लोककला मण्डल में हुआ गवरी का मंचन


लोककला मण्डल में हुआ गवरी का मंचन

ऋषभदेव के लोक कलाकारों ने मचायी लोक रंगों और रसों की धूम

 
लोककला मण्डल में हुआ गवरी का मंचन

जिले में गवरी की धूम परवान पर है। मेवाड़ के पारंपरिक लोक नृत्य गवरी के प्रति आमजन का ख़ासा उत्साह देखा जा रहा है। शहर के लोककला मण्डल परिसर में शुक्रवार को ऋषभदेव के चिकला क्षेत्र के गवरी कलाकारों ने अपने मनोहारी प्रदर्शन से आमजन को मंत्रमुग्ध कर दिया। लोककला मण्डल में हुआ गवरी का मंचन

शुक्रवार सुबह से ही लोककला मण्डल परिसर में मेले सा माहौल रहा। ऋषभदेव के गवरी कलाकारों द्वारा गणपति, कालू कीर, राम-लक्ष्मण, कान-गुजरी, गाडुलिया लौहार, सेठजी, बंजारा आदि की मनमोहक प्रस्तुतियां दी गई। गवरी दल की सबसे प्रमुख व आकर्षक प्रस्तुति नार एवं माताजी की रही। इस खेल की प्रमुख विशेषता यह है कि गवरी दल के कलाकारों द्वारा मां अम्बे की सिंहारूढ़ छवि का सुंदर चित्रण किया जाता है जिसमें सभी देवी-देवताओं का आह्वान करते हुए गवरी दल एवं आमजन की सुख शांति एवं रक्षा की कामना की जाती है।

लोककला मण्डल में हुआ गवरी का मंचन

उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन, नगर निगम, टीआरआई व पर्यटन विभाग के तत्वावधान में मेवाड़ के पारंपरिक लोक नृत्य गवरी को विशिष्ट पहचान दिलाने के उद्देश्य से शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर प्रत्येक शुक्र, शनि व रविवार को जिले के विभिन्न क्षेत्रों के गवरी नृत्य का मंचन किया जा रहा है।

लोककला मण्डल में हुआ गवरी का मंचन

टीआरआई निदेशक बाबूलाल कटारा ने बताया कि इस अनूठी पहल के अंतर्गत शनिवार को लोक कला मण्डल परिसर में झाड़ोल के खाखरिया खेड़ी गांव के गवरी नृत्य का मंचन होगा

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