
गज़ल एकेडमी उदयपुर व राजस्थान साहित्य अकादमी जोधपुर के संयुक्त तत्वावधान में मींरा गर्ल्स कॉलेज के सामनें स्थित महाराणा कुंभा संगीत परिषद के कुंभा भवन में आज से दो दिवसीय गज़ल उत्सव प्रारम्भ हुआ। जिसमें गज़ल गायकों ने फिल्मी व गैर फिल्मी गज़लों की ऐसी बयार बहायी कि श्रोता उसी में गुम हो गये।
जयपुर के गज़ल गायक तरूण के.पंवार ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत
तुम जो इतना मुस्करा रहे हो...से की। इसके बाद देश के ख्यातिप्राप्त गज़ल गायकों द्वारा गायी गई गज़लों को अपनी आवाज देकर समारोह में समां बांध दिया। गायक पंवार ने इसके बाद एक से बढ़कर एक गज़ल
होठों से छू लों तुम…, झुकी-झुकी सी नज़र..,
होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज़ है..,ए दिल तू ही बता, अब हम कहां जाएं..पाकिस्तान के गज़ल गायक शब्बीर हुसैन की गायी गज़ल .,
वो फ़िराक़ वो विसाल कहाँ , गुलाम अली ख़ान द्वारा गायी गयी पंजाबी गज़ल
परदेसी नाल न नू लायी ये,पायल लख सोने का…गज़ल को अपनी आवाज दी तो श्रोता अपन स्थान पर ही झूमनें लगे। इनके साथ तबला पर सावन डांगी व की-बोर्ड पर बबूल ने संगत की। इसके अलावा उत्सव के प्रथम दिन के दूसरे चरण में बालोतरा के गज़ल गायक पियूष पंवार ने मोहम्म्द रफी की गायी गज़ल ..
जलवा फकत गज़ल पे नजर देखते रहे.., से शुरूआत की। इसके बाद उन्होंने मेहदी हसन द्वारा गायी गयी गज़ल
रंग जैसी सही दिल ही दुखानें के लिये…,पाकिस्तानी गायिका की गायी गज़ल
आज जाने की जिद ना करो...को अपनी आवाज दी तो सभी के मुख से वाह निकल पड़ा। तत्पश्चात उन्होेंने
अपनी तस्वीर को...,
प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है..गज़लों ने माहौल में ऐसा समां बांध कि एक भी श्रोता अपने स्थान से उठ नहीं पाया। इनके साथ हरी हितेष गंधर्व हारमोनियम, नारायण गंधर्व तबला, गजेन्द्र पंवार ओक्टोपेड, अभिजित चौहान गिटार, केशव पंवार वॉयलिन तथा गोविन्द देवड़ा ने की बोर्ड पर ऐसी संगत की कि गज़ल के साथ-साथ इन सभी की जुगलबन्दी से श्रोता आनन्दित हो गये। इससे पूर्व प्रारम्भ में गज़ल एकेडमी के अध्यक्ष जे.के. तायलिया व सचिव देवेन्द्र हिरण ने समारोह की मुख्य अतिथि डीआईजी जेल श्रीमती प्रीता भार्गव, विशिष्ठ अतिथि डॉ. यशवन्तसिंह कोठारी व समारोह की अध्यक्ष श्रीमती पूनम लाडिया का उपरना ओढ़ा़कर स्वागत किया। इस अवसर पर गज़ल एकेडमी के संरक्षक डॉ. प्रेम भण्डारी ने गज़ल एकेडमी के कार्यकलापों पर प्रकाश डाला। समारोह में कवि इकबाल सागर ने भी अपने विचार रखते हुए कहा शहर में इस प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन से निश्चित रूप से शहर में छिपी प्रतिभाओं को अपनी प्रतिभा बाहर लेनें का अवसर प्रदान होगा। समारोह को संबोधित करते हुए प्रीता भार्गव ने कहा कि सगीत की दुनिया में आकर हम एक और विरली दुनिया में आ जाते है। गज़ल को सुनने के भाव में बहुत तन्मयता एवं गहराई है कि हम सब कुछ भूल जाते है। जो हमें ईश्वर के समीप ले जाती है। इस अवसर पर उन्होेंने कविता ए
क दिन चली जाउंगी आसमान पर अपना सबकुछ सौंप कर धरती को, तुम सुनते रहना आसमान का धरती से संवाद..