गणेश चतुर्थी की तैयारियां अंतिम दौर में, भक्तों ने सजाए मंडप
तीज-त्यौहारों के इस दौर में अब गणेश चतुर्थी की धूम शुरू हो गयी है। आगामी 9 सितंबर को मनाई जाने वाली गणेश चतुर्थी के लिए शहर में कई जगह गणपति प्रतिमाएं तैयार अंतिम रूप में हैं। चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक चलने वाले दस दिवसीय गणेशोत्सव के तहत इन मूर्तियों को विभिन्न मंदिरों और पंडालों में स्थापित किया जाएगा।
तीज-त्यौहारों के इस दौर में अब गणेश चतुर्थी की धूम शुरू हो गयी है। आगामी 9 सितंबर को मनाई जाने वाली गणेश चतुर्थी के लिए शहर में कई जगह गणपति प्रतिमाएं तैयार अंतिम रूप में हैं। चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक चलने वाले दस दिवसीय गणेशोत्सव के तहत इन मूर्तियों को विभिन्न मंदिरों और पंडालों में स्थापित किया जाएगा।
गणेश चतुर्थी के उपलक्ष में जगह-जगह पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना की तैयारिया जोरों पर है, भक्तों ने भगवान गणेश के जन्मोत्सव के लिए मंडप सजा दिए हैं। मूर्ति कलाकारों ने अपनी मूर्तियाँ बनाकर बेचने के लिए तैयार कर दी है।
जय महाराष्ट्र गणेश मण्डल की ओर से घंटाघर चौराहा पर गणेश स्थापना की जाएगी जिसमे महापोर रजनी डांगी एंव बीजेपी देहात जिला अध्यक्ष धरम नारायण जोशी मोजूद होंगे। जय महाराष्ट्र मण्डल के संयोजक अन्ना मराठा ने बताया की घंटा घर चौराहे पर पिछले 9 सालो से गणेश स्थापना की जा रही है।
घंटा घर स्थापना पर 10 दिनों के कार्यक्रमों की श्रंखला में, कल 4:30 बजे गणेश स्थापन होगी और सांय 9 बजे भजन संध्या का आयोजन किया जायेगा, 10 सितम्बर को संस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति आकाशवाणी कलाकारों द्वारा दी जाएगी,12 सितम्बर को नन्हे बचो डांस प्रतियागिता होगी, 13 सितम्बर संस्कृतिक संध्या, 14 सितम्बर कवि सम्मलेन, 17 सितम्बर सुन्दरकाण्ड पाठ और 18 सितम्बर को मूर्ति विसर्जित की जाएगी।
दूसरी ओर करीब 500 साल पुराने बोहरा गणेश मंदिर में पूरी साज सज्जा के साथ भगवान गणेश के स्वागत की तैयारी पूरी हो चुकी है। बोहरा गणेश मंदिर के पुजारी ललित जोशी ने बताया की, सोमवार को चतुर्थी के उपलक्ष में मेले का आयोजन किया जाएगा जिसमे कई तरह की दुकानें लगेगी और इस मेले का आयोजन पिछले करीब 50 वर्षो से आयोजित हो रहा है।
शहर में गणेश मूर्ति बेचने आए मूर्तिकारों से जब हमने बात की, तो उन्होंने बताया कि मूर्ति बनाने का कार्य हम करीब 4 महीनों पहले शुरू कर देते हैं और अनेकों साइज़ और विभिन्न रंगों की मुर्तियां बनाते हैं। मूर्तिकारों के पास 51 रूपये से लेकर 51 हजार रूपये तक मूर्तियाँ उपलब्ध हैं। कलाकारों के द्वारा अब तक की सबसे बड़ी मूर्ति 10 फीट की बनाई गई है।
मूर्ति बनाने की विधि
शहर के रेती स्टैंड पर मूर्ति बनाने कलाकार विरम मोगिया ने बताया कि सभी मूर्तिकार अपने-अपने तरीके से मूर्ति बनाते है कोई हाथों से बनाता है और कोई एक मूर्ति के डिजाइन का महाराष्ट्र से सांचा लाते हैं, जिससे कई मूर्तियाँ बनाई जाती हैं। प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से मूर्ति बना कर उस पर वाटर कलर करते हैं और मूर्ति को वाटर प्रूफ करने के लिए वार्निश को उपयोग में लेते हैं।
मूर्तियाँ यूँ तो कई दिनों से तैयार की जा रही हैं लेकिन अब यह दौर अंतिम चरण में है। मूर्ति बनाने वाले नारायण ने बताया कि उनके पास छह इंच से लेकर 9 फीट तक की मूर्तियां हैं। इनकी कीमत 100 रुपए से 10 हजार रुपए तक है। कीमत मूर्तियों पर हुए बारीक काम से आंकी जाती है। कुछ आयोजक मंडलों ने मूर्तियां खरीदनी भी शुरू कर दी हैं।
जिन मंडलों ने मूर्तियां बुक कराई हैं, विक्रेताओं ने उनकी मूर्तियों के पीछे मंडल का नाम अंकित कर दिया है। ये मूर्तियां मुहूर्त के अनुसार ले जाई जाएंगी। इधर, प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों के विसर्जन से जलाशयों में प्रदूषण फैलने के मद्देनजर शहर के कई आयोजक मंडल इस बार भी पंच धातु, लकड़ी, पीतल आदि की मूर्तियां उपयोग में लेंगे।
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