा कि आज चारों ओर जो हिसंा और उपद्रव फैले हुए है इसका सबसे बडा कारण है व्यक्ति हृदयहीनता बनता जा रहा है। अनुकम्पा और संवेदना जिससे मानव हृदय विगलित बहने लगता है ये सारी विशेषताएं हृदय स्थल से लुप्त हो रही है।
यदि परिवार, समाज और राष्ट्र का नैतिक स्तर उपर उठाना है दु्रमगामी विकास संपन्न करना है तो मानव चरित्र के निर्माण का कार्य भी निरन्तर गमिमान रहना चाहिए बच्चो के संस्कार खराब हो युवक युवतिया भटक जाए ऐसे सारे प्रकाशन संवाद प्रदर्शन तुरन्त बन्द कर देने चाहिये। अश्लीलता और असभ्यता पूर्ण प्रवृतियों को रोकना पडेगा। देश के वातावरण में पवित्रता का विस्तार करना होगा। हिेसा प्रश्रय दे ऐसे सारे प्रयास समाप्त करने होगे। नये समाज की रचना के लिये पूरे राष्ट्र के वातावरण की भी नवर चना करनी होगी। कार्यक्रम का संचालन हिम्मत बड़ाला ने किया।
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