बांसुरी से निकली धुन, लय एवं ताल में खोयें श्रोता
महाराणा कुम्भा संगीत परिषद द्वारा टाउनहाॅल स्थित सुखाड़िया रंगमंच पर आयोजित किये जा रहे तीन दिवसीय 56वें अखिल भारतीय महाराणा कुम्भा संगीत समारोह की शुरूआत 16 मार्च शुक्रवार से हुई। प्रथम दिन बनारस घराने के सबसे युवा प्रसिद्ध बांसुरी वादक मुम्बई के पंड़ित पारसनाथ ने बांसुरी पर अपनी विलक्षण प्रतिभा की झलक दिखाते हुए जा छाप छोड़ी उससे श्रोता उसी में खो गये।
महाराणा कुम्भा संगीत परिषद द्वारा टाउनहाॅल स्थित सुखाड़िया रंगमंच पर आयोजित किये जा रहे तीन दिवसीय 56वें अखिल भारतीय महाराणा कुम्भा संगीत समारोह की शुरूआत 16 मार्च शुक्रवार से हुई। प्रथम दिन बनारस घराने के सबसे युवा प्रसिद्ध बांसुरी वादक मुम्बई के पंड़ित पारसनाथ ने बांसुरी पर अपनी विलक्षण प्रतिभा की झलक दिखाते हुए जा छाप छोड़ी उससे श्रोता उसी में खो गये।
बनारस घराने से ताल्लुक रखने वाले पारसनाथ ने अपनी प्रस्तुति की शुरूआत काफी प्रचलित राग किरवानी में लय जपताल से की। तत्पश्चात उन्होेंने तीन ताल की भी प्रस्तुति दी। अपनी प्रस्तुति के अंत में जब उन्होंने बांसुरी पर ठुमक चलत रामचन्द्र तथा मोहे पनघट पे नन्दलाल, गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो, नामक भजन की प्रस्तुति दी तो कलाकार को श्रोता एक टक देखते रह गये उनकी भजन की प्रस्तुति पर बराबर तालियों के साथ साथ दिया। बांसुरी पर भजनो की प्रस्तुति ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। पारसनाथ के साथ तबले पर दिल्ली के दुर्जय भौमिक ने संगत की। बांसुरी एवं तबले की जुगलबंदी ने कार्यक्रम को चार चाँद लगा दिये। पारसनाथ की प्रस्तुति पर संगीत के रसिक श्रोताओं ने तालियां बजाकर जमकर दाद दी। पारसनाथ ने बताया कि शास्त्रीय संगीत एवं बांसुरी में पिछले 10 वर्षो में दुुगुने युवा कलाकार आ रहे है। इससे लगता है कि शास्त्रीय संगीत का भविष्य बहुत सुनहरा हैं। पारसनाथ ने बांसुरी विधा की शिक्षा अपने पिता पं. अमरनाथ एवं माता श्रीमती मीनानाथ से ली। पारसनाथ को रियासत में मिले बांसुरी वादन को एवं अपने घराने को आगे बढ़ा रहे है। देश में शास्त्रीय संगीत में मिले तीन वर्ल्ड रिकाॅर्ड के प्रतिभागी रहे। हाल ही में उन्होेंने जर्मनी में आयोजित एक शास्त्रीय कन्सर्ट में देश का प्रतिनिधित्व किया। जिसमें विश्व के संगीतज्ञों ने भाग लिया। उन्होंने इस विधा एवं शास्त्रीय संगीत में अपना भविष्य बनाने वाले युवाओं को संदेश दिया कि युवा कोई भी साज सीखें उसे तन्मयता के साथ अपने गुरू से शिक्षा लें। पारसनाथ ने बाॅलीवुड फिल्मों ओ माई गोड, सरबजीत, दंगल, तारें जमीन पर, पैडमेन सहित अनेक फिल्मों में बांसुरी व बैकग्राउण्ड म्यूजिक दिया।
प्रथम दिन की दूसरी प्रस्तुति में प्रसिद्ध संगीतज्ञ रघुनन्दन पन्शीकर शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी। जिसमें उन्होंने कार्यक्रम की शुरूआत रागेश्वरी राग से की। तत्पश्चात उन्होेंने मींरा बाई का भजन पायो जी मैनें राम रतन धन पायो तथा जनता की मांग पर मराठी भजन भगवान विष्णु की स्तुति पदमा नाभा नारायणा की दी तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये। पन्शीकर के साथ तबले पर भरत कामथ, हारमोनियम पर सुयोग कुण्डलकर तथा तानपुरे पर अमरदीप शर्मा ने संगत की।
इस वर्ष संगीत का प्रतिष्ठित मुरली नारायण माथुर पुरस्कार शास्त्रीय गायन के सुप्रसिद्ध कलाकार पंड़ित रघुनन्दन पंशीकर को प्रदान किया गया। जिसे समारोह के मुख्य अतिथि पुलिस उप महानिरीक्षक प्रसन्न कुमार खमेसरा, विशिष्ठ अतिथि यूसीसीआई अध्यक्ष हंसराज चौधरी, रोटरी के निवर्तमान प्रान्तपाल रमेश चौधरी तथा उद्घाटनकर्ता समाजसेवी मांगीलाल लुणावत एवं समारोह के अध्यक्ष देवस्थान विभाग के उपायुक्त दिनेश कोठारी, दिनेश माथुर ने प्रदान किया। पंशीकर को सम्मान स्वरूप उपरना ओढ़ाकर, स्मृतिचिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।
प्रारम्भ में महाराणा कुंभा संगीत परिषद के मानद सचिव डाॅ. यशवन्तसिंह कोठारी ने आयोजन के बारें में जानकारी देते हुए बताया कि पिछले 56 वर्षो से परिषद शहरवासियों को शास्त्रीय संगीत की विभिन्न विधाओं से परिचय कराती आ रही है। इस अवसर पर गज़ल सम्राट के साथ 30 वर्षो से साथ रहे मुबंई से आये कुलदीप देसाई, गज़ल गायक डाॅ.प्रेम भण्डारी, देवेन्द्र सिंह हिरन, सुशील दशोरा, अमरदीप शर्मा सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ.लोकेश जैन ने किया।
शनिवार को होगी ये प्रस्तुति- दूसरे दिन 17 मार्च को देश के ख्यातनाम कलाकार कोलकाता की सोनिया राॅय शास्त्रीय गायन प्रस्तुत करेगी और उसी दिन दूसरी प्रस्तुति में कोलकाता के पंड़ित पूर्बियान चटर्जी सितार पर संगीत के नये-नये सुर बिखेरेगें।
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