व्यापार को सरल बनाने के लिये सरकार प्रतिबद्ध: डॉ. सुबोध अग्रवाल
बैठक के दौरान उद्यमियों को सम्बोधित करते हुए डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राज्य के दक्षिण राजस्थान क्षेत्र में औद्योगिक एवं व्यावसायिक विकास के लिये सरकार प्रतिबद्ध है। माननीय उद्योग आयुक्त की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में उद्योगो से जुड़े मुद्दे रखकर नीति निर्धारण सम्बन्धी परिवर्तन लाने का सरकार का प्रयास है। श्री अग्रवाल ने स्वीकार किया कि राज्य से निर्यात को बढ़ावा देने के सम्बन्ध में निर्यातकों के समक्ष कई दिक्कते हैं। देश की जीडीपी को बढ़ाने में लघु एवं मध्यम क्षेत्र के उपक्रमों का महत्त्वपूर्ण योगदान है तथा इस सेक्टर के विकास पर सरकार सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है।
‘‘व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिये राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। उद्यमियों एवं व्यवसायियों की समस्याओं के शीघ्रतातिशीघ्र निराकरण के लिये सरकार द्वारा ऑन लाईन ‘‘संपर्क’’ पोर्टल लॉन्च किया गया है। कोई भी उद्यमी इस पर जाकर अपनी समस्या पंजीकृत करा सकता है। स्वयं मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा इसकी मॉनिटरिंग की जाती है।’’ उपरोक्त जानकारी प्रमुख शासन सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने यूसीसीआई में उद्यमियों को दी।
उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री द्वारा यूसीसीआई में एमएसएमई योजनाओं पर प्रमुख शासन सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल के साथ एक परिचर्चात्मक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में जिला उद्योग केन्द्र के संयुक्त निदेशक श्री विपुल जानी भी उपस्थित थे।
बैठक के दौरान उद्यमियों को सम्बोधित करते हुए डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राज्य के दक्षिण राजस्थान क्षेत्र में औद्योगिक एवं व्यावसायिक विकास के लिये सरकार प्रतिबद्ध है। माननीय उद्योग आयुक्त की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में उद्योगो से जुड़े मुद्दे रखकर नीति निर्धारण सम्बन्धी परिवर्तन लाने का सरकार का प्रयास है। श्री अग्रवाल ने स्वीकार किया कि राज्य से निर्यात को बढ़ावा देने के सम्बन्ध में निर्यातकों के समक्ष कई दिक्कते हैं। देश की जीडीपी को बढ़ाने में लघु एवं मध्यम क्षेत्र के उपक्रमों का महत्त्वपूर्ण योगदान है तथा इस सेक्टर के विकास पर सरकार सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है।
श्री अग्रवाल ने इस सेक्टर के विकास के लिये उद्यमियों से सुझाव मांगे जिस पर उद्यमियों द्वारा निम्नानुसार सुझाव दिये गये
उदयपुर में रीको द्वारा अवाप्त की गई भूमि कतिपय कारणों से उद्यमियों को उपलब्ध नहीं हो पाई है। कलड़वास विस्तार तथा अम्बेरी विस्तार योजना के तहत अवाप्त की गई भूमि मुकदमेबाजी के कारण न्यायिक प्रक्रिया में विचारार्थ है। यदि छोटे औद्योगिक भूखण्ड उपलब्ध हो तो युवा उद्यमियों द्वारा स्टार्ट अप के तहत 2000 उद्योग लगाने हेतु प्रोजेक्ट तैयार है।
कृषि भूमि को औद्योगिक भूमि में परिवर्तित कराने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाना चाहिए। स्थानीय स्तर पर यह अधिकार जिलाधीश महोदय को प्रदान किये जाने से लगभग 350 ऐसे उद्योग लगाये जा सकते है जिनमें पर्यावरण सम्बन्धी दिक्कते नहीं आयेंगी।
ग्रामीण क्षेत्र में उद्योग लगाने पर रूरल फीडर के माध्यम से लगातार 3 फेज बिजली उपलब्ध कराने का सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया गया है। किन्तु वास्तव में 5 से 8 घंटे तक ही उद्योग को बिजली उपलब्ध हो पाती है।
मार्बल को विलासिता की वस्तु की श्रेणी में रखने से इस पर 28 प्रतिशत जीएसटी लागू होगा। निवेदन है कि सरकार एक कमेटी का गठन कर इस व्यवसाय पर शोध करके स्वयं टैक्स की दर तय करें।
मार्बल स्लरी की समस्या के निराकरण के लिये डम्पिंग यार्ड के निकट ही ईंटो के निर्माण हेतु उद्योग लगाने के लिये भूमि एवं बिजली मुहैया कराई जाये।
उद्योग लगाने के लिये प्रदूषण नियंत्रण विभाग से कन्सेन्ट टू एस्टेबलिश, कन्सेन्ट टू ऑपरेट एवं ऑथराईजेशन प्राप्त करना होता है जिसे प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अलग अलग विभाग जारी करते है। यह प्रक्रिया एक ही विभाग के अधिन करते हुए एक एप्लीकेशन के माध्यम से तीनों मंजूरी प्रदान की जानी चाहिए।
नये औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के लिये रीको को गोगुन्दा क्षेत्र में भूमि अवाप्तिकरण के लिये सर्वे कराना चाहिए।
एमएसएमई एक्ट के तहत बड़े उद्योगो एवं सरकारी विभागों द्वारा एमएसएमई क्षेत्र के उपक्रमों का भुगतान 45 दिन की समय सीमा के भीतर करना आवश्यक हैं। किन्तु बड़े उद्योगो द्वारा इस नियम की अनदेखी की जा रही है।
पेन नम्बर की तर्ज पर एमएसएमई रजिस्ट्रेशन नं. जारी किया जाना चाहिए जिससे 45 दिन के भीतर भुगतान आवश्यक रूप से करने हेतु उद्योगो को पाबन्द किया जा सके।
जीएसटी अधिनियम के तहत इलेक्ट्रोनिक उत्पाद जैसे कन्ट्रोल पैनल, एटीएम मशीन, कम्प्यूटर प्रिंटर आदि को 28 प्रतिशत श्रेणी में न रखकर 18 प्रतिशत श्रेणी में रखा जाना चाहिए।
सरकार ने प्रक्रियाओं को ऑन लाईन तो कर दिया है किन्तु अनुमति प्रदान करने की समय सीमा तय नहीं की है। इसके लिये समय सीमा तय की जानी चाहिए।
मार्बल प्रसंस्करण में नफर और खण्डे कटर में वैल्यू एडिशन हेतु जाते है। किन्तु वर्तमान में कटर वाले रॉयल्टी की दर का भार नहीं उठा पा रहे है। सरकार इस दिशा में ध्यान दें।
एमएसएमई एक्ट के तहत लघु उद्योग हेतु 10 करोड़ की निवेश सीमा तथा मध्यम उद्योग के लिये 20 करोड़ की प्लान्ट एवं मशीनरी की सीमा निर्धारित की जानी चाहिए।
कार्यक्रम के आरंभ में यूसीसीआई अध्यक्ष श्री हंसराज चौधरी ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि दक्षिणी राजस्थान में एमएसएमई उपक्रमों के विकास के लिये यूसीसीआई सरकार के साथ प्रोजेक्ट हाथ में लेने का इच्छुक है एवं उद्यमीयों की समस्याओं को दूर करने हेतु तत्पर है।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री आशीष छाबड़ा ने किया। बैठक में 75 से अधिक यूसीसीआई सदस्यों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अन्त में उपाध्यक्ष श्री रमेश कुमार सिंघवी ने सभी का आभार ज्ञापित किया।
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