कृषि विश्वविद्यालय के सप्तम् दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने वितरित की उपाधियाँ


कृषि विश्वविद्यालय के सप्तम् दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने वितरित की उपाधियाँ

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का सप्तम् दीक्षान्त समारोह आज प्रातः 11 बजे मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के प्रेक्षाग्रह में हर्षोल्लास से मनाया गया।

 
कृषि विश्वविद्यालय के सप्तम् दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने वितरित की उपाधियाँ

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का सप्तम् दीक्षान्त समारोह आज प्रातः 11 बजे मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के प्रेक्षाग्रह में हर्षोल्लास से मनाया गया।

दीक्षान्त समारोह की मुख्य अतिथि राजस्थान राज्यपाल एवं कुलाधिपति माग्र्रेट आल्वा ने विद्यर्थियों को उपाधियाँ एवं स्वर्ण पदक प्रदान किये। अपने उद्बोधन में उन्होंने सभी को बधाई देते हुए देश की स्वतंत्रता के पश्चात कृषि के विकास मे तकनीकि के योगदान, सिंचाई सुविधाओं एवं समर्पित नीतियों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश मे हरित क्रांति के फलस्वरुप ही आज हम खाद्यान उत्पादन मे आत्मनिर्भर बन पाए हैं।

राज्यपाल ने बताया कि सकल घरेलु उत्पाद मे घटते कृषि के योगदान, कृषि मे श्रम की कमी, सिमटते प्राकृतिक संसाधन एवं पर्यावरण असंतुलन कृषि की मुख्य समस्याऐं हैं। खेती की जमीन के अन्य उपयोग, बढती लागत, भंडार व खाद्य संरक्षण की कमी ने समस्याओं को और बढाया है। आपने विश्वास जताया कि हमारे युवा वैज्ञानिक अपने ज्ञान व कौशल से देश की कृषि की चुनौतियों का सामना करने मे सक्षम हैं।

राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों का देश के कृषि विकास हेतु आव्हान करते हुऐ कहा कि उपाधियां हमे जिम्मेदारी का अहसास भी करवाती हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को स्वयं पर विश्वास रखते हुऐ अपनी प्रतिभा को विकसित करने और एक स्वप्नदृष्टा की तरह विश्व के विकास मे भागीदार बनने की सलाह दी। उन्होंने आशा व्यक्त कि आज यहां उपस्थित छात्र समुदाय को देश के कृषक व ग्रामीण समाज की एक मिशन की तरह सेवा करने का प्रण लेना चाहिए।

दीक्षान्त समारोह में कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. गिल ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। प्रो. गिल ने राज्यपाल महोदया के दीर्घ राजनैतिक व संवैधानिक जीवन पर प्रकाश डालते हुऐ बताया कि आपने महिला विकास एवं उनके अधिकारों की रक्षा हेतु उल्लेखनीय कार्य किया है। विश्वविद्यालय आपकी उपस्थिति से अभिभूत है। प्रो. गिल ने विश्वविद्यालय की शिक्षा अनुसंधान एवं प्रसार सेवाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि कृषि, संचार अभियांत्रिकी, प्रबंधन विज्ञान, कृषि उपरान्त तकनीकी जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित मानव संसाधन की बढ़ती हुई आवश्यकता को देखते हुए विश्वविद्यालय में वर्ष 2011-12 में तीन स्नातकोत्तर एवं दो पी.एच.डी. पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये गये है।

कृषि विश्वविद्यालय के सप्तम् दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने वितरित की उपाधियाँ

विश्वविद्यालय के छात्र छात्रओं को राष्ट्रीय स्तर की छात्रवृति प्राप्त हुई है जो कि विद्यार्थियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन का परिणाम है। विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षकों ने भी राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त कर विश्वविद्यालय का नाम उंचा किया है। डेरी विज्ञान, गृहविज्ञान, अभियंत्रिकी महाविद्यालय के अनेक विद्यार्थियों का चयन कैम्पस इंटव्र्यू के माघ्यम से विभिन्न बहुराष्ट्रीय कम्पनियों एवं संगठित क्षेत्रों में हुआ है। विश्वविद्यालय में पूर्व के समान इस वर्ष भी छात्रसंघ चुनाव शन्ति पूर्वक सम्पन्न हुआ है, एवं विद्यर्थियों का सहशैक्षणिक गतिविधियों में प्रदर्शन भी श्रेष्ठ रहा है।

कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय ने कृषि अनुसंधान का श्रेष्ठतम कार्य किया है। विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय की भूमिका भी प्रशंसनीय है। विश्वविद्यालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक कृषि विज्ञान मेले, प्रेक्षेत्र दिवस, प्रदर्शन इत्यादि आयोजित किये हैं एवं विभिन्न प्रकार की पाठ्य सामगा्री तैयार की हैं । इस वर्ष विश्वविद्यालय का नवीन एवं ग्यारहवां कृषि विज्ञान केन्द्र प्रतापगढ जिले मे प्रारम्भ किया गया हैं।

विश्वविद्यालय की कृषि नवोन्मेषी परियोजना एवं केवी के बारां को कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है जो कि विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है। इसी वर्ष प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप की भव्य अश्वारूढ प्रतिमा की स्थापना भी विश्वविद्यालय परिसर में की गई हैं। कुलपति प्रो. गिल. ने भविष्य की कार्ययोजनाओं पर प्रकाश डालते हुए विश्वविद्यालय को देश का अग्राणी कृषि विश्वविद्यालय बनाने एवं चुनौतियों का सामना करने का अपना कृत संकल्प भी दोहराया ।

कुलसचिव डॉ. पी.के गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में महामहिम राज्यपाल राजस्थान माग्र्रेट आल्वा के कर कमलों से विश्वविद्यालय के कृषि, इंजीनियरिंग, डेयरी, गृहविज्ञान, मात्स्यकी एवं उद्यनिकी व वानिकी संकायों के बी.एस.सी, बी.ई, बी.टेक के सत्र 2011-12 में उत्तीर्ण 594 विद्यार्थियों को स्नातक उपाधि और डेयरी के अतिरिक्त अन्य संकायों के दिनांक 1.12.11 से 30.11.12 तक उत्तीर्ण एम.एस.सी, एम.ई के 105 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर (निष्णात) एवं 30 विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में विद्यावाचस्पति (पी. एच. डी.) की उपाधि भी प्रदान की गई ।

विभिन्न संकायों मे सर्वश्रेष्ठ अकादमिक प्रदर्शन हेतु स्नातक स्तर पर 11 विद्यार्थियों को स्वर्णपदक प्रदान किये गये। स्नातकोत्तर स्तर पर सर्वश्रेष्ठ अकादमिक व अनुसंधान के प्रदर्शन हेतु 10 विद्यार्थियों को स्वर्णपदक प्रदान किये गऐ। इसके अतिरिक्त इंजीनियरिंग संकाय के मृदा एवं जल संरक्षण विभाग के एक श्रेष्ठ स्नातकोत्तर विद्यार्थी को जैन इरीगेशन स्वर्णपदक भी प्रदान किया गया।

कृषि विश्वविद्यालय के सप्तम् दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने वितरित की उपाधियाँ

इस अवसर पर सुखाडि़या विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी, राज. कृषि विश्वविध्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. के. एन. नाग, जिला कलेक्टर विकास एस. भाले, निदेशक खान एवं भूविज्ञान बी.एस. देथा, जिला पुलिस अधीक्षक, अति. जिला कलेक्टर, सहित अनेक गणमान्य नागरिक, जिला स्तर के अधिकारी, विश्वविद्यालय प्रबंध मण्डल के सदस्य, विश्वविद्यालय के पूर्व एवं वर्तमान निदेशक तथा अधिष्ठाता, संकाय अध्यक्ष, मीडि़या अधिकारी, अतिथि एवं मेडल तथा उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के अभिभावक भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में मुख्य अतिथि महामहिम माग्र्रेट आल्वा के साथ ही विश्वविद्यालय के प्रबन्ध मण्डल एवं अकादमिक परिषद् के सदस्यों ने रोब पहनकर शैक्षणिक प्रगमन के रूप में सभागार में प्रवेश किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ एवं अन्त राष्ट्रगान से सम्पन्न हुआ।

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